x
मंगल पर आवाज की गति
आवाज के अनुभव (Experience of Sound) को लेकर माध्यम पर काफी कुछ निर्भर करता है. जिस तरह की आवाज में पृथ्वी की हवा में पर सुनते हैं, वही पानी में उसकी गति काफी बदल जाती है. ऐसे में वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे थे कि मंगल ग्रह पर भी जब आवाज (Sound on Mars) सुनने के प्रयास किया जाएगा तो एक अलग ही अनुभव होगा. नासा के इसके लिए अपने पर्सिवियरेंस रोवर (Perseverance Rover) में सुपरकैम के साथ एक माइक्रोफोन भी लगाया जिससे मंगल पर आवाज की गति की जानकारी हासिल की जा सके. इस प्रयोग के नतीजों ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया.
अजीब तरह के नतीजे
इस अध्ययन से पता चला है कि भविष्य में मंगल ग्रह पर संचार के अजीब तरह के नतीजे मिल सकते हैं. पड़ताल सुझाती है कि मंगल के वायुमडंल में बात करने की कोशिश एक अजीब तरह का प्रभाव दे सकती है. इस अध्ययन के नतीजों का ऐलान 53वीं लूनार एंड प्लैनेटरी साइंस कॉन्फ्रेंस में लॉस अलामोस नेशनल लैबोरेटरी के वैज्ञानिक बैप्तिस्ते चाइड ने किया.
घनत्व और तापमान का असर
अध्ययन के अनुसार मंगल ग्रह की सतह पर तापमान में उच्च उतार चढ़ाव इस विषय पर और ज्यादा अध्ययन की मांग की करते हैं. ध्वनि या आवाज की गति सार्वभौमिक अचर राशि नहीं है. यह माध्यम के घनत्व और तापमान के कारण बदल सकती है. धने माध्यम में यह तेज चलती है. पृथ्वी की सतह के वायुमडंल पर 20 डिग्री के तापमान पर यह 343 मीटर प्रति सेंकड की गति से चलती है, तो पानी में 1480 और स्टील में 5100 मीटर प्रति सेकंड से गतिमान होती है.
मंगल का वायुमंडल
मंगल ग्रह का वायुमडंल का धनत्व 0.0303 किलोग्राम प्रति घन मीटर है जबकि पृथ्वी के वायुमंडल का घनत्व 1.2 किलोग्राम प्रति घन मीटर है. इसी से साफ हो जाता है कि मंगल ग्रह पर आवाज अलग तरह से सफर करती होगी. लेकिन मंगल ग्रह की सतह के ठीक ऊपर, जिसे ग्रहीय सीमा परत कहते हैं इसमें जटिलता ला देती है. दिन के समय में गर्म सतह ऊपर की ओर शक्तिशाली उथल पुथल पैदा करती है.
परसिवियरेंस रोवर का माइक्रोफोन
परंपरागत परीक्षण उपकरण सटीकता के बाद भी व्यवधान का सामना कर सकते हैं. परसिवियरेंस रोवर के माइक्रोफोन से मंगल ग्रह की आवाज सुनी जा सकती है और एक लेजर सटीक समय पर आवाज निकाल सकता है सुपरकैम माइक्रोफोन को इसलिए जोड़ा गया था जिससे जब रोवरमंगल की सतह पर चट्टानों के नमूने लेने के लिए लेजर युक्त स्पेक्ट्रोस्कोपी उपकरण का उपयोग करते तो उस समय आवाजों को सुना जा सके.
तो क्या पाई गई रफ्तार
इसका एक फायदा भी हुआ. चाइड और उनकी टीमने लेजर फायरिंग के होने और उसके बाद आवाज के सुपरकैम माइक्रोफोन तक आवाज पहुंचने का समय रिकॉर्ड कर लिया जो सतह से 2.1 मीटर की ऊंचाई पर था. इससे वे आवाज की गति को नाप सके. शोधकर्ताओं ने अपने शोधपत्र में बताया कि आवाज की गति मगंल की सतह पर 240 मीटर प्रति सेंकेड का आसपास दर्ज की गई.
कार्बन डाइऑक्साइड ने बनाया विशेष
लेकिन मंगल ग्रह पर आवाज हर जगह एक सी नहीं हो सकती क्योंकि मंगल पर हालात सभी जगह पर एक से नहीं होते. कम दबाव में कार्बन डाइ ऑक्साइड के अणुओं के गुण विशेष हो जाते हैं. मंगल सौरमंडल में एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां का वायुमंडल आवाज की गति बदल सकती है. 240 हर्ट्ज से अधिका आवृत्तियों पर CO2 के अणुओं को कम्पन से राहत मिलने का समय नहीं मिलता जिससे उच्च आवृत्तियों पर आवाज 10 मीटर प्रतिसेकंड की गति से ज्यादा चलती है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे मंगल ग्रह पर एक खास तरह का अनुभव हो सकता है. वैसे तो अभी मंगल पर जाने वाले यात्री खास दबाव वाले सूट ही पहनेंगे और दबाव वाले आवासीय मॉड्यूल में रहेंगे ऐसे मे मंगल के माहौल में ऐसा अनुभव नहीं ले सकेंगे या इससे संबंधित समस्याओं का सामना नहीं करेंगे. इससे संबंधित भावी शोध और ठोस जानकारी दे सकेंगे और यह अध्ययन उनके लिए आधार का काम कर सकता है.
Next Story