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श्रीलंका में हिंसा के दौरान देखते ही गोली मारने का आदेश नहीं दिया

Subhi
20 May 2022 12:56 AM GMT
श्रीलंका में हिंसा के दौरान देखते ही गोली मारने का आदेश नहीं दिया
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श्रीलंका के पीएम रानिल विक्रमसिंघे ने बृहस्पतिवार को संसद को बताया कि सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने का कोई आदेश रक्षा मंत्रालय को नहीं दिया गया था। विक्रमसिंघे ने कहा कि लिखित में ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया।

श्रीलंका के पीएम रानिल विक्रमसिंघे ने बृहस्पतिवार को संसद को बताया कि सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने का कोई आदेश रक्षा मंत्रालय को नहीं दिया गया था। विक्रमसिंघे ने कहा कि लिखित में ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया।

श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने देश में जारी सियासी व आर्थिक संकट को लेकर हिंसक विरोध के बीच थलसेना, वायुसेना और नौसेना कर्मियों को सार्वजनिक संपत्ति लूटने या दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति पर गोली चलाने का 10 मई को आदेश दिया।

यह आदेश तब दिया गया, जब भीड़ ने राजपक्षे परिवार व उनके करीबी लोगों की संपत्ति पर हमला किया। इस घटनाक्रम पर पीएम विक्रमसिंघे ने कहा, पुलिस अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर सकती है और जरूरत पड़ने पर गोली भी चला सकती है। लेकिन इसके लिए प्रक्रियाओं का पालन करना होता है।

सशस्त्र बल ने मानवीय मुहिम के तहत खत्म किया लिट्टे से गृहयुद्ध : गोतबाया

श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने 2009 में लिट्टे के साथ क्रूर संघर्ष को खत्म करने और मानवीय मुहिम द्वारा शांति की शुरुआत करने के लिए देश की सेना की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, करीब तीन दशक लंबे गृहयुद्ध में कोई घृणा, गुस्सा या बदला शामिल नहीं था।

युद्ध नायक दिवस को चिन्हित करने के लिए जारी एक बयान में, राजपक्षे ने कहा, हमारे सशस्त्र बलों ने युद्ध खत्म किया और जिस मातृभूमि में शांति स्थापित हुई, वहां नस्लवाद या किसी अन्य प्रकार के अतिवाद के लिए कोई जगह नहीं है। बता दें कि उस दौरान गोतबाया राजपक्षे देश के रक्षामंत्री थे।


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