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COVID-19 को जल्द खत्म करने के लिए वैज्ञानिकों ने दी ये नसीहत

Gulabi
30 March 2021 12:11 PM GMT
COVID-19 को जल्द खत्म करने के लिए वैज्ञानिकों ने दी ये नसीहत
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सर्वे में शामिल हुए 28 देशों के वैज्ञानिक

World Will Need New COVID Vaccine: दुनिया को कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी से लड़ते हुए एक साल से अधिक का समय हो गया है, लेकिन बीमारी खत्म होने की बजाय लगातार बढ़ रही है. इससे बचाव के लिए अधिकतर देशों में टीकाकरण अभियान (Vaccination Drive) चल रहा है लेकिन वैज्ञानिकों ने संक्रमण से संबंधित एक ऐसी बात बताई है, जो बेहद चिंतित करने वाली है. महामारी विज्ञानियों और वायरोलॉजिस्ट्स के एक सर्वेक्षण में पता चला है कि दुनिया को कोरोना से लड़ने के लिए नई वैक्सीन की जरूरत पड़ने वाली है और इसके लिए एक साल से भी कम वक्त बचा है.


वैज्ञानिकों ने कहा है कि फर्स्ट जनरेशन वैक्सीन एक साल से भी कम समय में अप्रभावी हो सकती हैं इसलिए कोविड-19 (COVID-19) को खत्म करने के लिए टीकाकरण अभियान में तेजी लाई जानी चाहिए. वैज्ञानिकों का कहना है कि बेशक वर्तमान में लगाई जा रही वैक्सीन संक्रमण के खिलाफ प्रभावी हैं लेकिन फिर भी उन्हें इस बात का डर है कि दुनियाभर में वायरस के सामने आते नए वेरियंट इस प्रभाविकता के आड़े आ सकते हैं. इनमें से कई वेरियंट अधिक संक्रामक हैं और चीन के वुहान में मिले पहले स्ट्रेन से अधिक घातक भी.

सर्वे में शामिल हुए 28 देशों के वैज्ञानिक
ये सर्वेक्षण पीपुल्स वैक्सीन अलायंस ने किया है, जो एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International), यूएनएड्स (UNAIDS) और ऑक्सफैम (Oxfam) जैसे संगठनों का एक गठबंधन है. सर्वेक्षण में दो तिहाई वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वैक्सीन केवल एक साल के लिए हैं, वहीं एक तिहाई ने दावा किया है कि हमारे पास नौ महीने से भी कम समय है. इस सर्वेक्षण में 28 देशों के 77 वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया था. इन्होंने कहा है कि कई देशों में टीकाकरण अभियान धीमा है, इसलिए वर्तमान वैक्सीन नए वेरियंट पर काम करना बंद कर सकती हैं. ये जानकारी देने वाले लोग येल, जॉन हॉपकिन्स और इंपीरल कॉलेज जैसे स्थानों पर काम करते हैं.

वर्तमान स्ट्रेन को रोकना जरूरी
जब तक बड़े स्तर पर टीकाकरण करने से वर्तमान स्ट्रेन को रोका नहीं जाता, तब तक नए स्ट्रेन सामने आते रहेंगे. इनमें से कई ऐसे होंगे, जो वैक्सीन से जुड़ी उम्मीदें खत्म कर देंगे. इसके अलावा टीकाकरण में दिख रही असमानता भी दुनिया के लिए एक मुद्दा बन गई है, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों (Vaccination in Rich Countries) में जनसंख्या के एक चौथाई हिस्से को कम से कम पहली डोज मिल गई है. वहीं दूसरी ओर दक्षिण अफ्रीका और थाईलैंड जैसे देशों में एक फीसदी जनसंख्या को भी वैक्सीन नहीं लग पाई है. इसके अलावा कई देश तो ऐसे भी हैं, जो अपने नागरिकों को वैक्सीन की पहली डोज देने में भी सक्षम नहीं हैं.
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