लाल रंग की मिट्टी, हल्के भूरे पहाड़ी इलाके, हवा के साथ उड़ती रेत और दूर तक फैलीं चट्टानें। यह नजारा कहां हो सकता है? तस्वीर देखकर किसी को भी कन्फ्यूजन हो सकती है कि कैमरे में कैद यह अद्भुत दुनिया धरती पर ही है या मंगल पर?
शायद यही वजह है कि मंगल ग्रह पर जीवन के निशान या संभावना खोज में दुनियाभर के वैज्ञानिक जुटे रहते हैं। माना जाता है कि आज जैसा हमारा ग्रह है, वैसा कभी लाल ग्रह भी हुआ करता था। इसका सबूत मिलता है अंतरिक्ष से ली गईं तस्वीरों में जिनमें पहचानना मुश्किल है कि ये धरती की हैं या मंगल ग्रह की।
तस्वीर में Bokpoort सोलर पावर प्लांट भी दिख रहा है जो कालाहारी पर पड़ने वाली असीमित सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करता है। साल 2015 से काम कर रहे इस प्लांट में 2, 40,000 शीशे 0.65 स्क्वेयर किलोमीटर में फैले हुए हैं। फोटोवॉल्टेइक सोलर पैनल्स से अलग ये प्लांट शीशे की मदद से सूरज की ऊर्जा को नमक से भरे स्टोरेज टैंक में स्टोर करता है। सूरज की गर्मी से नमक पिघलता है, जिसकी हीट स्टोरेज क्षमता काफी ज्यादा होती है। इस गर्मी से टरबाइन चलती है और बिजली पैदा होती है।