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मदद से खत्म भी किया जा सकता है।
चीन में वैज्ञानिकों ने सालमोन मछली के स्पर्म से इको फ्रेंडली प्लास्टिक बनाने में सफलता हासिल कर ली है। स्पर्म के डीएनए के दो रेशों को सब्जी बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले तेल के रसायन से मिलाकर इस प्लास्टिक को बनाया गया है। दोनों के मिश्रण से तैयार पदार्थ को हाइड्रोजेल कहा जा रहा है। इस हाइड्रोजेल को विभिन्न आकार में ढाला गया और नमी को खत्म करने के लिए उसे सुखाया गया।
इस पूरी प्रक्रिया से यह पदार्थ कठोर हो गया। शोधकर्ताओं ने इस इको फ्रेंडली प्लास्टिक से पहले ही एक कप और कई अन्य सामानों का निर्माण कर लिया है। चीनी वैज्ञानिकों ने भले ही सालमोन मछली के स्पर्म से अपना कच्चा माल तैयार किया हो लेकिन डीएनए में पृथ्वी पर पाए जाने वाले प्रत्येक जीव का जेनेटिक कोड होता है। साल 2015 में हुए एक शोध में कहा गया था कि धरती पर 50 अरब टन डीएनए है।
प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बड़ी समस्या बना
इसका मतलब यह है कि हम अब तकनीकी तौर पर अन्य दीर्घकालिक स्रोतों जैसे फसलों के अवशेष, एल्गी या बैक्टीरिया से प्लास्टिक बना सकते हैं। दुनियाभर में प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बड़ी समस्या बन गया है क्योंकि इसे पेट्रोकेमिकल से बनाया जाता है। इसे बनाने में बड़े पैमाने पर गर्मी और जहरीले पदार्थो की जरूरत होती है। एक बार प्लास्टिक बनने के बाद उसके विघटित होने में कई सौ साल लग सकता है।
दुनिया में बहुत ही कम तादाद में प्लास्टिक को रिसाइकिल किया जाता है। ये प्लास्टिक का कचड़ा इधर-उधर फैला रहता है। हालत यह हो गई कि समुद्र की गहराइयों में भी प्लास्टिक पहुंच गया है। इसी वजह से शोधकर्ता अब एक ऐसे विकल्प की तलाश कर रहे हैं जो पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाए। कई ऐसे प्लास्टिक पहले भी बनाए गए हैं लेकिन उनको बनाने में बहुत ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है। उसे रिसाइकिल भी नहीं किया जा सकता है।
नया प्लास्टिक 97 फीसदी कम करेगा कार्बन का उत्सर्जन
तिआनजिन यूनिवर्सिटी के दयोंग यांग और उनकी टीम अब एक ऐसा पदार्थ बनाना चाहती है जो इन सारी समस्याओं को खत्म कर दे। डीएनए आधारित प्लास्टिक वर्तमान प्लास्टिक की तुलना में 97 फीसदी कम कार्बन का उत्सर्जन करता है। यही नहीं इसे रिसाइकिल करना भी बहुत आसान है। इस प्लास्टिक को एंजाइम की मदद से खत्म भी किया जा सकता है।
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