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वैज्ञानिकों का मानना- मानवीय गतिविधियों की वजह से जलवायु में कई तरह के बदलाव, हिमखंड का टूटना भी इन्‍हीं का नतीजा

Gulabi
21 May 2021 6:29 AM GMT
वैज्ञानिकों का मानना- मानवीय गतिविधियों की वजह से जलवायु में कई तरह के बदलाव, हिमखंड का टूटना भी इन्‍हीं का नतीजा
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वैज्ञानिकों का मानना

अंटार्कटिक के वेडेल सागर में एक विशालकाय हिमखंड के टूटने की बात सामने आई. इस विशालकाय हिमखंड का आकार करीब न्‍यू यॉर्क सिटी के मैनहटन के आकार का है और इसका क्षेत्रफल करीब 4,320 वर्ग किलोमीटर का है. नई दिल्‍ली की तुलना में देखें तो यह इससे करीब तीन गुना बड़ा है. दिल्‍ली का क्षेत्रफल 1,483 वर्ग किलोमीटर ही है. यूरोपियन स्‍पेस एजेंसी ने इस हिमखंड के टूटने की जानकारी दी है. अमेरिकी आइस सेंटर ने भी कंफर्म किया है. इसका नाम A-76 है. अभी तक प्राप्‍त जानकारी के आधार पर वैज्ञानिकों का मानना है कि मानवीय गतिविधियों की वजह से जलवायु में कई तरह के बदलाव हो रहे है. इस हिमखंड का टूटना इन्‍हीं बदलावों का नतीजा है.

वेडेल सागर में स्थित यह A-76 हिमखंड रॉन आइस शेल्‍फ (Ronne Ice shelf) से टूटकर अलग हुआ है. यूरोपियन स्‍पेस एजेंसी का कहना है कि इस इलाके में समुद्री जल का तापमान तेजी से बढ़ रहा है, जिससे अंटार्कटिक के प‍श्चिमी इलाके पर बुरा असर पड़ रहा है. यही कारण है कि अब इस बात का भी खतरा बढ़ता जा रहा है कि आगे भी अंटार्कटिक से बड़े ग्‍लेशियर टूटकर समुद्र में गिर सकते हैं.
दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड
इस मामले के एक्‍सपर्ट्स के हवाले से कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि यह इकलौता इलाका नहीं है, जहां ग्‍लोबल वॉर्मिंग की वजह से ग्‍लेशियर पिघल रहे हैं. उनका कहना है कि इतने बड़े हिमखंड का टूटना कोई प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं है. इसके लिए ग्‍लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन जिम्‍मेदार हैं. A-76 एक ट्यूब के आकार का लंबा हिमखंड है. वर्तमान में इसे दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड बताया जा रहा है. इसके पहले A-23A दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड था.
हिमखंड के टूटन से सुम्रदी जलस्‍तर बढ़ने की आशंका नहीं
वर्तमान में यह A-76 हिमखंड समुद्र में ही तैर रहा है. ऐसे में उम्‍मीद है कि इस वजह से फिलहाल समुद्री जलस्‍तर के बढ़ने की कोई आशंका नहीं है. यूरोपियन स्‍पेस एजेंसी के वैज्ञानिक मार्क ड्रिंकवाटर का कहना है कि यह इंसानी कारण तो इसके पीछे जिम्‍मेदार तो हैं ही… लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि रॉन आइससेल्‍फ का अपना एक इवॉल्‍युशन है.
इसकी भी जांच होनी चाहिए कि इसे खुद ही हिमखंड को अलग किया है. क्‍या इस आइससेल्‍फ के नीचे सबकुछ ठीकठाक है? कहीं वहां पर तो कोई गतिविधि नहीं हो रही?
21 साल पहले टूटा था दुनिया का सबसे विशालकाय हिमखंड
यूरोपियन स्‍पेस एजेंसी का कहना है कि A-76 का आकार बहुत बड़ा है, लेकिन सबसे विशालकाय हिमखंड का नाम B-15 है जोकि करीब 21 साल पहले अंटार्कटिक के ही रॉस आइससेल्‍फ से टूटकर अलग हुआ था. इसका क्षेत्रफल करीब 10,878 वर्ग किलोमीटर का था. नासा अर्थ ऑब्‍जरवेटरी ने इस बारे में जानकारी दी थी.

कैसे रखा जाता है हिमखंड का नाम?
हिमखंडा के नाम इस बात से तय होता है कि उन्हें पहली बार कब और कहां देखा गया है. अंटार्कटिक को चार हिस्‍सों में बांटा गया है. इसमें एक-एक हिस्‍से का नाम A, B, C और D रखा गया है. हर एक हिस्‍से में पहचाने जाने वाले हर एक हिमखंड के लिए एक अनुक्रमिक संख्‍या निर्धारित की जाती है. इस प्रकार A-76 की बात करें तो अमेरिकी नेशनल आइस सेंटर ने इसे सबसे पहले वेडेल सागर में देखा था यहां का यह 76वां हिमखंड था, जिसके बारे में जानकारी मिली थी.
अगर कोई हिमखंड किसी दूसरे हिमखंड से ही टूटकर अलग होता है तो उन्‍हें पुराने नाम के साथ एक अनुक्रमिक लेटर भी जोड़ दिया जाता है.
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