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उम्मीद है कि हम वायरस की बहुत कम सांद्रता का भी पता लगा सकेंगे।'
विज्ञानियों ने एक ऐसा मालिक्यूल विकसित किया है, जो सार्स सीओवी-2 वायरस की सतह से जुड़कर उसे मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकता है और कोविड का प्रसार नहीं होने देता। डेनमार्क स्थित आरहूस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि मालिक्यूल (अणु) का निर्माण उस एंटीबाडी से आसान व किफायती है, जिसका इस्तेमाल फिलहाल रैपिड एंटीजन टेस्ट व कोविड के इलाज में किया जा रहा है।
पीएनएएस नामक पत्रिका में मंगलवार को प्रकाशित अध्ययन में इस मालिक्यूल (अणु) के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। यह यौगिकों की एक श्रेणी से संबंधित है, जिसे आरएनए एप्टैमर्स कहा जाता और उसी प्रकार के बिल्डिंग ब्लाक्स पर आधारित है, जिनका इस्तेमाल एमआरएनए वैक्सीन के निर्माण के लिए किया गया है। एप्टैमर, आनुवंशिक सामग्री डीएनए या आरएनए का टुकड़ा और तीन आयामों (3डी) में मुड़ा हुआ एक संरचना होता है। वह विशेष लक्षित मालिक्यूल की पहचान करता है। आरएनए एप्टैमर वायरस की सतह से जुड़कर उसके स्पाइक प्रोटीन को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोक देता है।
आरहूस यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर व अध्ययन के मुख्य लेखक जार्गन जेम्स के अनुसार, 'रैपिड टेस्ट में हमने नए एप्टैमर का परीक्षण शुरू किया है। उम्मीद है कि हम वायरस की बहुत कम सांद्रता का भी पता लगा सकेंगे।'
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