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जो पृथ्वी की तरह जीवन को पनपने में मदद करने वाले ग्रहों की तलाश करेगा.
कार्डिफ यूनिवर्सिटी, एमआईटी और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने पृथ्वी की 'जुड़वा बहन' मानी जाने वाले शुक्र ग्रह पर बादलों में अमोनिया हो सकता है. वैज्ञानिकों ने एक प्रयोग के जरिए ये पता लगाया है कि अमोनिया की मौजूदगी पर एक केमिकल रिएक्शन के जरिए सल्फ्यूरिक एसिड को बेअसर किया जा सकता है. इस तरह अम्लता इतनी कम हो जाएगी कि जहां पर जीवन पनप सकता है.
कार्डिफ यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फिजिक्स एंड एस्ट्रोनॉमी से आने वाले स्टडी के के सह-लेखक डॉ विलियम बैंस ने कहा, हम जानते हैं कि पृथ्वी पर अम्लीय वातावरण में जीवन पनप सकता है, लेकिन शुक्र के बादलों जितने अम्लीय वातावरण में ऐसा होना मुश्किल है. उन्होंने कहा, लेकिन अगर कुछ बादलों में अमोनिया बना रहा है, तो वह कुछ बूंदों को बेअसर कर देगा, जिससे बादल संभावित रूप से अधिक रहने योग्य हो जाएंगे. हो सकता है कि वहां एलियन जीवन भी मौजूद हो.
कार्डिफ यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फिजिक्स एंड एस्ट्रोनॉमी से आने वाले स्टडी के के सह-लेखक डॉ विलियम बैंस ने कहा, हम जानते हैं कि पृथ्वी पर अम्लीय वातावरण में जीवन पनप सकता है, लेकिन शुक्र के बादलों जितने अम्लीय वातावरण में ऐसा होना मुश्किल है. उन्होंने कहा, लेकिन अगर कुछ बादलों में अमोनिया बना रहा है, तो वह कुछ बूंदों को बेअसर कर देगा, जिससे बादल संभावित रूप से अधिक रहने योग्य हो जाएंगे. हो सकता है कि वहां एलियन जीवन भी मौजूद हो.
एमआईटी के डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ में वायुमंडलीय और ग्रह विज्ञान से आने वाली स्टडी की अन्य सह-लेखक प्रोफेसर सारा सीगर ने कहा कि शुक्र पर अमोनिया नहीं होना चाहिए. इसके साथ हाइड्रोजन जुड़ा हुआ है और ग्रह के चारों ओर बहुत कम हाइड्रोजन है. कोई भी गैस जो ग्रह के पर्यावरण से जुड़ी हुई नहीं है. वह कहीं न कहीं जीवन की मौजूदगी की वजह से बनी होगी.
इस खोज की वजह से ग्रह की जांच करने वाले वैज्ञानिक अब ये सवाल भी पूछ रहे हैं कि क्या मानवता ने शुक्र की कुछ ज्यादा ही अनदेखी कर दी है. दरअसल, ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे सौरमंडल में किसी भी अन्य ग्रह के मुकाबले शुक्र ग्रह अधिक ग्रह जैसा है. वहीं, अब लोगों की निगाहें जेम्स वेब टेलिस्कोप पर भी हैं, जो पृथ्वी की तरह जीवन को पनपने में मदद करने वाले ग्रहों की तलाश करेगा.
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