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fइस्लामाबाद,(आईएएनएस)| पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपनी कानूनी टीम और पीएमएल-एन के कुछ नेताओं के साथ बैठक की और पंजाब विधानसभा के चुनावों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में संसद को सर्वोच्च बनाए रखने का संकल्प लिया। पार्टी के कानूनी जानकार संघीय कानून मंत्री आजम नजीर तरार, अटॉर्नी जनरल मंसूर उस्मान और पूर्व कानून मंत्री जाहिद हामिद ने पीएम शहबाज को उन संभावित परिणामों के बारे में जानकारी दी, जो शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद कानून बन जाने के बाद सरकार को झेलने पड़ सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) की स्वत: संज्ञान लेने और बेंच गठित करने की शक्तियों को कम करने की मांग करने वाले विधेयक के कार्यान्वयन को रोक दिया था।
शुक्रवार को बिल एक्ट बन गया।
एक सूत्र ने डॉन को बताया, प्रधानमंत्री को सरकार के कानूनी जानकारों ने बताया कि अगर सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश के उल्लंघन का संज्ञान लेता है, तो वह 'कानूनी रूप से सुरक्षित' हैं।
उन्होंने कहा कि कानूनी टीम ने प्रधानमंत्री को संभावित कार्रवाई के बारे में सूचित किया था कि 14 मई को पंजाब विधानसभा के चुनाव कराने के अपने आदेश की सरकार द्वारा अवज्ञा के लिए सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
उन्होंने कहा कि शरीफ ने पीएमएल-एन के सरदार अयाज सादिक और ख्वाजा साद रफीक के साथ एक ही दिन राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव कराने की तारीख पर आम सहमति बनाने के शीर्ष अदालत के आदेश पर भी चर्चा की।
सुप्रीम कोर्ट पंजाब में चुनाव कराने की याचिकाओं पर 27 अप्रैल को फिर से सुनवाई शुरू करेगा।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि पंजाब में 14 मई को होने वाले चुनाव के बारे में उसका आदेश बरकरार रहेगा।
सूत्रों ने बताया, राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की तारीख पर सत्तारूढ़ गठबंधन और पीटीआई के बीच आम सहमति की बहुत कम संभावना है। संसद और सुप्रीम कोर्ट के बीच यह लड़ाई अगले स्तर तक जाएगी, अंतत: लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए विनाशकारी साबित होगी।
--आईएएनएस
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