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शिया धर्मगुरु ने लिया इराक की राजनीति से संन्यास! घोषणा के बाद हिंसक हुआ माहौल

Subhi
30 Aug 2022 12:44 AM GMT
शिया धर्मगुरु ने लिया इराक की राजनीति से संन्यास! घोषणा के बाद हिंसक हुआ माहौल
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इराक की जाने माने नेता धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र ने सोमवार को देश की राजनीति से हटने की घोषणा कर दी. जिसके बाद उनके सैकड़ों समर्थकों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया.

इराक की जाने माने नेता धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र ने सोमवार को देश की राजनीति से हटने की घोषणा कर दी. जिसके बाद उनके सैकड़ों समर्थकों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया. इराक के चिकित्सा अधिकारियों ने कहा कि शिया धर्मगुरु की घोषणा के बाद विरोध प्रदर्शनों के दौरान दंगा रोधी पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में कम से कम 15 प्रदर्शनकारियों घायल हो गए. उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मियों ने इस दौरान आंसू गैस के गोले छोड़े, जिसमें और 12 से अधिक घायल हो गए. आपको बता दें कि इस दौरान अल-सद्र के सर्मथकों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें कम से कम तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई.

इराक में कर्फ्यू की घोषणा

इराक की सेना ने बढ़ते तनाव को शांत करने और झड़पों की आशंका को दूर करने के लिए से सोमवार को शहर भर में कर्फ्यू की घोषणा कर दी है. बताया जा रहा है कि सेना ने धर्मगुरु के समर्थकों से भारी सुरक्षा वाले सरकारी क्षेत्र से तुरंत हटने और हिंसक प्रदर्शन रोकने की अपील की है. इसी आशंका जताई जा रही है कि इराक में अभी और हिंसा भड़क सकती है. आपको बता दे इराक पहले से ही राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है.

मुक्तदा अल-सद्र ने संसद में पाई सीटें पर नहीं मिला बहुमत

इराक की सरकार में गतिरोध तब से आया है जब धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र की पार्टी ने अक्टूबर के संसदीय चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीती थी लेकिन वह बहुमत तक नहीं पहुंच पाये थे. उन्होंने आम सहमती वाली सरकार बनाने के लिए ईरान समर्थित शिया प्रतिद्वंद्वियों के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया था. इससे पहले भी अल-सद्र के समर्थकों ने जुलाई में सद्र विपक्षियों को सरकार बनाने से रोकने के लिए संसद में घुस गए और चार सप्ताह से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं. उनके गुट ने संसद से इस्तीफा भी दे दिया है.

पहले भी अल-सद्र ने कर चुके थे संन्यास की घोषणा

यह पहली बार नहीं है जब अल-सद्र ने सन्यास की घोषणा की है. वह इससे पहले भी ऐसी घोषणा कर चुके हैं. कई लोगों ने अल-सद्र के इस कदम को वर्तमान गतिरोध के बीच प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ बढ़त हासिल करने का एक और प्रयास करार दिया है. हालांकि कुछ ने यह आशंका जतायी है कि इस बार के उनके कदम से देश की स्थिति और बिगड़ सकती है.


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