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वैज्ञानिक क्वेजार के जरिए सुलझाएंगे ब्रह्माण्ड के रहस्य

Gulabi
26 Jun 2021 4:28 PM GMT
वैज्ञानिक क्वेजार के जरिए सुलझाएंगे ब्रह्माण्ड के रहस्य
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ब्रह्माण्ड (Universe) के सबसे चमकीले पिंड क्वेजार (Quasar) हमारे वैज्ञानिकों के लिए बहुत कौतूहल का विषय रहे

ब्रह्माण्ड (Universe) के सबसे चमकीले पिंड क्वेजार (Quasar) हमारे वैज्ञानिकों के लिए बहुत कौतूहल का विषय रहे हैं. आमतौर पर गैलेक्सी के केंद्र में पाए जाने वाले ये पिंड ब्लैक होल से शक्ति हासिल करते हैं. इनका भार हमारे सूर्य के भार से अरब गुना तक होता है. करीब आधी सदी पहले ही खोजे गए ये पिंड ब्लैक होल में गिरते पदार्थ से ऊर्जा लेते हैं और शानदार लेकिन सबसे चमकीले विकरण उत्सर्जित करते हैं. अब हमारे वैज्ञानिक इन क्वेजार का अध्ययन कर ब्रह्माण्ड के कई रहस्यों को जानने का प्रयास करेंगे. इसकी वजह एक तो इनकी उम्र है और दूसरी, नासा (NASA) का शक्तिशाली जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप अंतरिक्ष में स्थापित होने से इनके अवलोकन काफी जानकारी मिल सकेगी.

इस साल के अंत से पहले नासा (NASA) का जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) प्रक्षेपित होकर अंतरिक्ष में स्थापित हो जाएगा. इंफ्रारेड तरंगों पर काम करने वाला यह टेलीस्कोप इतना शक्तिशाली होगा कि सुदूर पिंडों से आने वाली उन इंफ्रारेड तरंगों को पकड़ सकेगा जिन्हें वर्तमान टेलीस्कोप नहीं पकड़ पाते हैं. जेम्स वेब टेलीस्कोप के जरिए छह सुदूर और चमकीले क्वेजार (Quasar) का वैज्ञानिकों की एक टीम अध्ययन करेगी. टेलीस्कोप क्वेजार और उनके गैलेक्सी के जरिए शुरुआती ब्रह्माण्ड की रहस्यों का खुलासा करने का प्रयास करेगी.
इन क्वेजार (Quasar) के गुणों का अध्ययन करने के बाद वैज्ञानिक गैलेक्सी (Galaxy) और क्वेजार के बीच के संबंध का निर्धारित करने का प्रयास भी करेंगे जो उनके बीच ब्रह्माण्ड (Universe) की शुरुआत में ही स्थापित हो गया था. स्पेन के मैड्रिड के सेंटर ऑफ एस्ट्रोबायोलॉजी के एस्ट्रोफिजिक्स विभाग के शोधकर्ता प्रोफेसर सैंटियागो एरिबास ने बताया, "ये सभी क्वेजार, जिनका हम अध्ययन कर रहे हैं वे तब से मौजूद हैं जब ब्रह्माण्ड की उम्र करीब 80 करोड़ साल ही थी. यानि आज की उम्र की 6 प्रतिशत ही थी.
एरिबास का कहना है कि इसी वजह से इनके अवलोकन से उनकी टीम गैलेक्सी के विकास का अध्ययन कर सकेगी और साथ ही सुपरमासिव ब्लैकहोल (SMBH) के भी निर्माण और विकास का भी जो इस बहुत शुरुआती दौर में बने थे. अंतरिक्ष का विस्तार क्वेजार (Quasar) के प्रकाश जितना लंबा है. इसे ब्रह्माण्डीय रेडशिफ्ट कहा जाता है. प्रकाश जितनी ज्यादा दूर तक सफर करता है स्पैक्ट्रम में उतना ही ज्यादा रेडशिफ्ट दिखता है. अवरक्त या इंफ्रारेड संयोजित उपकरणों से सुसज्जित होने के कारण जेम्स वेब टेलीस्कोप (JWST) इस तरह के प्रकाश के अध्ययन के लिए सबसे उपयुक्त है.
ब्रिटिश कोलंबिया, विक्टोरिया में नेशनल रिसर्च काउंसिल ऑफ कनाडा के शोधकर्ता वैज्ञानिक क्रिसा विलोट का कनहा है कि वे बहुत ही चमकीले क्वेजार (Quasar) के अवलोकन के इसलिए इच्छुक हैं क्योंकि इससे बहुत ही ज्यादा तादात में उर्जा निकलती है. इससे उनकी गैलेक्सी (Galaxy) पर सबसे ज्यादा असर भी होता होगा. विलोट क्वेजार का तब अध्ययन करना चाहते हैं जब वह अपने गैलेक्सी पर सबसे अधिक असर डालेगा.
क्वेजार (Quasar) को पृष्ठभूमि के प्रकाश स्रोत की तरह उपयोग कर जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) हमारे और क्वेजार के बीच स्थित गैस का अध्ययन करेगा. इमेजिंग स्पैक्ट्रोस्कोपी तकनीक का उपोयग कर वैज्ञानिक बीच की गैस के अवलोनक रेखाओं का अध्ययन करेंगे जिससे वे गैस की जानाकारी ले सकेंगे. गैस तटस्थ है, आयनीकृत है जैसी जानकारी हासिल कर वैज्ञानिक जानेंगे कि ब्रह्माण्ड (Universe) कितना तटस्थ है और इस समयबिंदु पर कितना आयनीकरण हो चुका है.
कनाडा की स्पेस एजेंसी से जुड़ी और इस अध्ययन में शामिल कैमिला पैसिफिसी बाल्टीमोर स्पेस टेलिस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट में उपकरण वैज्ञानिक हैं. उनका कहना है कि ब्रह्माण्ड (Universe) के अध्ययन के लिए पृष्ठभूमि स्रोतों को बहुत चमकदार होने की जरूरत होती है. क्वेजार (Quasar) इसके लिए बहुत उपयुक्त है क्योंकि यह इतना चमकीला है कि इसे हमें साफ देख सकते हैं. शोधकर्ता ब्रह्माण्ड की शुरुआत के बारे में जानकर उसके उदय (Origin of Universe) का अध्ययन करना चाहते हैं.


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