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ल्यूकेमिया के इलाज की बढ़ी उम्मीद
वाशिंगटन, एएनआइ। एक्यूट मायलोइड ल्यूकेमिया (एएमएल) सफेद रक्त कोशिकाओं का घातक कैंसर है, जिसके प्रभावी उपचार की बहुत कम तरीके मौजूद हैं। शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में पता लगाया है कि एएमएल कोशिकाएं जिंदा रहने के लिए एससीपी4 नामक प्रोटीन पर निर्भर हैं। अमेरिका स्थित कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लेबोरेटरी (सीएसएचएल) के प्रोफेसर क्रिस्टोफर वाकोक व पूर्व स्नातक छात्र सोफिया पोलांस्काया ने इस बीमारी के लिए एक संभावित नए चिकित्सकीय दृष्टिकोण का पता लगाया है।
एससीपी4 एक प्रकार का प्रोटीन, जो अन्य प्रोटीनों से फास्फेट को हटाकर कोशिकाओं की गतिविधि को नियंत्रित करता है। एक अन्य प्रकार का प्रोटीन, जिसे काइनेज कहा जाता है, उन फास्फेट को वापस रखता है। किसी प्रोटीन में जोड़े या घटाए गए फास्फेट की संख्या (फास्फोराइलेशन स्तर) उसकी गतिविधियों को तय करती है।
पोलांस्काया ने पता लगाया है कि एससीपी4 अपनी तरह के एक या दो काइनेज के साथ जोड़ा बनाता है, जिसे एसटीके35 और पीडीआइके1एल कहा जाता है। एएमएल कोशिका के जिंदा रहने के लिए जरूरी है कि फास्फेट और काइनेज एक साथ काम करें। ऐसे में अगर एससीपी4 को पैदा करने वाले जीन को निष्क्रिय कर दिया जाए तो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जा सकता है।
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