बेशक सऊदी अरब मुस्लिम कंट्री है, लेकिन यहां पिछले 1 दशक में लगातार बदलाव देखा जा रहा है औऱ यह देश कट्टरपंथ से अलग हर धर्म, हर लिंग को बराबर अधिकार देने पर काम कर रहा है. यहां महिलाओं को उनके अधिकार देने पर भी काफी काम हो रहा है. इसी कड़ी में सऊदी अरब सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, अब महिलाओं को 'मेहरम' या पुरुष साथी के बिना हज या उमराह करने की अनुमति होगी. सऊदी राजधानी रियाद ने सोमवार को इसकी घोषणा की और कहा कि यह नियम हर देश की महिलाओं पर लागू होगा. अब तक महिलाओं और बच्चों को 'मेहरम' के साथ ही हज पर जाने की अनुमति दी जाती थी. मेहरम वह पुरुष साथी होता है जो पूरे हज के दौरान महिला के साथ रहता है.
सऊदी अरब के मंत्री ने की नए नियम की पुष्टि
बता दें कि अतीत में कुछ मामलों में 45 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को बिना मेहरम भी हज की अनुमति दी गई थी, लेकिन वह अपवाद थे. सभी महिलाओं के लिए इसकी अनुमित नहीं थी. सऊदी अरब के हज और उमराह मंत्री तौफीक अल रबिया ने कहा, 'एक महिला अब बिना मेहरम के उमराह करने के लिए मुल्क में आ सकती है. इस आदेश ने सऊदी अरब की दशकों पुरानी प्रथा को खत्म कर दिया है.'
हज और उमराह के बीच के अंतर को समझें
सऊदी अरब के मौलवी इस पर कहते हैं हज या उमराह के दौरान महिलाओं के साथ एक मेहरम का होना जरूरी है. वहीं दूसरे मुस्लिम स्कॉलर इससे सहमत नहीं हैं. वह कहते हैं कि साल में एक बार होने वाली हज यात्रा को इस्लाम का पांचवां स्तंभ माना जाता है. कहते हैं कि हर मुस्लिम को अपने जीवन में कम से कम एक बार हज जरूर करना चाहिए जबकि उमराह साल में कभी भी किया जा सकता है.