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उनमें ओमीक्रोन को बेअसर करने का स्तर अधिक था।
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के मामले पूरी दुनिया में तेजी से सामने आ रहे हैं। कोरोना का यह नया वैरिएंट अब तक 59 देशों में फैल चुका है। ओमिक्रोन को लेकर नए शोध भी सामने आ रहे हैं। जिस हिसाब से ओमिक्रोन तेजी से फैल रहा है, लोग जानना चाहते हैं कि पूर्ण टीकाकरण के बाद शरीर के अंदर बनी इम्यूनिटी उन्हें संक्रमित होने या गंभीर बीमारी से बचाने के लिए पर्याप्त होगी या नहीं है।
यदि शरीर के अंदर पहले से बनी इम्यूनिटी पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करती है तो ओमीक्रोन के प्रसार को धीमा करने के लिए टीकाकरण और बूस्टर डोज के साथ एहतियाती उपाय स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर दबाव को रोक सकते हैं। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो इसके प्रसार को रोकने के लिए लाकडाउन ही एकमात्र ऐसा उपाय हो सकता है। इस बीच, आशंका जताई जा रही है कि ओमिक्रोन वैरिएंट डेल्टा की जगह ले सकता है।
शोध के प्रारंभिक अध्ययन से पता चला है कि मौजूदा इम्यून सिस्टम ओमीक्रोन पर कम असरदार है। ये अध्ययन अभी प्रकाशित नहीं हुआ है और स्वतंत्र रूप से अन्य वैज्ञानिकों द्वारा औपचारिक रूप से इसकी समीक्षा की जानी है। हालांकि, शोध में यह भी बताया गया है कि तीसरी बूस्टर डोज देने से सुरक्षा मिल सकती है।
शोध के शुरुआती रिपोर्ट में सबसे तेजी से मिले आंकड़ों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसमें लोगों के खून में एंटीबाडी की मात्रा है जो वायरस के नए वैरिएंट को निष्क्रिय करने में सक्षम हैं। शोध के इन आंकड़ों से पता चलता है कि ओमीक्रोन कुछ हद तक एंटीबाडी से बच सकता है। डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले कहीं कहीं यह 10 से 20 गुना या 40 गुना तक अधिक है। इस तरह जिन लोगों ने कोरोना के टीके की दो खुराक ली थी और पूर्व में संक्रमित भी हुए थे, उनमें ओमीक्रोन को बेअसर करने का स्तर अधिक था।
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