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सीक्रेट ऑपरेशन का खुलासा- मोसाद के स्नाइपर ने किया था ईरानी परमाणु वैज्ञानिक को टारगेट

Gulabi
19 Sep 2021 7:14 AM GMT
सीक्रेट ऑपरेशन का खुलासा- मोसाद के स्नाइपर ने किया था ईरानी परमाणु वैज्ञानिक को टारगेट
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सीक्रेट ऑपरेशन का खुलासा

वॉशिंगटन, सितंबर 19: दुनिया में कई ऐसे ऑपरेशंस को अंजाम दिए गये हैं, जिनके बारे में उस वक्त पता नहीं चलता, जब उसे अंजाम दिया जाता है, बल्कि उसका पता कई सालों के बाद तब पता चलता है, जब उस ऑपरेशन में शामिल कोई एजेंट या कोई अधिकारी उसका खुलासा करे। एक ऐसे ही खतरनाक ऑपरेशन का खुलासा किया गया है न्यूयॉर्क टाइम्स के द्वारा। ये खुलासा तीन देशों के खुफिया अधिकारियों से लगातार बातचीत के आधार पर किया है और कई अधिकारियों के इंटरव्यू के बाद पता चला है कि आखिर कैसे अमेरिका और इजरायल ने ईरान के सबसे बड़े परमाणु वैज्ञानिक का कत्ल किया था। इस ऑपरेशन का एक-एक हिस्सा हैरतअंगेज कारनामों से भरा हुआ है।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने अमेरिका, इजरायल और ईरान के दर्जनों खुफिया अधिकारियों से बात करने के बाद आधार पर ईरान के न्यूक्लियर वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह, जिन्हें ईरान का 'फादर ऑफ एटोमिक प्रोग्राम' भी कहा जाता है, उनकी हत्या का खुलासा किया है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, ईरान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक को मारने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और कई कैमरों से जुड़े मशीन गन का इस्तेमाल किया गया था, जो एक मिनट में 600 गोलियां दागने में सक्षम है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मशीन गन को रोबोटिक टेक्नोलॉजी से तैयार किया गया था और एक हजार मील की दूरी से रिमोट कंट्रोल के जरिए इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के स्नाइपर ने निशाना लगाया था। यानि, एक हजार मील की दूरी से बैठकर एक स्नाइपर ने ईरान के न्यूक्लियर साइंटिस्ट की हत्या की थी।
ऑपरेशन से जुड़े अमेरिकी-इजरायली अधिकारियों ने बताया कि ईरान के परमाणु वैज्ञानिक की हत्या करने के लिए बकायदा काफी दिनों तक प्लानिंग की गई थी और इजरायल की खुफिया एजेंसी के स्नाइपर ने करीब एक हजार मील की दूरी से उनपर हमला किया था। अधिकारियों ने खुलासा किया कि मोसाद के स्नाइपर ने रिमोट कंट्रोल के जरिए मशीन गन का ट्रिगर खींचा था। अधिकारियों ने कहा कि इजरायली स्नाइपर एक हजार मील की दूरी पर था और वो लगातार सैटेलाइट तस्वीरों को देख रहा था। अधिकारियों ने हमले के बार में विस्तृत खुलासा करते हुए कहा कि, जिस घातक बंदूक से ईरानी वैज्ञानिक के ऊपर चलाया गया था, उसे एक पिकअप ट्रक में रखा गया था, जो टार्गेट के इंतजार में था।
अधिकारियों ने खुलासा किया है कि कैमरे लगे मशीन गन को एक पिकअप ट्रंक में रखकर टार्गेट का इंतजार किया जा रहा था। ये मशीन गन ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जुड़ा हुआ था और इसमें काफी हाइटेक कैमरे लगे हुए थे। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को इस तरह से प्रोग्राम किया गया था कि, ईरान और अज्ञात जगह पर मौजूद स्नाइपर की जगह के बीच 1.6 सेकेंड्स का समय अंतराल था, उसकी समस्या को भी खत्म किया गया। इसके साथ ही बंदूक से गोली निकल जाने से लेकर कार में बैठे ईरानी वैज्ञानिक को गोली लगने तक की हलचल को वो रिकॉर्ड कर सके। कितनी सटीकता से मोसाद के स्नाइपर ने ऑपरेशन को अंजाम दिया, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि जब ईरान के वैज्ञानिक को एक हजार मील की दूरी से गोली मारी गई थी, उस वक्त उस कार में वैज्ञानिक की बगल वाली सीट पर उनकी पत्नी बैठी थीं, फिर भी वैज्ञानिक की पत्नी को खरोंच तक नहीं आई।
ऑपरेशन में शामिल अधिकारियों ने खुलासा किया है कि एक जासूसी कार की मदद से ईरान वैज्ञानिक की कार की स्पीड को कम किया गया था। अधिकारियों के मुताबिक, ईरान वैज्ञानिक अपनी कार को एक मोड़ से यू-टर्न लेने वाले थे और इस जगह पर कैमरों से लैस एक जासूसी कार को सेट किया गया था, ताकि ईरानी वैज्ञानिक की ना सिर्फ शिनाख्त की जा सके, बल्कि उनकी कार की स्पीड को भी कम किया जा सके। कैमरे से देखा जा रहा था कि वैज्ञानिक कार में किस सीट पर बैठे हैं और वो क्या कर रहे हैं। खुफिया अधिकारियों ने कहा कि उस कार के जरिए हम ये भी पुष्टि करना चाहते थे कि हमारा मिशन कामयाब हुआ या नहीं
ईरान के न्यूक्लियर वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह को बेहद सीक्रेट रखा जाता था और उन्हें उनके अड्डे से बाहर निकालने के लिए इजरायल ने कई साल पहले ही प्लान तैयार कर लिया था और उन्हें उनके सीक्रेट अड्डे से बाहर लाने के लिए मोसाद के एजेंट ने कई प्लॉट तैयार किए थे। इजरायल को पक्की जानकारी थी कि मोहसिन फखरीजादेह कुछ ही सालों में ईरान के लिए न्यूक्लियर हथियार बनाने में कमयाब हो जाएंगे, जो उसके लिए खतरा होगा। लिहाजा मोसाद के एजेंट्स ने ऐसे-ऐसे प्लॉट तैयार किए थे, कि वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह को सीक्रेट अड्डे से बाहर निकलने के लिए मजबूर होना पड़ा, और मोसाद के एजेंट इसी ताक में बैठे हुए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, पहले ये ऑपरेशन धीरे-धीरे चल रहा था, लेकिन जब ये तय होने लगा कि डोनाल्ड ट्रंप फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं चुने जाएंगे, तो फिर इस ऑपरेशन को और ज्यादा तेज कर दिया गया। इजरायल के अधिकारियों का मानना था कि अगर जो बाइडेन सत्ता में आते हैं, तो वो ईरान के साथ परमाणु हथियारों को लेकर फिर से समझौता कर लेंगे, ऐसे में इजरायल ने डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में ही ईरानी परमाणु वैज्ञानिक को मारने की पूरी प्लानिंग तैयार कर ली।
इजरायली अधिकारियों ने हमले को अंजाम देने के लिए ड्रोन की जगह पर मशीन गन को चुना। इसके पीछे वजह ये थी कि ड्रोन का पता लगाना काफी आसान होता है, जबकि मशीन को आसानी से छिपाया जा सकता था। एक खुफिया अधिकारी ने न्यूयॉर्क टाइम्
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