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वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन को बताया नया खतरा, क्लाइमेट चेंज से इंसानों की लंबाई और दिमाग पर पड़ सकता है असर

Neha Dani
10 July 2021 9:01 AM GMT
वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन को बताया नया खतरा, क्लाइमेट चेंज से इंसानों की लंबाई और दिमाग पर पड़ सकता है असर
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करीब 11,650 साल पहले से ही इंसान का दिमाग सिकुड़ना शुरू हो गया था.

वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन का नया खतरा बताया है. वैज्ञानिकों का कहना है, जलवायु परिवर्तन (Climate Change) इंसान की लम्बाई और दिमाग (Brain) को छोटा कर सकता है. पिछले लाखों सालों में इसका असर इंसान की लम्बाई-चौड़ाई पर पड़ा है. इसका सीधा कनेक्शन तापमान से है. यह दावा कैम्ब्रिज और टबिजेन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है. जिस तरह से साल-दर-साल तापमान में इजाफा हो रहा है और गर्मी बढ़ रही है, उस पर वैज्ञानिकों की यह रिसर्च अलर्ट करने वाली है.

रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों ने दुनियाभर से इंसानों के 300 से अधिक जीवाश्म देखे. इनके शरीर और ब्रेन के आकार की जांच की. जांच में सामने आया कि इंसानों के हर जीवाश्म ने जलवायु परिवर्तन की मार झेली है. अफ्रीका में इंसानों की प्रजाति होमो की उत्पत्ति 3 लाख साल पहले हुई थी, लेकिन ये इससे भी ज्यादा पुराने है. इसमें इंसानों की और प्रजातियां भी शामिल हुईं, जैसे- नियंडरथल्स, होमो इरेक्टरस, होमो हेबिलिस. इंसानों के विकास पर गौर करें तो इनके शरीर और मस्तिष्क का आकार बढ़ता रहा है. वर्तमान इंसान की तुलना में होमो हेबिलिस 50 गुना अधिक भारी थे और इनका दिमाग 3 गुना तक बड़ा था.
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर एंड्रिया मेनिका कहती हैं, हमारी रिसर्च यह इशारा करती है कि लाखों सालों से तापमान ही शरीर के आकार में बदलाव लाने वाला अहम फैक्टर रहा है. जिस तरह आज ठंडी जलवायु वाली जगहों पर इंसान का शरीर बढ़ता है और गर्म तापमान वाले क्षेत्र में रहने वालों का शरीर छोटा होता है, उसी तरह जलवायु परिवर्तन ने हमेशा से ही इंसान के शरीर पर असर डाला है. नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, इंसान का शरीर अलग-अलग तरह के तापमान के साथ खुद को एडजस्ट कर लेता है. करीब 11,650 साल पहले से ही इंसान का दिमाग सिकुड़ना शुरू हो गया था.

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