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वैज्ञानिक: इंसानों का इतिहास बदल देंगे इन गुफाओं में मिले खजाने
Gulabi Jagat
6 July 2022 2:36 PM GMT
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वैज्ञानिक न्यूज
Human History: दुनियाभर में इंसानी सभ्यता को लेकर बहस होती रहती है। वैज्ञानिक इस रहस्य को जानने के लिए नए-नए शोध करते रहते हैं। अब इस बीच दक्षिण अफ्रीका में एक एसी चीज मिली है जो इंसानी सभ्यता को बदल सकती है। दक्षिण अफ्रीका के स्ट्रेकफोनटेन गुफाओं में वैज्ञानिकों ने कुछ जीवाश्म खोजे हैं। अब इसके बाद विशेषज्ञ नए सिरे से सभ्यता के विकास के बारे में सोचने लगे हैं।
एक नए शोध में बताया गया है कि ये जीवाश्म ही इंसानों के विकास के कारण हैं। बताया जा रहा है कि खोजे गए जीवाश्म 30 से 40 लाख साल पुराने हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह जीवाश्म मानव विकास के इतिहास की नई कड़ी साबित होंगे। वैज्ञानिकों ने इन जीवाश्म को 32 लाख साल पुरानी लूसी प्रजाति का बताया है जिसे इंसानों का पूर्वज मानते हैं। आइए जानते हैं कि इस नए शोध से क्या-क्या पता चला है।
इस समय इंसानों की कड़ी में होमो सैपियंस ही ऐसे मानव हैं जो अकेले बचे हुए हैं। पहले किए गए कई शोध में यह कहा गया है कि होमो के पूर्वजों में सबसे पहले मानव शायद ऑस्ट्रेलोपिथेकस जाति के थे। यह जाति 4.1 मिलियन साल से 2.9 मिलियन साल तक जिंदा रही थी।
ऑस्ट्रेलोपिथेकस का मतलब दक्षिणी बंदर। इसमें लूसी प्रजाति भी शामिल है। साल 1974 में इथियोपिया में लूसी की खोज की गई थी जिसकी हड्डियों को दुनिया की सबसे पुरानी हड्डियां माना गया। बताया जाता है कि यह प्रचीन इंसान का सबसे पूराना और पूरा कंकाल था। इनमें इंसान शामिल थे और यह प्रजाति जानवरों की तुलना में इंसान के बेहद करीब थी।
माना जाता है कि दक्षिण अफ्रीका की इन गुफाओं को इंसान की उत्पत्ति का स्थान माना जाता है। इन गुफाओं में ऑस्ट्रेलोपिथेकस जीवाश्म की जानकारी मिली है। साल 1936 में एक व्यस्क ऑस्ट्रेलोपिथेकस की खोज हुई थी तब यह मशहूर हुई थी। कई दशकों बाद इन गुफाओं में एक बार फिर वैज्ञानिकों ने जीवाश्म खोजा था। इनको ऑस्ट्रेलोपिथेकस प्रजाति का बताया गया था।
वैज्ञानिकों ने बताया था कि पाए गए जीवाश्म 2.1 मिलियन से 2.6 मिलियन साल के समय के हैं। उनका कहना है कि ये अधिक पुराने नहीं हैं। वैज्ञानिक अक्सर कहते हैं कि पूर्वी अफ्रीका की ऑस्ट्रेलोपिथेकस प्रजाति में शामिल लूसी प्रजाति सबसे पुरानी है।
Gulabi Jagat
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