जनता से रिश्ता वेबडेसक| मुस्लिमों के नाम पर कश्मीर के अंतरराष्ट्रीकरण का दुस्साहस करने वाले पाकिस्तान को एक बार फिर इस्लामी देशों के संगठन आईओसी (इस्लामी ऑर्गेनाइजेशन ऑफ कोऑपरेशन) ने झटका दिया है। आईओसी ने 27 और 28 नवंबर को नियामी में होने वाले विदेश मंत्रियों की परिषद के 47वें अहम सत्र में कश्मीर मुद्दे को चर्चा से बाहर रखा है। उसने पाकिस्तान के आग्रह को भी खारिज कर दिया।
पाकिस्तानी विदेश मंत्री का आग्रह दरकिनार, औपचारिक एजेंडे में कश्मीर का जिक्र तक नहीं
पाकिस्तान के अखबार 'डॉन' ने बताया कि सऊदी नेतृत्व वाले आईओसी में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तानी आग्रह को दरकिनार कर दिए जाने से विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की जबरदस्त किरकिरी हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके दफ्तर ने बुधवार को ही बयान जारी करके एलान किया था कि वह मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर आईओसी में चर्चा करने वाले हैं जिसमें जम्मू-कश्मीर शामिल है।
डॉन ने कहा है कि रियाद में घोषित एजेंडे में कश्मीर का कोई जिक्र तक नहीं है। संगठन के महासचिव यूसेफ अल-ओथेमीन ने बताया कि आईओसी द्वारा आयोजित विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) की बैठक का मुख्य विषय है 'शांति और विकास के लिए आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता'। इसमें फलस्तीन, हिंसा के विरुद्ध जंग, कट्टरवाद और आतंक, इस्लामोफोबिया और रोहिंग्याओं के लिए फंड जुटाने जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
इन मुद्दों को उठाना चाहते थे शाह कुरैशी
पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने बैठक में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद छोड़ने से पूर्व कहा था कि वे आईओसी द्वारा आयोजित सीएफएम के दो दिनी सत्र में कश्मीर और इस्लामोफोबिया के मुद्दे को उठाएंगे। उन्होंने कहा, हम इस बैठक में मुस्लिम उम्माह (राष्ट्र) के सामने आने वाले मुद्दों पर बातचीत करेंगे। उन्होंने इस्लामी देशों के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने की बात भी कही। लेकिन आईओसी के औपचारिक एजेंडे में इनका कोई जिक्र नहीं किया गया।
बैठक में राजनीतिक, मानवीय मुद्दे भी शामिल
ओआईसी के महासचिव डॉ. यूसेफ अल-ओथेमीन ने अपने बयान में कहा है कि नियामी बैठक में फलस्तीन और रोहिंग्या फंडिंग के अलावा धार्मिक संवाद बढ़ाने और समन्वय पर चर्चा की जाएगी। बैठक के एजेंडे में राजनीतिक, मानवीय, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक तथा विज्ञान-प्रौद्योगिकी से संबंधित 'आईओसी-2025 : कार्ययोजना' आदि मुद्दों पर चर्चा शामिल रहेगी।