विश्व
वैज्ञानिकों को कोविड-19 सैंपल पर मिले फिंगरप्रिंट, चीन की वुहान लैब में तैयार हुआ वायरस
Apurva Srivastav
29 May 2021 8:11 AM GMT
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चीन के वैज्ञानिकों ने ‘वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी’ में कोविड-19 वायरस को तैयार किया
चीन (China) के वैज्ञानिकों ने 'वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी' (Wuhan Institute of Virology) में कोविड-19 वायरस (Covid-19 Virus) को तैयार किया. एक नई स्टडी में ये सनसनीखेज दावा किया गया है. स्टडी में कहा गया कि चीनी वैज्ञानिकों (Chinese Scientist) ने वायरस को तैयार करने के बाद इसे रिवर्स-इंजीनियरिंग वर्जन से बदलने की कोशिश की, ताकि ऐसा लगे कि ये वायरस चमगादड़ से विकसित हुआ है. गौरतलब है कि दुनियाभर में एक बार फिर वायरस के वुहान लैब से लीक होने की खबर सुर्खियों में छाने लगी है. अमेरिका और ब्रिटेन WHO पर इस मामले की जांच के लिए दबाव बना रहे हैं.
डेली मेल की खबर के मुताबिक, इस स्टडी को ब्रिटिश प्रोफेसर एंगस डल्गलिश (Angus Dalgleish) और नॉवे के वैज्ञानिक डॉ बिर्गर सोरेनसेन (Dr. Birger Sørensen) ने किया है. इस स्टडी में उन्होंने लिखा कि उनके पास एक साल से भी अधिक समय से चीन में वायरस पर रेट्रो-इंजीनियरिंग के सबूत हैं. लेकिन शिक्षाविदों और प्रमुख मैगजीन ने इसे नजरअंदाज कर दिया. प्रोफेसर डल्गलिश लंदन में सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी में कैंसर विज्ञान के प्रोफेसर हैं. वहीं, डॉ सोरेनसेन एक वायरोलॉजिस्ट और Immunor नामक कंपनी के अध्यक्ष हैं, जो कोरोना की वैक्सीन तैयार कर रही है.
दोनों वैज्ञानिकों को वायरस में मिली ये चीज
इस स्टडी में कहा गया है कि वुहान लैब (Wuhan Lab) में जानबूझकर डाटा को नष्ट किया गया. इसे छिपाया गया और गायब करने का प्रयास किया गया. जिन वैज्ञानिकों ने इसे लेकर अपनी आवाज उठाई, उन्हें चीन ने या तो चुप करा दिया या फिर गायब कर दिया गया. वहीं, जब डल्गलिश और सोरेनसेन वैक्सीन बनाने के लिए कोरोना के सैंपल्स का अध्ययन कर रहे थे, तो उन्होंने वायरस में एक 'खास फिंगरप्रिंट' को खोजा, जिसे लेकर उनका कहना है कि ऐसा लैब में वायरस के साथ छेड़छाड़ करने के बाद ही संभव है. दोनों लोगों का कहना है कि जब उन्होंने इन नतीजों को जर्नल में प्रकाशित करना चाहा तो कई साइंटिफिक जर्नल ने इसे खारिज कर दिया.
दुनिया में फिर उठने लगा सवाल- क्या वुहान लैब से लीक हुआ वायरस?
पिछले साल ये माना गया कि ये वायरस चमगादड़ों से इंसानों में पहुंचा है. वहीं, अब करीब एक साल से अधिक समय बाद शीर्ष शिक्षाविद, नेता और मीडिया ने पाला बदल लिया है. अब इन्होंने ये मानना शुरू कर दिया है कि कोविड-19 वायरस चीन के वुहान लैब से ही बाहर निकला था. वुहान लैब को लेकर माना जाता है कि यहां चमगादड़ों पर वारयस के असर को समझा जा रहा था और वायरस को अधिक संक्रामक बनाकर इसके मानव पर असर का अध्ययन किया जा रहा था. इस सप्ताह, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुफिया समुदाय को वायरस का ऑरिजन पता लगाने के लिए आदेश दिया है.
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