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वरिष्ठ चीनी मंत्री ने जटिल अफगान स्थिति के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त की, अब हुआ अपनी गलती का एहसास

Neha Dani
30 Dec 2021 10:36 AM GMT
वरिष्ठ चीनी मंत्री ने जटिल अफगान स्थिति के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त की, अब हुआ अपनी गलती का एहसास
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रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के वैचारिक एजेंडे से बीजिंग हमेशा से असहज रहा है.

चीन (China) को अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के साथ दोस्ती करने के बाद अपनी गलती का एहसास हो रहा है. एक मीडिया रिपोर्ट में ये कहा गया है. अल अरबिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजिंग (Beijing) तालिबान (China-Taliban Relations) में विश्वास खोता हुआ प्रतीत होता है जो लंबे समय से आतंकवाद के समर्थन और महिलाओं के दमन के कारण दुनिया में प्रसिद्ध है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अफगानिस्तान में मौजूदा हालात पर चीन ने अपने विचार स्पष्ट कर दिए हैं. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद तालिबान और चीन के बीच दोस्ती बढ़ी थी.

हाल ही में एक वरिष्ठ चीनी मंत्री ने जटिल अफगान स्थिति के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने चिंता जताई कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल ISIS और अल-कायदा (Al-Qaeda) सहित आतंकवादी समूह क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए कर रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया, ऐसा लगता है कि चीन को अफगानिस्तान में तालिबान से दोस्ती करने पर अपनी गलती का एहसास हो गया है. चार महीने पहले, चीन अगस्त में युद्धग्रस्त मुल्क में तालिबान के साथ दोस्ती करने वाले पहले कुछ देशों में शामिल था. वहीं. चार महीने बाद बीजिंग तालिबान को लेकर अपना विश्वास खोता जा रहा है.
आतंक को लेकर चिंतित है चीन
इससे पहले, 22 दिसंबर को चीनी सहायक विदेश मंत्री वू जियानघाओ (Wu Jianghao) ने कहा था कि जिन आतंकवादी संगठनों के लिए सीमाओं का कोई अर्थ नहीं है, उनसे अकेले एक देश द्वारा नहीं लड़ा जा सकता है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद से निपटने के लिए हाथ मिलाना चाहिए. 28 अक्टूबर को, चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि अफगान स्थिति में बदलाव ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी स्थिति को जटिल बना दिया है. इसने कहा कि आतंकवादी ताकतों द्वारा इंटरनेट और उभरती टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग एक गंभीर समस्या बन गई है.
अफगानिस्तान को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा बनाना चाहता है चीन
तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया था और इसके बाद से देश गहराते आर्थिक, मानवीय और सुरक्षा संकट से जूझ रहा है.कई सालों से अफगानिस्तान के खनिज संसाधनों पर नजर रखने वाले चीन ने इसे बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत शामिल करने का फैसला किया है. लेकिन चीन ने अगस्त के बाद इस दिशा में बहुत कम काम किया है. दरअसल, चीन शिनजियांग में अपने सुन्नी उइगरों को लेकर चिंतित है, क्योंकि उसे डर है कि ये लोग तालिबान के साथ मिल सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के वैचारिक एजेंडे से बीजिंग हमेशा से असहज रहा है.


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