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स्पेस ट्रैवल से अंधे होने का खतरा, एक्सपर्ट्स ने चेताया

Gulabi
7 Jan 2022 5:17 PM GMT
स्पेस ट्रैवल से अंधे होने का खतरा, एक्सपर्ट्स ने चेताया
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अगर इंसान रियल लाइफ में अन्य ग्रहों की यात्रा करते हैं और वहां पर रहते हैं
अगर इंसान रियल लाइफ में अन्य ग्रहों की यात्रा करते हैं और वहां पर रहते हैं, तो मनुष्य चमगादड़ के रूप में अंधे हो सकते हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि एस्ट्रोनोट्स ने लगातार शिकायत की है कि जब वे पृथ्वी पर लौटते हैं तो उन्हें चश्मे की आवश्यकता होती है.
रिसर्चर्स ने अब मस्तिष्क और आंखों की रोशनी पर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव की जांच की है. उन्हें डर है कि भविष्य में दूसरे ग्रहों पर इंसानों की बस्ती में रहने वाले लोगों को धुंधली दृष्टि के साथ रहना पड़ सकता है. वैज्ञानिकों ने स्पेसफ्लाइट-एसोसिएटेड न्यूरो-ओकुलर सिंड्रोम (SANS) के मामलों को देखा है.
वैज्ञानिकों ने SANS के लिए स्पेस यात्राओं से पहले और बाद में एस्ट्रोनोट्स के ब्रेन स्कैन की तुलना की है. उनका दावा है कि एस्ट्रोनोट्स जितने लंबे समय तक स्पेस में रहेंगे. वे पृथ्वी पर लौटने पर उतना ही धुंधला नजर आने और आंखों में समस्या होने की शिकायत करते हैं.
अमेरिका के साउथ कैरोलिना (South Carolina) के मेडिकल यूनिवर्सिटी के मार्क रोसेनबर्ग ने कहा कि हालात इतने खराब हो गए हैं कि एस्ट्रोनोट्स अब स्पेस ट्रैवल से पहले अतिरिक्त चश्मों को लेकर जाते हैं. वे जानते हैं कि उनकी दृष्टि वहां खराब होने वाली है.
NASA के एक पूर्व प्रमुख डॉ जिम ग्रीन ने कहा है कि मंगल ग्रह के चारों ओर एक चुंबकीय बल क्षेत्र स्थापित करके लाल ग्रह को मनुष्यों के लिए रहने योग्य बनाया जा सकता है. डॉ जिन ग्रीन के अनुसार, सौर मंडल के सभी ग्रहों में से मंगल ग्रह के रहने योग्य बनाना ज्यादा आसान है.
हालांकि, मंगल पर इंसानों को बसाने से पहले उन्हें अंधा होने से बचाने का रास्ता खोजना बेहद जरूरी है. स्पेसएक्स के CEO एलन मस्क (Elon Musk) की महत्वकांक्षी परियोजनाओं में से एक मंगल पर इंसानों को पहुंचाकर उन्हें 'बहु-ग्रहीय' प्रजाति बनाना है.
हाल ही में एक पॉडकॉस्ट में जब एलन मस्क से सवाल किया गया कि इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाने में कितना वक्त लगने वाला है. इसके जवाब में मस्क ने एक टाइमलाइन में जवाब देते हुए कहा कि अगर सब कुछ ठीक रहता है तो पांच सालों में ऐसा हो जाएगा.
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