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श्रीलंका: बुर्का बैन पर राजपक्षे सरकार के बदले सुर, कैबिनेट के प्रवक्ता ने कही यह बात

Deepa Sahu
16 March 2021 2:35 PM GMT
श्रीलंका: बुर्का बैन पर राजपक्षे सरकार के बदले सुर, कैबिनेट के प्रवक्ता ने कही यह बात
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पाकिस्‍तान की धमकी के बाद श्रीलंका में बुर्का बैन

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: कोलंबो : पाकिस्‍तान की धमकी के बाद श्रीलंका में बुर्का बैन पर राजपक्षे सरकार के सुर बदल गए हैं। श्रीलंका सरकार बुर्के पर प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया में जल्दबाजी नहीं करेगी और इस मामले पर सर्वसम्मति बनने के बाद ही फैसला किया जाएगा। श्रीलंका की कैबिनेट के प्रवक्ता ने मंगलवार को यह बयान दिया। इससे एक दिन पहले सोमवार को श्रीलंका में पाकिस्तान के उच्चायुक्त साद खट्टक ने बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाने की योजना की आलोचना की थी।

खट्टक ने कहा था कि सुरक्षा के नाम पर इस तरह के 'विभाजनकारी कदम' न केवल मुसलमानों की भावनाओं को आहत करेंगे, बल्कि द्वीप राष्ट्र में अल्पसंख्यकों के मौलिक मानवाधिकारों के बारे में व्यापक आशंकाओं को भी मजबूत करेंगे। श्रीलंका की कैबिनेट ने अपनी साप्ताहिक बैठक में नकाब या बुर्के पर प्रतिबंध लगाने के मामले पर विचार नहीं किया।
'चेहरे को ढकने पर प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया में जल्दबाजी नहीं'
कैबिनेट के प्रवक्ता एवं वरिष्ठ मंत्री केहेलिया रामबुकवेला ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, 'यह विचार-विमर्श करने और सर्वसम्मति बनने के बाद ही किया जाएगा।' उन्होंने कहा कि सरकार 'चेहरे को ढकने पर प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया में जल्दबाजी नहीं' करेगी। मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर विचार-विमर्श के संदर्भ में खुफिया आकलन के आधार पर फैसला किया जाएगा।
श्रीलंका के जन सुरक्षा मंत्री शरत वीरसेकरा ने सप्ताहांत में कहा था कि उन्होंने नकाब पर प्रतिबंध के प्रस्ताव वाले कैबिनेट के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं। इस दस्तावेज को सोमवार की बैठक में पेश किया जाना था। वीरसेकरा ने कहा था कि बुर्का राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है। श्रीलंका में 2019 में ईस्टर रविवार के दिन चर्च और होटलों में हुए बम हमलों के बाद बुर्का पहनने पर अस्थायी रोक लगा दी गई थी।
मुस्लिमों की आबादी करीब नौ प्रतिशत, जातीय तमिलों की 12 फीसदी
इन हमलों में 260 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। श्रीलंका की आबादी करीब दो करोड़ 20 लाख है, जिनमें से मुस्लिमों की आबादी करीब नौ प्रतिशत, जातीय तमिलों की 12 फीसदी और बौद्ध अनुयायियों की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी है। ईसाइयों की आबादी लगभग सात प्रतिशत है। तमिलों में से ज्यादातर हिंदू हैं।


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