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विज्ञानियों ने जैविक प्रकाश संश्लेषण के स्थान पर कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण की खोज की

Neha Dani
30 Jun 2022 9:24 AM GMT
विज्ञानियों ने जैविक प्रकाश संश्लेषण के स्थान पर कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण की खोज की
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जो वर्तमान में कृषि के लिए अनुपयुक्त हैं और यहां तक कि भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भी खाद्यान्न उपलब्ध हो सकेगा।

यूनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया के विज्ञानियों ने एक शोध में सूर्य की रोशनी के बिना खेती करने का तरीका खोजा है। विज्ञानियों ने जैविक प्रकाश संश्लेषण के स्थान पर कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण की खोज की है। इस तकनीक में कार्बन डाइआक्साइड, बिजली और पानी को एसीटेट में बदलने के लिए दो-चरणों की इलेक्ट्रो-कैटलिटिक प्रक्रिया का उपयोग होता है। इसमें खाद्य-उत्पादक आर्गेनिज्म विकसित होने के लिए अंधेरे में एसीटेट का उपभोग करते हैं। यह संकर कार्बनिक-अकार्बनिक प्रणाली कुछ खाद्य पदाथोर्ं के लिए सूर्य के प्रकाश की रूपांतरण क्षमता को 18 गुना अधिक तक बढ़ा सकती है।

यूनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया (यूसी) रिवरसाइड और यूनिवर्सिटी आफ डेलावेयर के विज्ञानियों के मुताबिक, प्रकाश संश्लेषण को लाखों वषों से पौधों में पानी, कार्बन डाइआक्साइड और सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा को पौधों के बायोमास और हमारे द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदाथोर्ं में बदलने की एक प्रक्रिया के रूप में मानी जाती है। हालांकि, यह प्रक्रिया बहुत अक्षम है, क्योंकि सूर्य के प्रकाश में पाई जाने वाली ऊर्जा का सिर्फ एक प्रतिशत ही इसमें उसमें उपयोग होता है। यह शोध नेचर फूड में प्रकाशित हुई है।
रासायनिक और पर्यावरण इंजीनियरिंग के यूसी रिवरसाइड सहायक प्रोफेसर और इस शोध के लेखक राबर्ट जिन्कर्सन ने कहा, हमने खाद्यान्न उत्पादन के एक नए तरीके की पहचान की है, जो सामान्य रूप से जैविक प्रकाश संश्लेषण की अनिवार्यता को खत्म कर सकता है। प्रणाली के सभी घटकों को एक साथ एकीकृत करने के लिए इलेक्ट्रोलाइजर के उत्पादन को खाद्य-उत्पादक आर्गेनिज्म के विकास का समर्थन करने के लिए अनुकूलित किया गया था। इलेक्ट्रोलाइजर ऐसे उपकरण हैं जो कार्बन डाइआक्साइड जैसे कच्चे माल को उपयोगी अणुओं और उत्पादों में बदलने के लिए बिजली का उपयोग करते हैं। उत्पादित एसीटेट की मात्र में वृद्धि हुई थी, जबकि उपयोग किए गए नमक की मात्र में कमी आई थी, जिसके परिणामस्वरूप इलेक्ट्रोलाइजर में अब तक उत्पादित एसीटेट का उच्चतम स्तर था।

संबंधित लेखक और यूनिवर्सिटी आफ डेलावेयर के फेंग जियो ने कहा, हमारी प्रयोगशाला में विकसित एक अत्याधुनिक टू-स्टेप टेंडेम सीओ2 इलेक्ट्रोलिसिस सेटअप का उपयोग करके, हम एसीटेट प्राप्त करने में सक्षम थे, जिसे पारंपरिक कार्बन डाइआक्साइड इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से एक्सेस नहीं किया जा सकता है। प्रयोगों से पता चला है कि खाद्य-उत्पादक आर्गेनिज्म की एक विस्तृत श्रृंखला को सीधे एसीटेट-समृद्ध इलेक्ट्रोलाइजर आउटपुट पर उगाया जा सकता है, जिसमें हरी शैवाल, खमीर और मशरूम का उत्पादन करने वाले कवक मायसेलियम शामिल हैं। इस तकनीक से शैवाल का उत्पादन प्रकाश संश्लेषक रूप से उगाने की तुलना में लगभग चार गुना अधिक एनर्जी एफिसिएंट है। आम तौर पर मक्के से निकाली गई शर्करा का उपयोग करके इसकी खेती की तुलना में खमीर उत्पादन लगभग 18 गुना अधिक एनर्जी एफिसिएंट है।

इस शोध की सह-लेखिका और जिन्कर्सन लैब में शोधार्थी एलिजाबेथ हैन ने कहा, हम जैविक प्रकाश संश्लेषण से किसी भी योगदान के बिना खाद्य उत्पादक आर्गेनिज्म को विकसित करने में सक्षम हैं। आमतौर पर, इन आर्गेनिज्म की खेती पौधों से प्राप्त शर्करा या पेट्रोलियम से प्राप्त इनपुट पर की जाती है, जो लाखों साल पहले हुई जैविक प्रकाश संश्लेषण का एक उत्पाद है।
जैविक प्रकाश संश्लेषण पर निर्भर खाद्य उत्पादन की तुलना में यह तकनीक सौर ऊर्जा को भोजन में बदलने का एक अधिक कुशल तरीका है। हालांकि फसली पौधों को उगाने के लिए इस तकनीक को नियोजित करने की क्षमता की भी जांच की गई। जब अंधेरे में खेती की जाती थी तो लोबिया, टमाटर, तंबाकू, चावल, कनोला और हरी मटर सभी एसिटेट से कार्बन का उपयोग करने में सक्षम थे। एक अन्य शोधार्थी हारलैंड ड्यूनावे ने कहा, हम फसल की पैदावार को बढ़ावा देने के लिए एक अतिरिक्त ऊर्जा स्नोत के रूप में एसीटेट के साथ फसल उगाने में सक्षम हो सकते हैं। फसलें शहरों और उन अन्य क्षेत्रों में भी उगाई जा सकती हैं जो वर्तमान में कृषि के लिए अनुपयुक्त हैं और यहां तक कि भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भी खाद्यान्न उपलब्ध हो सकेगा।

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