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श्रीलंका के जहाज से समुद्र में घुला जहर... अब तक 100 कछुए, एक दर्जन डॉल्फिन और ब्लू व्हेल की मौत

Deepa Sahu
22 Jun 2021 2:08 PM GMT
श्रीलंका के जहाज से समुद्र में घुला जहर... अब तक 100 कछुए, एक दर्जन डॉल्फिन और ब्लू व्हेल की मौत
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श्रीलंका के समुद्री क्षेत्र में मालवाहक जहाज के जलकर डूब जाने के बाद से पानी में ‘जहर’ घुल गया है.

श्रीलंका के समुद्री क्षेत्र में मालवाहक जहाज के जलकर डूब जाने के बाद से पानी में 'जहर' घुल गया है. इस वजह से समुद्री जीवों की जान पर बन आई है. अब तक 100 से ज्यादा कछुए, एक दर्जन डॉल्फिन और एक ब्लू व्हेल समुद्र तट पर मृत मिले हैं. इस जहाज के डूबने के बाद अनेक समुद्री जीवों के मारे जाने की आशंका पैदा हो गई है.

पारिस्थितिकी विज्ञानियों का मानना है कि जलीय जीवों की मृत्यु का जहाज में आग लगने और उसमें से खतरनाक रसायनों के स्राव से सीधा संबंध है. सिंगापुर के झंडे वाले एक्सप्रेस पर्ल जहाज में 12 दिन तक आग लगी रही. यह पिछले हफ्ते कोलंबो के मुख्य बंदरगाह के पास डूब गया. हालांकि सरकारी अधिकारियों ने कहा कि जलीय जीवों से जुड़े इन कारणों की अस्थायी रूप से पुष्टि हुई है और पूरी तरह जांच अभी बाकी है.
रसायन की वजह से आई जान आफत में
जहाज पर 20 मई को आग गई थी. इसके कुछ दिन बाद मृत जलीय जीव समुद्र किनारे आने लगे. कछुआ संरक्षण परियोजना के तुषान कपूरुसिंघे ने भी कछुओं की मौत के पीछे जहाज पर आग लगने और रसायनों के स्राव को जिम्मेदार बताया है. श्रीलंका के समुद्र क्षेत्र में पांच प्रजाति के कछुए पाए जाते हैं, जो अंडे सेने के लिए अक्सर तट के नजदीक आते हैं. मार्च से जून के बीच कछुए बड़ी संख्या में आते हैं.
केमिकल की वजह से लगी आग
न्यूज एजेंसी एपी को मिली जानकारी के मुताबिक इस जहाज पर 1500 कंटेनर्स में से कम से कम 81 में 'खतरनाक' सामान था. श्रीलंका नौसेना का मानना है कि केमिकल कार्गो की वजह से ही जहाज में आग लगी. आग की वजह से अधिकतर रसायन खत्म हो गए, लेकिन उसका कचरा जिसमें फाइबरग्लास और कई टन प्लास्टिक ने समुद्र में बहुत ज्यादा प्रदूषण फैला दिया. देश के लोकप्रिय बीच पर इसका असर लंबे समय तक दिखता रहेगा.
गर्मी के साथ खतरनाक रसायनों ने ली जान
पर्यावरण मंत्रालय के सचिव अनिल जयसिंघे का कहना है कि इन मौतों के पीछे दो कारण हो सकते हैं. पहले गर्मी की वजह से झुलसना और दूसरा केमिकल की वजह से. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आना अभी बाकी है और अभी हम स्पष्ट कारण नहीं बता सकते. विशेषज्ञों का मानना है कि अब तक कम से कम 400 मृत कछुए समुद्र तट पर मिल चुके हैं.
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