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पाकिस्तानी एजेंसियों ने अब तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की है, जिससे टेरर फंडिंग को रोके जाने का सबूत मिला हो।
दो दिन बाद फ्रांस की राजधानी पेरिस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक शुरू हो रही है। इस बैठक को लेकर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की की सांसे अटकी हुई है। उनको इस बात की चिंता सता रही है कि कहीं एफएटीएफ पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में न डाल दे। हालांकि, इस समय पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में शामिल है। आइए जानते हैं कि पाकिस्तान इस ब्लैक लिस्ट से क्यों चिंतित है। इमरान सरकार की क्या मुश्किलें हैं। ग्रे लिस्ट में रहने के चलते पाकिस्तान का प्रत्येक वर्ष कितना आर्थिक नुकसान हो रहा है। इससे पाकिस्तान की छवि क्यों धूमिल हो रही है।
1- प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि अगर एफएटीएफ पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में शामिल करता है तो उसकी अर्थव्यवस्था पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। इसका सबसे ज्यादा असर पाकिस्तान को मिल रही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक मदद पर होगा। अगर पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट में शामिल होता है तो आइएमएफ, एडीबी, वर्ल्ड बैंक या अन्य कोई अंतरराष्ट्रीय फाइनेंशियल संस्था या संगठन उसे आर्थिक मदद नहीं करेगा। इसके साथ आयात-निर्यात पर भी कई तरह की पाबंदियों के साथ दूसरे संगठनों से आर्थिक सहयोग में दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी और अन्य दूसरी संस्थाओं द्वारा पाकिस्तान को निगेटिव लिस्ट में डाल दिया जाएगा। इसका असर पाकिस्तान के निवेश पर पड़ेगा। इससे निवेश आने बंद हो जाएंगे। प्रो. पंत ने कहा कि इस समय पाकिस्तान कर्ज में डूबा है। उसकी आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। पाकिस्तान पर करीब 214 लाख करोड़ भारतीय रुपये का कर्ज है। मौजूदा समय पर ग्रे लिस्ट में रहने के चलते पाकिस्तान को हर वर्ष 74 हजार करोड़ का नुकासान हो रहा है।
2- प्रो. पंत का कहना है कि एफएटीएफ की बैठक में बहुत सख्ती से इस बात पर ध्यान दिया जाएगा कि इमरान सरकार ने आतंकी फंडिंग और बड़े आतंकियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की और इसके सबूत कहां हैं। एफएटीएफ इस बात बहुत बारीकी से देखेगा कि पाकिस्तान सरकार ने देश में मौजूद हाफिज सईद और दूसरे बड़े आतंकियों के खिलाफ कितने मजबूत केस तैयार किए है। यह भी जांच की जाएगी कि उन्हें सजा दिलाने के लिए इमरान सरकार कितनी गंभीर है। उनके खिलाफ कितनी कितनी ठोस कार्रवाई की गई है। इस बाबत पाकिस्तान को सबूत देने होंगे। फिलहाल पाकिस्तानी एजेंसियों ने अब तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की है, जिससे टेरर फंडिंग को रोके जाने का सबूत मिला हो।
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