एक सूजे हुए कलेजे या एक विकलांग कंकाल जैसे मानव अवशेषों को संग्रहालयों में लगाया जाना चाहिए या नहीं? ऑस्ट्रिया में एक संग्रहालय में दिखाई जा रही चीजों को लेकर ऐसे ही सवाल खड़े हो गए हैं.ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय में कई सालों से कई चिकित्सा संबंधी मानव अवशेष रखे हुए हैं. हाल ही में नवीनीकरण के दौरान संग्राहलय के क्यूरेटरों के सामने यह प्रश्न उठ खड़ा हुआ कि इस तरह के अवशेषों का आखिरकार प्रदर्शन कैसे किया जाए. इन अवशेषों में एक विशाल सूजा हुआ कलेजा, फटे हुए चमड़े वाला एक नवजात, एक युवा लड़की का विकृत कंकाल आदि जैसी चीजें शामिल हैं. क्यूरेटरों की दुविधा यह है कि नैतिक मूल्यों और सुरुचि की आधुनिक रेखाओं को लांघे बिना इन अवशेषों का प्रदर्शन कैसे किया जाए. आधुनिक युग की कसौटियां ऐसे अवशेषों की संख्या 50,000 के आस पास है. इनमें से कुछ तो 200 सालों से भी ज्यादा पुराने हैं. इनके संकलन की शुरुआत चिकित्सा के छात्रों को प्रशिक्षण देने के लिए 1796 में हुई थी. आज की दुनिया में इस तरह के संग्रहों को लेकर कई सवाल उठ सकते हैं, जैसे क्या लोकहित मानवीय मर्यादा, शक्ति और शोषण जैसे विषयों से ज्यादा बड़ा है और जिन मृत लोगों के अंगों का प्रदर्शन किया जा रहा उनकी सहमति आवश्यक है या नहीं? क्यूरेटर एडवर्ड विंटर कहते हैं, "हम जितना संभव हो सके उतनी व्याख्या दे कर वॉयरिस्म को दूर रखने की कोशिश करते हैं" उन्होंने बताया कि दर्शक दीर्घा में तस्वीरें खींचने की इजाजत नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि संग्रहालय में आने वालों को जब "30 किलो का एक कलेजा दिखाया जाएगा