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देशों के मुसलमानों को इस बार भी निराशा का सामना करना पड़ा है.
मुस्लिम (Muslim) समुदाय के पवित्र शहर मक्का (Mecca) में शनिवार से तीर्थ यात्रियों का आना शुरू हो जाएगा. इस सालाना हज यात्रा में हिस्सा लेने के लिए कोविड वैक्सीन के दोनों डोज लेना अनिवार्य है. साथ ही तीर्थयात्रियों के लिए उम्र की सीमा 18 से 65 साल तय की गई है. दरअसल, सऊदी अरब (Saudi Arab) चाहता है कि वो इस साल भी पिछले साल की तरह इस यात्रा को सफलतापूर्वक संपन्न कराए, जो कि लगभग कोविड (Covid) फ्री रही थी.
लॉटरी के जरिए चुने गए नाम
अस यात्रा में सऊदी अरब में रहने वाले 60,000 निवासियों को लॉटरी (Lottery) के जरिए चुना जा रहा है. तीर्थयात्रियों की यह संख्या पिछले साल की तुलना में तो ज्यादा है, लेकिन हर साल हज पर आने वाले यात्रियों से काफी कम है. इस यात्रा के लिए पूर्वी शहर दम्मम में रहने वाले 58 वर्षीय भारतीय ऑयल कॉन्ट्रेक्टर अमीन को परिवार सहित चुन लिया गया है. अमीन ने एएफपी से कहा, 'हम बहुत खुश हैं, क्योंकि हमारे कई दोस्त और रिश्तेदारों को रिजेक्ट कर दिया गया है.'
इस्लाम समुदाय के लोग अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार हज पर जाने की कोशिश जरूर करते हैं. 2019 में ही इस यात्रा में दुनिया भर से आए 25 लाख मुसलमानों ने हिस्सा लिया था.
काबा की मस्जिद को किया जा रहा डिस्इंफेक्ट
इस महीने की शुरुआत में हज मंत्रालय ने कहा था कि वह महामारी और उसके नए वैरिएंट्स को देखते हुए सेहत संबंधी हाई लेवल सुरक्षा उपाय लागू कर रहा है. हज यात्रा शुरू होने से पहले काबा (Kaaba) के पास की बड़ी मस्जिद को डिस्इंफेक्ट किया जा रहा है. रविवार को आधिकारिक तौर पर हज यात्रा शुरू करने से पहले शनिवार को श्रद्धालु काबा की परिक्रमा शुरू करेंगे.
20-20 के समूह में रहेंगे तीर्थयात्री
हज मंत्रालय के अवर सचिव मोहम्मद अल-बिजावी ने आधिकारिक मीडिया को बताया कि तीर्थयात्रियों को 20-20 लोगों के जत्थों में बांटा जाएगा, ताकि यदि संक्रमण फैले भी तो अधिकतम उन 20 लोगों तक ही सीमित रहे.
सऊदी अरब में अब तक 5,07,000 से ज्यादा कोरोना वायरस मामले और 8,000 से ज्यादा मौतें दर्ज हुईं हैं. 3.4 करोड़ की आबादी वाले देश में 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दिए जा चुके हैं. अन्य खाड़ी देशों की तरह सऊदी अरब में भी दक्षिण एशिया, पूर्व और मध्य पूर्व और अफ्रीका के लोग रहते हैं. इन लोगों को भी यात्रा के लिए लॉटरी के जरिए चुना गया है. वहीं भारत समेत विभिन्न देशों के मुसलमानों को इस बार भी निराशा का सामना करना पड़ा है.
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