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आकाशगंगा मिल्की वे के बीच दिखे कुछ रहस्यमयी और विचित्र धागे

Gulabi
1 Feb 2022 6:45 AM GMT
आकाशगंगा मिल्की वे के बीच दिखे कुछ रहस्यमयी और विचित्र धागे
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हमारी आकाशगंगा मिल्की वे के बीच में कुछ रहस्यमयी और विचित्र धागे दिखे हैं
हमारी आकाशगंगा मिल्की वे (Galaxy Milky Way) के बीच में कुछ रहस्यमयी और विचित्र धागे दिखे हैं. इन धागों को दुनिया के सबसे बड़े रेडियो टेलिस्कोप ने खोजा है. टेलिस्कोप ने देखा के आकाशगंगा के मध्य में 1000 से ज्यादा रहस्यमयी फिलामेंट्स (Strange Filaments) हैं, जो किसी तरह की रेडियो ऊर्जा के विस्फोट की वजह से बने हैं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि आकाशगंगा में इससे 10 गुना ज्यादा धागे हो सकते हैं.
इन धागों को वैज्ञानिक भाषा में रेडियो फिलामेंट्स (Radio Filaments) कहते हैं. इन्हें देखने से लगता है कि ये अंतरिक्ष में दिमाग की नर्वस सिस्टम की नसों की तरफ फैली हुई है. कुछ धागों की लंबाई 150 प्रकाश वर्ष है. कुछ तो धरती और नजदीकी स्टार सिस्टम प्रोक्सिमा सेंटॉरी (Proxima Centauri) की दूरी से 40 गुना ज्यादा लंबे हैं.
कुछ रेडियो फिलामेंट्स (Radio Filaments) जोड़े में हैं, जैसे किसी डीएनए की आकृति. कुछ सेट्स में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर लटक रहे हैं. ये सभी तेज ऊर्जा की वजह से चमक रही हैं. इनके आसपास अरबों की संख्या में इलेक्ट्रॉन्स घूम रहे हैं. ये इलेक्ट्रॉन्स मैग्नेटिक फील्ड की वजह से प्रकाश की गति के बराबर घूमते हैं. ये खोज और इससे संबंधित स्टडी द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल और द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित होने के लिए गई है.
वैज्ञानिकों ने जब इन रेडियो फिलामेंट्स (Radio Filaments) की उम्र जानने की कोशिश की तो पता चला कि ये पिछले कुछ दशकों से आकाशगंगा के बीच में बने हुए हैं. दक्षिण अफ्रीका में स्थित MeerKAT रेडियो टेलिस्कोप ने इन्हें खोजा था. पहले यह सोचा जा रहा था कि इनकी संख्या इतनी ही है, लेकिन अब वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ये 1000 से 10 गुना ज्यादा हो सकते हैं.
वैज्ञानिक रेडियो टेलिस्कोप से मिले डेटा के आधार पर और स्टडी कर रहे हैं, ताकि यह पता चल सके कि इनका निर्माण कैसे हुआ. इलिनॉय के इवैंस्टन स्थित नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में फिजिक्स और एस्ट्रोनॉमी के प्रोफेसर और इन धागों की स्टडी में शामिल फरहद युसूप जादेह ने कहा कि कुछ रेडियो फिलामेंट्स (Radio Filaments) की जांच करके किसी निष्कर्ष पर निकलना मुश्किल है. इसलिए हमें बल्क में स्टडी करनी होगी.
प्रोफेसर फरहद ने बताया कि अब हम बड़ी पिक्चर देखना चाहते हैं. हम इन रेडियो फिलामेंट्स (Radio Filaments) की स्टडी बड़े पैमाने पर कर रहे हैं. अगर इनके निर्माण की वजह पता चलती है, तो हम आकाशगंगा में मौजूद एक रहस्यमयी और विचित्र आकृति की पहेली सुलझाने में कामयाब हो जाएंगे. क्योंकि गैलेक्सी में करोड़ों की संख्या में रहस्यमयी वस्तुएं मौजूद हैं. जो गैस और धूल से घिरी रहती हैं.
प्रोफेसर फरहद ने बताया कि कुछ वस्तुएं तो सामान्य टेलिस्कोप से दिख जाती हैं, लेकिन कुछ चीजें नहीं दिखती. उनके लिए हम रेडियो टेलिस्कोप का उपयोग करते हैं. आकाशगंगा के केंद्र में स्थित रेडियो वेव्स के रेडिएशन की सट्डी के लिए ताकतवर रेडियो टेलिस्कोप की जरूरत होती है. MeerKAT रेडियो टेलिस्कोप दक्षिण अफ्रीका के केप प्रांत में है. जहां पर 64 ताकतवर एंटीनों का समूह है.
इन 64 ताकतवर एंटीनों को मिलाकर ही यह विशालकाय रेडियो टेलिस्कोप बना है. इसने इन रेडियो फिलामेंट्स (Radio Filaments) की स्टडी करने के लिए आकाशगंगा के बीच में तीन साल नजर रखी. तीन साल के दौरान 200 घंटे इसने गैलेक्सी के बीच में देखा. 20 अलग-अलग जगहों से इन धागों की उत्पत्ति के स्रोत मिले. फिर उनके मोजैक को जोड़कर एक पूरी तस्वीर बनाई गई.
प्रो. फरहद ने बताया कि हो सकता है कि ये किसी सुपरनोवा की बची हुई ऊर्जा तरंगें हों. या फिर किसी नए तारे के जन्म की तैयारी अंतरिक्ष में चल रही हो. ये एक प्रकार की कॉस्मिक किरणें हैं. जो बेहद ज्यादा आवेशित हैं. यानी चार्ज्ड हैं. इनके आवेशित कण प्रकाश की गति से घूम रहे हैं.
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