विश्व
13 या 14 जुलाई को पृथ्वी से टकरा सकता है सौर तूफान, मोबाइल सिग्नल, जीपीएस नेटवर्क होंगे प्रभावित
Deepa Sahu
12 July 2021 5:07 PM GMT
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सूर्य की लपटों से उपजा एक शक्तिशाली सौर तूफान 16 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की ओर आ रहा है।
नई दिल्ली, सूर्य की लपटों से उपजा एक शक्तिशाली सौर तूफान 16 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की ओर आ रहा है। इसके मंगलवार या बुधवार को धरती के ऊपरी वायुमंडल से टकराने की संभावना है। इसका सीधा असर मोबाइल सिग्नल, जीपीएस नेटवर्क और सैटेलाइट टीवी पर पड़ सकता है। दुनिया के कई हिस्सों में पावर ग्रिड भी बाधित हो सकते हैं।
तूफान के चलते हाई फीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशन हो सकती है बाधित
अमेरिका के मौसम विभाग के अनुसार इस तूफान के चलते एक बड़े इलाके में हाई फीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशन एक घंटे के लिए बाधित हो सकता है। सबसे पहले इस तूफान का पता तीन जुलाई को चला था। इस तूफान के निकलने पर अमेरिका में थोड़े समय के लिए रेडियो कम्युनिकेशन में बाधा उत्पन्न हो गई थी।
कहां-कहां हो सकता है असर
-जीपीएस सिग्नल, मोबाइल नेटवर्क, सैटेलाइट टीवी, आटोमेटिक कार, टैक्सी, प्लेन सेवा पर असर हो सकता है।
-धरती के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर नार्दन, सर्दन लाइट्स की मात्रा और फ्रिक्वेंसी बढ़ सकती है।
क्यों आते हैं सौर तूफान
वैज्ञानिकों के अनुसार प्रत्येक 11 वर्ष में सूर्य की सतह की हलचल और विस्फोट से इतनी भारी मात्रा में में विकिरण निकलता है, जो अंतरिक्ष में बड़े सौर तूफान लाने की क्षमता रखते हैं। साल 2019 से इनका नया चरण शुरू है। यह जुलाई 2025 तक चरम पर पहुंचेगा। मौजूदा सौर तूफान भी इसी का परिणाम है।
पहले भी आ चुके हैं सौर तूफान
-1972 के सौर तूफान में कई देशों में बिजली और संचार सेवाओं को नुकसान हुआ था। अमेरिकी नौसेना द्वारा उत्तरी वियतनाम के समुद्र में लगाई चुंबकीय प्रभाव से फटने वाली खदान भी स्वयं फट पड़ीं।
-1989 में कनाडा के क्यूबेक में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट ठप होने से करीब 60 लाख लोग नौ घंटे बिना बिजली के रहे।
-2003 में 19 अक्टूबर से पांच नवंबर तक इन तूफानों ने अमेरिका में कई बार रेडियों सेवाएं ठप कीं। इसे रेडियो ब्लैक आउट कहा गया।
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