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अमेरिका में क्या 'पोस्टल बैलेट' से बनेगी सरकार, 6 करोड़ 52 लाख लोगो ने डाली वोटिंग

Neha Dani
5 Nov 2020 4:48 AM GMT
अमेरिका में क्या पोस्टल बैलेट से बनेगी सरकार, 6 करोड़ 52 लाख लोगो ने डाली वोटिंग
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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के रुझानों में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन रिपब्लिकन उम्मीदवार |

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के रुझानों में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन रिपब्लिकन उम्मीदवार और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भारी पड़ते नज़र आ रहे हैं. लेकिन ट्रंप भी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. इस बीच पोस्टल बैलेट से पड़े वोट को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. इस बार पोस्टल बैलेट यानी डाक के ज़रिए 6 करोड़ 52 लाख अमेरिकियों ने वोटिंग की है. ट्रंप का आरोप है कि पोस्टल बैलेट से पड़े वोटों की गिनती में धांधली हो रही है.

राष्ट्रपति पद के डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन ने कहा, "हम जानते हैं कि अर्ली वोटिंग में लोगों ने अभूतपूर्व तरीके से डाक से मतदान किया किया है, इसलिए नतीजे आने में थोड़ी देरी हो रही है. जब तक वोटों की गिनती करने की कड़ी मेहनत खत्म नहीं हो जाती, तब तक हम धैर्य बनाए रखेंगे और हर मतपत्र को गिनने तक यह खत्म नहीं होगा."

बाइडेन नतीजों में देरी के लिए जिस मेल इन वोट का जिक्र कर रहे हैं, उसे साधाराण भाषा में पोस्टल बैलेट यानी डाक से भेजा गया मत भी कहते हैं.

1861 के गृह युद्ध के दौरान हुई डाक से वोटिंग की शुरुआत

अमेरिका में डाक से मतदान की शुरुआत 1861 के गृह युद्ध के दौरान हुई, शुरुआत में सिर्फ सैनिकों को पोस्टल वोटिंग की इजाजत थी, लेकिन बाद में इसका दायरा बढ़ता चला गया. 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में अमेरिका के 33 राज्यों और डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया में लोगों ने डाक से मतदान किया. 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में भी हर चार में से एक वोटर ने इसी प्रक्रिया के जरिए अपना वोट डाला था.

अब इन मेल बैलेट्स को लेकर भी अमेरिका के अलग अलग राज्यों में अलग अलग नियम हैं. कई राज्यों में केवल उन डाक मतपत्रों को वैध माना जाता है, जो वोटिंग के दिन तक चुनाव आयोग के पास पहुंच जाते हैं. जबकि मिशिगन, नार्थ कैरोलाइना, जॉर्जिया जैसे राज्यों में वोटिंग के बाद भी पहुंचे वोटों की गिनती की जाती है. पेन्सिलवेनिया ने भी पिछले साल नियम बदलकर वोटिंग के बाद भी आए पोस्टल बैलेट्स को कानूनी मान्यता दी है. और इसी बात से मौजूदा राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप नाराज हैं. ट्रंप का आरोप है कि इन मेल इन वोट में बड़े पैमाने पर धांधली हो रही है.

ट्रंप का धांधली का आरोप

धांधली का आरोप लगाते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "बीती रात हम डेमोक्रेट्स के कब्जे वाले कई राज्यों में आगे चल रहे थे, फिर एक-एक करके वो जादुई रूप से गायब होने शुरू हो गए. ये सब सरप्राइज बैलेट की गिनती की वजह से हुआ. वो हर जगह बाइडेन के वोटों की तलाश कर रहे हैं, पेन्सिलवेनिया, विसकॉन्सिन, मिशिगन में. ये हमारे देश के लिए बहुत बुरा है."

ट्रंप की टीम ने तो मिशिगन के बाइडेन के पक्ष के आए नतीजों को कोर्ट में चुनौती भी दे दी है. इसी तरह पेन्सिलवेनिया में भी डाक मतपत्रों की गिनती को रोकने के लिए ट्रंप सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं.

ट्रंप को मेल इन वोट से डर क्यों?

इस सवाल का जवाब जानने के लिए आपको मई महीने की उन तस्वीरों को याद करना होगा, जब मिनेसोटा में एक पुलिसवाले ने जॉर्ज फ्लॉयड नाम के अश्वेत की बेरहमी से हत्या कर दी थी और ट्रंप पुलिस के बचाव में खड़े थे. इस घटना के बाद पूरे अमेरिका दंगे हुए और अश्वेतों ने ट्रंप के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन किए.

माना जा रहा है कि इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में डाक मतपत्रों से वोट करने वाले ज्यादातर लोग अश्वेत हैं, जिन्होंने ट्रंप के खिलाफ वोट किया है. यही वजह है कि ट्रंप स्विंग स्टेट्स में मेल इन वोट की गिनती रुकवाना चाहते हैं और बाइडेन एक-एक वोट की गिनती पर अड़े हैं.

अकेले पेन्सिलवेनिया में ही करीब 30 लाख लोगों ने डाक मतपत्र से वोट किया है, जो कुल वोटों की एक तिहाई से भी ज्यादा हैं और अगर इसमें से आधे भी बाइडेन के पक्ष में गए तो ट्रंप की वापसी मुश्किल हो जाएगी.

पेन्सिलवेनिया के गवर्नर टॉम वुल्फ का कहना है, "लोकतंत्र के लिए हर वोट की गिनती जरूरी है. हम 1787 से ये वादा निभाते आए हैं. मैं यहां ये सुनिश्चित करूंगा की पेन्सिलवेनिया में हम ये वादा निभाएं. अगर देरी हो रही है तो ये दर्शाता है कि हमारा सिस्टम सही काम कर रहा है. पेन्सिलवेनिया में 30 लाख मेन इन वोट हैं, जिनकी गिनती हो रही है."

डाक वोट में हेरफेर करना मुश्किल

मेल इन वोट्स को लेकर ट्रंप जो भी आरोप लगाएं, लेकिन इन पोस्टल बैलेट्स में धांधली बेहद मुश्किल है. इसके लिए वोटरों को पहले रजिस्ट्रेशन करवाना होता है, इसके बाद चुनाव विभाग डाक से ही वोटर के पते पर मतपत्र भेजता है, जो नोट की तरह के खास कागज से बने होते हैं. इस पर खास तरह के तकनीकी चिन्ह भी होते हैं, गिनती के वक्त चुनाव अधिकारी मतपत्र से लेकर दस्तखत तक का मिलान करते हैं, तभी उसे वैध पोस्टर बैलेट माना जाता है.

अमेरिका में इस बार पोस्टल वोटिंग ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. अश्वेत आंदोलन के साथ-साथ कोरोना भी इसकी एक बड़ी वजह है. ये दोनों मुद्दे ट्रंप के खिलाफ जाते हैं, ऐसे में अगर इन पोस्टल वोटर्स की चली तो ट्रंप की विदाई तय मानिए.

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