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बौने जिराफों को देख वैज्ञानिक भी रह गए दंग, शोधकर्ताओं द्वारा कमाल की खोज

Triveni
11 Jan 2021 8:59 AM GMT
बौने जिराफों को देख वैज्ञानिक भी रह गए दंग,  शोधकर्ताओं द्वारा कमाल की खोज
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उत्तरी युगांडा के मर्चिसन फॉल्स नेशनल पार्क के सवाना क्षेत्र में दो ऐसे जिराफ चर्चा में हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| उत्तरी युगांडा के मर्चिसन फॉल्स नेशनल पार्क (Uganda's Murchison Falls National Park) के सवाना क्षेत्र (Sawana) में दो ऐसे जिराफ चर्चा में हैं जिनकी शारीरिक बनावट आम जिराफों से बिलकुल अलग है. इन दोनों जिराफों की गर्दन सामान्य जिराफों जितनी ही है लेकिन उनके पैर सामान्य से बहुत छोटे हैं. एक की लंबाई 9.4 फीट है, जबकि दूसरी की लंबाई करीब 9 फीट (2.7 मीटर) है. शायद इसी कारण इन्हें बौने जिराफ (Dwarf Giraffe) कहा जा रहा है. आमतौर पर जिराफों की लम्बाई 15 से 20 फीट तक होती है. जिराफ की सबसे बड़ी खासियत होती है कि वे अपनी लंबाई के कारण ऊंचे पेड़ों से पत्तियां चबा सकते हैं. इसीलिए जब वैज्ञानिकों ने इन दो बौने जिराफों को देखा तो वे दंग रह गए. जिराफ कंज़र्वेशन फाउंडेशन के सह-संस्थापक जूलियन फेंनेस ने शुक्रवार को रॉयटर को एक वीडियो कॉल में बताया कि हमारे शोधकर्ताओं द्वारा इनकी खोज एक कमाल है.

स्केलेटल डिस्प्लेसिया से जूझ रहे हैं ये जिराफ
वैज्ञानिक जांच में पता चला है कि ये दोनों जिराफ बौनेपन से जूझ रहे हैं और वैज्ञानिक भाषा में इसे स्केलेटल डिस्प्लेसिया (Skeletal dysplasia) कहते हैं. जिराफ में स्केलेटल डिस्प्लेसिया होने का यह पहला मामला है. अधिकांश जिराफ 15 से 20 फीट तक बढ़ते हैं, लेकिन 2018 में जिराफ कंज़र्वेशन फाउंडेशन के साथ काम करने वाले वैज्ञानिकों ने नामीबिया में एक 8.5 फीट लंबे जिराफ की खोज की. तीन साल पहले वैज्ञानिकों को युगांडा के वन्यजीव पार्क में 9 फुट 3 इंच का जिराफ भी मिला था.
बीमारी के चलते हड्डियों का नहीं हो पाता है विकास
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह ऐसी बीमारी है, जिसके तहत हड्डियों का पूर्ण रूप से विकास नहीं हो पाता है. उम्र बढ़ती जाती है, लेकिन कद छोटा रह जाता है. बौनेपन के चलते इन जिराफों को चलने-फिरने मुश्किल आती है. उन्होंने पिछले महीने के अंत में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में अपने निष्कर्ष प्रकाशित किए.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों जिराफों के मामलों में उनकी की गर्दन लंबी, लेकिन टांगे छोटी और टेढ़ी थीं. स्केलेटल डिसप्लेसिया मनुष्यों और पालतू जानवरों को प्रभावित करता है लेकिन जंगली जानवरों में यह बीमारी अब तक दुर्लभ थी.


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