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लड़कियों के एकमात्र बोर्डिंग स्कूल की प्रिंसिपल हैं शबाना, तालिबान की क्रूरता का खुद भी किया है सामना, अपनी स्टूडेंट्स को सुरक्षित रखना है मकसद

Renuka Sahu
23 Aug 2021 1:43 AM GMT
लड़कियों के एकमात्र बोर्डिंग स्कूल की प्रिंसिपल हैं शबाना, तालिबान की क्रूरता का खुद भी किया है सामना, अपनी स्टूडेंट्स को सुरक्षित रखना है मकसद
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फाइल फोटो 

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से महिलाएं सबसे ज्यादा खौफ में हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान (Taliban) के कब्जे से महिलाएं सबसे ज्यादा खौफ में हैं. तालिबान का पिछला शासन उनके लिए किसी नरक से कम नहीं था. उन्हें अपने साथ-साथ अपने बच्चों को भी फिक्र है. तालिबानी आतंकी खासतौर पर लड़कियों को निशाना बना सकते हैं. इस बीच, अफगानिस्तान में लड़कियों के एकमात्र बोर्डिंग स्कूल (Afghanistan's Lone All-Girls Boarding School) की सह-संस्थापक ने सभी स्टूडेंट्स के रिकॉर्ड जला दिए हैं. इसकी वजह छात्राओं को आतंकियों से बचाना है.

Principal को सता रहा ये डर
बोर्डिंग स्कूल की सह-संस्थापक और प्रिंसिपल शबाना बासिज-रसिख (Shabana Basij-Rasikh) ने इस संबंध में बाकायदा ट्वीट (Tweet) भी किए हैं. उनका कहना है कि बच्चियों के रिकॉर्ड जलाने का उद्देश्य उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है. शबाना को डर है कि स्कूल के रिकॉर्ड की मदद से तालिबान बच्चियों तक पहुंचकर उन्हें प्रताड़ित कर सकता है. इसलिए उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालते हुए आतंकियों के पहुंचने से पहले ही सभी रिकॉर्ड आग के हवाले कर दिए हैं. शबाना को इल्म है कि तालिबानी लड़ाके इसके लिए उन्हें मौत के घाट उतार सकते हैं, लेकिन उन्हें केवल अपनी स्टूडेंट्स की चिंता है.
Shabana ने साझा किया व्यक्तिगत अनुभव
व्यक्तिगत अनुभव को याद करते हुए शबाना ने कहा कि मार्च 2002 में तालिबान के पतन के बाद हजारों अफगान लड़कियों को प्लेसमेंट परीक्षा में भाग लेने के लिए नजदीकी पब्लिक स्कूल में जाने के लिए आमंत्रित किया गया था, क्योंकि तालिबान ने सभी Female Students के रिकॉर्ड जला दिए थे, ताकि छात्राओं के अस्तित्व को ही मिटा दिया जाए, मैं भी उन लड़कियों में से एक थी. इस घटना के बाद मैंने अफगान की लड़कियों को शिक्षा प्रदान का मिशन शुरू किया.
इसलिए Tweet कर सबको बताया
शबाना बासिज-रसिख ने ऐसी लड़कियों को शिक्षा देने का संकल्प लिया, जो गरीब हैं और जिनके पास अफगानिस्तान से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है. गर्ल्स स्कूल की प्रिंसिपल ने कहा कि तालिबान के पिछले शासनकाल में महिलाओं की स्थिति नरक से भी बदतर थी. उन्होंने आगे कहा, मेरी सभी छात्राएं और बोर्डिंग स्कूल को चलाने में मदद करने वाले गांव के सभी लोग फिलहाल सुरक्षित हैं. मैंने रिकॉर्ड जलाने की बात इसलिए सार्वजनिक की, ताकि स्टूडेंट्स के परिवारों तक यह संदेश पहुंचा सकूं कि तालिबान दस्तावेजों के जरिए उन तक नहीं पहुंच पाएगा.
इस बार भी कुछ नहीं बदलेगा
इस्लामिक आतंकवादी संगठन तालिबान ने 1990 के दशक के अपने क्रूर शासन से अलग तरह का शासन इस बार चलाने का वादा किया है. पिछली बार अफगानिस्तान की महिलाओं को उनके घरों तक सीमित कर दिया गया था और नियम तोड़ने पर बाजार में महिलाओं की सार्वजानिक रूप से पिटाई की जाती थी. हालांकि, इस बार स्थिति इससे जुदा होगी ऐसी कोई संभावना नहीं है. क्योंकि पिछले कुछ दिनों में ही तालिबान की कथनी और करनी में अंतर साफ नजर आ चुका है. उसके आतंकी महिलाओं को प्रताड़ित कर रहे हैं, लड़कियों को जबरन उठाकर ले जा रहे हैं और अपने दुश्मनों को मौत के घाट उतार रहे हैं.


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