सऊदी का पाकिस्तान में रिफाइनरी लगाने से साफ़ इनकार, इमरान की चापलूसी भी काम नही आई
सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान साल 2019 में पाकिस्तान की यात्रा पर आए थे। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर सऊदी अरामको रिफाइनरी को स्थापित करने की इच्छा जताई थी। ठीक उसी समय सऊदी क्राउन प्रिंस ने भारत में पेट्रोकेमिकल, खनन और बुनियादी ढांचा क्षेत्र 100 बिलियन डॉलर के निवेश का ऐलान किया था।
इस्लामाबाद
सऊदी अरब ने पाकिस्तान में एक और निवेश से हाथ पीछे खींच लिया है। सऊदी अरब पाकिस्तान में रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल की परियोजना में 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश करने वाला था। अब हाल में ही सऊदी प्रशासन ने पाकिस्तान को सूचना दी है कि वह इस परियोजना को आगे नहीं बढ़ा सकता है। सऊदी सरकार का यह फैसला ऐसे समय आया है, जब पाकिस्तान पाई-पाई के लिए मोहताज है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान दुनियाभर से आर्थिक मदद की अपील कर रहे हैं।
2019 में रिफाइनरी लगाने का दिया था भरोसा
सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान साल 2019 में पाकिस्तान की यात्रा पर आए थे। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर सऊदी अरामको रिफाइनरी को स्थापित करने की इच्छा जताई थी। ठीक उसी समय सऊदी क्राउन प्रिंस ने भारत में पेट्रोकेमिकल, खनन और बुनियादी ढांचा क्षेत्र 100 बिलियन डॉलर के निवेश का ऐलान किया था। 2020 के अंत में रियाद ने पुष्टि करते हुए बताया था कि भारत में उसकी निवेश योजनाएं पटरी पर हैं, जबकि ग्वादर वाली परियोजना पर अभी विचार किया जाना है।
अब सऊदी बोला- नहीं लगाएंगे रिफाइनरी
अब दिसंबर 2021 में सऊदी अरब ने पाकिस्तान सरकार को आधिकारिक तौर पर बताया है कि वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण 10 अरब डॉलर की परियोजना को क्रियान्वित नहीं किया जाएगा। पाकिस्तान ने सऊदी अरब से इस निवेश को चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के लिए बड़ी सफलता करार दिया था। 60 अरब डॉलर की सीपीईसी परियोजना खुद ही विवादों में फंसी हुई है। यही कारण है कि चीन ने लंबे समय से इस परियोजना के अंतर्गत आने वाली कई प्रॉजेक्ट्स की फंडिंग को रोका हुआ है।
पाकिस्तान और सऊदी में क्यों बिगड़े रिश्ते ?
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के सीनेटर और सीनेट रक्षा समिति के अध्यक्ष मुशाहिद हुसैन सैयद ने कहा कि रिफाइनरी परियोजना के लिए सऊदी अरब की 10 अरब डॉलर के निवेश का ऐलान वास्तव में एक फाइनेंशियल कमिटमेंट से भी बहुत बड़ी बात थी। इसके पीछे पाकिस्तान और तुर्की के बीच का संबंध बताया जा रहा है। पाकिस्तान ने 2019 में सऊदी की खिलाफत करते हुए मलेशिया द्वारा आयोजित एक मुस्लिम शिखर सम्मेलन का समर्थन किया था। तुर्की ने भी इसमें पाकिस्तान और मलेशिया का साथ दिया था।
इस्लामिक देशों का नेता बनना चाहता है पाकिस्तान
इस्लाम के कुछ सबसे पवित्र तीर्थस्थलों के घर सऊदी अरब ने इस घटना को मुस्लिम दुनिया पर अपनी पकड़ के लिए एक खतरे के रूप में देखा। जिसके बाद पाकिस्तान तुरंत मलेशिया के इस शिखर सम्मेलन से पीछे हट गया था। इसके बावजूद सऊदी अरब ने पाकिस्तान को तुरंत तीन बिलियन डॉलर के कर्ज को लौटाने का आदेश दिया था। इतना ही नहीं, सऊदी ने पाकिस्तान को कर्ज पर तेल और गैस की सप्लाई रोकने की धमकी भी दी थी।
पाक विदेश मंत्री से चिढ़ा हुआ है सऊदी अरब
2020 में द्विपक्षीय संबंध तब और बिगड़ गए जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान सऊदी अरब की आलोचना की। दरअसल, सऊदी अरब कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी की बैठक बुलाने की मांग की थी, लेकिन सऊदी अरब ने इसमें रूचि नहीं दिखाई। यही कारण था कि सऊदी अरब इतना गुस्सा हो गया कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और इमरान खान को खुद रियाद जाना पड़ा।