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नए अध्ययन का सनसनीखेज दावा: वुहान की लैब में चीनी विज्ञानियों ने ही बनाया था कोरोना वायरस

Deepa Sahu
30 May 2021 2:56 PM GMT
नए अध्ययन का सनसनीखेज दावा:  वुहान की लैब में चीनी विज्ञानियों ने ही बनाया था कोरोना वायरस
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कोरोना वायरस की उत्तपत्ति का पता लगाने के लिए दोबारा जांच की बढ़ती मांग

लंदन, कोरोना वायरस की उत्तपत्ति का पता लगाने के लिए दोबारा जांच की बढ़ती मांग के बीच एक नए अध्ययन में सनसनीखेज दावा किया गया है। इसमें कहा गया है कि इस वायरस को चीन के विज्ञानियों ने वुहान की लैब में ही तैयार किया था। इसके बाद इस वायरस को रिवर्स-इंजीनियरिंग वर्जन से छिपाने की कोशिश की, जिससे यह लगे कि कोरोना वायरस चमगादड़ से प्राकृतिक रूप से विकसित हुआ है।

चीनी विज्ञानियों ने अपनी करतूत पर पर्दा डालने के लिए रिवर्स-इंजीनियरिंग वर्जन का लिया सहारा
ब्रिटेन के प्रोफेसर एंगस डल्गलिश और नार्वे के विज्ञानी डा. बिर्गर सोरेनसेन द्वारा किए गए नए अध्ययन से चीन के खिलाफ शक और गहरा गया है। अध्ययन के हवाले से डेली मेल ने कहा है कि इसके कोई प्रमाण नहीं हैं कि नोवेल कोरोना वायरस सार्स-कोव-2 वायरस प्राकृतिक रूप से पैदा हुआ है। यह वुहान की लैब में 'गेन आफ फंक्शन' प्रोजेक्ट पर काम करने वाले चीनी विज्ञानियों द्वारा तैयार किया गया है। यह प्रोजेक्ट प्राकृतिक वायरस में फेरबदल कर उन्हें अधिक संक्रामक बनाने से जुड़ा है, जिसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने गैरकानूनी घोषित किया था।
नए अध्ययन में किया गया दावा, कहा-चमगादड़ से प्राकृतिक रूप से नहीं पनपा वायरस
इस शोध अध्ययन में दावा किया गया है कि चीन के विज्ञानियों ने वहां की गुफा में रहने वाले चमगादड़ों से प्राकृतिक कोरोना वायरस निकाला और फिर उसे स्पाइक से चिपकाकर बहुत ही घातक और तेजी से फैलने वाला कोविड-19 बना दिया। अखबार ने दावा किया है कि शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के सैंपल में एक 'यूनिक फिंगरप्रिंट' पाया है, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि ऐसा लैब में वायरस के साथ छेड़छाड़ करने पर ही संभव है।
डल्गलिश और सोरेनसेन अपने अध्ययन में लिखते हैं कि प्रथम दृष्टया उनके पास एक साल से चीन में कोरोना वायरस पर रेट्रो-इंजीनियरिंग के सुबूत हैं, लेकिन उनकी रिपोर्ट को कई अकेडमिक्स और प्रमुख जर्नल ने अनदेखा कर दिया। इस अध्ययन में आरोप लगाया गया है कि चीन की लैब में जानबूझकर डाटा को नष्ट किया गया, छिपाया गया या उनके साथ छेड़छाड़ की गई।
जिन विज्ञानियों ने इसको लेकर आवाज उठाई, उन्हें चीन की सरकार ने या तो चुप करा दिया या गायब करा दिया। इस नए अध्ययन के बाद वायरस को बनाने में चीन की भूमिका को लेकर जारी बहस के और गंभीर होने की संभावना है। वैज्ञानिक जर्नल क्वार्टरली रिव्यू आफ बायोफिजिक्स डिस्कवरी में जल्द ही प्रकाशित होने वाले 22 पेज के इस शोध पेपर में डल्गलिश और सोरेनसेन ने उन एक-एक कडि़यों को जोड़ा है कि किस तरह से चीनी विज्ञानियों ने कोरोना वायरस तैयार करने के लिए उपकरण बनाए, इनमें से कुछ अमेरिकी यूनिवर्सिटी के साथ भी काम करते हैं।
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