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चांद के चारों ओर होगा सैटेलाइट का 'जाल', विस्तार से जानें ESA के Moon Mission के बारे में...

Gulabi
22 May 2021 11:58 AM GMT
चांद के चारों ओर होगा सैटेलाइट का जाल, विस्तार से जानें ESA के Moon Mission के बारे में...
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यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने दो यूरोपीय इंडस्ट्री ग्रुप को लूनर सैटेलाइट सिस्टम पर स्टडी के लिए कॉन्ट्रैक्ट जारी किया है

यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने दो यूरोपीय इंडस्ट्री ग्रुप को लूनर सैटेलाइट सिस्टम पर स्टडी के लिए कॉन्ट्रैक्ट जारी किया है. ये दोनों कंपनियां संचार और नेविगेशन की सर्विस प्रदान करेंगी. इसके जरिए चांद (Moon) के चारों ओर एक टेलिकम्युनिकेशन नेटवर्क बनाया जाएगा, जो चांद को पृथ्वी का 'आठवां महाद्वीप' बना देगा.


ESA ने 20 मई को दोनों कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट देने का ऐलान किया. इसमें से एक कंपनी 'सरे सैटेलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड' (SSTL) है और दूसरी टेलीस्पाजियो है. इन दोनों कंपनियों को एजेंसी के 'मूनलाइट मिशन' इनिशिएटिव का अध्ययन करना है. ESA का मकसद चांद के चारों ओर स्पेसक्राफ्ट का नेटवर्क खड़ा करना है, जो वहां पर इंसानी और रोबोटिक खोजबीन में मदद करेगा.



चांद के चारों ओर सैटेलाइट का ये जाल सरकारी और आर्थिक मून मिशन दोनों के लिए उपलब्ध रहेगा. हालांकि, इसकी ज्यादा संभावना आर्थिक सर्विस के लिए उपलब्ध रहने की है. ESA के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह का नेटवर्क मून मिशन को कम खर्चे वाला बनाने में मदद करेगा.


हालांकि, ESA या फिर इन दोनों कंपनियों ने इस बात की जानकारी नहीं दी है कि इसके लिए कितनी राशि का सौदा किया गया है. ESA अधिकारी ने भी इसकी जानकारी नहीं दी. लेकिन सूत्रों ने बताया है कि दोनों कंपनियों संग सैटेलाइट नेटवर्क के लिए लाखों यूरो का सौदा किया गया है.


ह्यूमन एंड रोबोटिक एक्सपोलेरेशन के लिए ESA के निदेशक डेविड पार्कर ने कहा कि एजेंसी की भाषा में ये फेस A/B1 कॉन्ट्रैक्ट हैं. उन्होंने कहा कि इसका मतलब है सिस्टम की व्यवहार्यता है, साथ ही ये एक व्यावसायिक मामला भी है. A लेवल डिजाइन का मतलब है कि सैटेलाइट सिस्टम को बनाया जा सकता है.


डेविड पार्कर ने कहा कि इन स्टडी को पूरा करने में दोनों कंपनियों को 12 से 18 महीनों का वक्त लगेगा. इस दौरान ESA 'मूनलाइट मिशन' के आगे के फेज के लिए मंत्रिस्तरीय बैठक में फंड की मांग करेगा. इस तरह 2023 की शुरुआत में चांद पर सैटेलाइट लगाने की शुरुआत हो जाएगी और चार से पांच सालों में ये पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाएगा.

चांद की कम्युनिकेशन और नेविगेशन नेटवर्क का अध्ययन करने में ESA अकेला नहीं है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA भी 'लूनानेट' नाम के एक कॉन्सेप्ट के शुरुआती चरण में है. इसका मकसद चांद के चारों ओर सैटेलाइट का एक नेटवर्क बिछाना है, जो Artemis समेत अन्य मिशन को मदद पहुंचाएगा.


NASA के एंडी पेट्रो ने 9 अप्रैल को स्पेस स्टडीज बोर्ड कमेटी की बैठक में लूनानेट को लेकर कहा, हमारा मानना है कि हर मिशन के लिए अपना संचार और नेविगेशन बुनियादी ढांचा नहीं बनाना चाहिए. हमने देखा है कि इस तरह की चीजों की वजह से नए मिशन को परेशानी होती है.


एंडी पेट्रो ने कहा कि लूनानेट अभी शुरुआत चरण में है, क्योंकि NASA इसे लेकर अभी स्टडी कर रही है. उन्होंने कहा कि इस बात की बेहद कम संभावना है कि NASA खुद इस नेटवर्क का संचालन करेगी. इसके लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की जा सकती है या फिर सर्विस कॉन्ट्रैक्ट दिया जा सकता है.


वहीं, डेविड पार्कर ने कहा कि NASA को मूनलाइट मिशन के बारे में मालूम है. उनके पास भी चांद पर कम्युनिकेशन नेटवर्क बनाने के लिए पूरा विजन है. जहां तक मुझे मालूम है, अभी तक उन्होंने किसी भी कंपनी को स्टडी करने का मौका नहीं दिया है. मुझे लगता है कि इस दिशा में हम भी अकेले ही हैं.


हालांकि, इस बात की भी चर्चा है कि अगर दो स्पेस एजेंसियां चांद पर कम्युनिकेशन नेटवर्क बनाती हैं, तो ये काफी बेहतर होने वाला है. माना जा रहा है कि अगर एक सिस्टम खराब भी हो जाता है तो चांद पर अंतरिक्षयात्री दूसरे सिस्टम के जरिए अपने काम को जारी रख सकता है






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