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श्रीलंका में पवित्र हाथी की हुई मौत, किया गया राजकीय अंतिम संस्कार

Subhi
10 March 2022 1:30 AM GMT
श्रीलंका में पवित्र हाथी की हुई मौत, किया गया राजकीय अंतिम संस्कार
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जानवरों और इंसानों का संबंध काफी पुराना है. इंसान पिछले कई सदियों से जानवरों को पालते हुए आया है. कभी-कभी दोनों के बीच ऐसा संबंध बन जाता है कि आपस में भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं

जानवरों और इंसानों का संबंध काफी पुराना है. इंसान पिछले कई सदियों से जानवरों को पालते हुए आया है. कभी-कभी दोनों के बीच ऐसा संबंध बन जाता है कि आपस में भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं. ऐसा ही एक मामला श्रीलंका (Sri Lank) में देखने को मिला. इस देश के सबसे पवित्र हाथी के मौत (sacred elephant death) के बाद, उसका राजकीय अंतिम संस्कार (elephant State funeral performed) किया गया. इतना ही नहीं हाथी के अवशेषों को भरकर भविष्य के लिए संरक्षित करने का भी फैसला लिया गया है.

धार्मिक आयोजनों में थी महत्वपूर्ण भूमिका

'द इंडिपेंडेंट' में छपी खबर के अनुसार, इस पवित्र हाथी का नाम 'नाडुंगमुवा राजा' था, उनकी 68 वर्ष की आयु में कोलंबो के पास मृत्यु हो गई. इसे एशिया का सबसे बड़ा पालतू हाथी माना जाता था और इसकी ऊंचाई 10.5 फीट थी. इसने बौद्ध धार्मिक आयोजनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और अपने जीवनकाल के दौरान सबसे प्रसिद्ध हाथियों में से एक था.

भारत से मिला था गिफ्ट

हाथी का जन्म 1953 में भारत में हुआ था और इसे तत्कालीन मैसूर (Mysore) के राजा द्वारा श्रीलंकाई बौद्ध भिक्षु को उपहार में दिया गया था. इस हाथी ने कैंडी शहर में हर साल होने वाले महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन 'एसाला पेराहेरा पेजेंट' में भगवान बुद्ध के पवित्र दांत के अवशेष को पीठ पर ढोया था. यह धार्मिक आयोजन शहर का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है.

राष्ट्रपति ने किया ट्वीट

यह हाथी फायर ईटर्स और ढोल बजाने वालों के बीच में चलता था. यहां तक कि उसकी खुद की सिक्योरिटी भी थी. एसाला पेराहेरा पेजेंट हर साल जुलाई में होता है और राजा ने इसमें 11 वर्षों तक भाग लिया. श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे (President Gotabaya Rajapaksa) ने ट्वीट करते हुए लिखा कि 'हाथियों के राजा, जो कई वर्षों से देश और विदेशों के लोगों द्वारा पूजनीय हैं, मैं कामना करता हूं कि आप महान लोगों की प्रेरणा से भविष्य की आत्मा के महान निर्वाण को प्राप्त करें.'

हाथी के शरीर को किया जाएगा संरक्षित

राजपक्षे के कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति ने निर्देश दिया था कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए पवित्र हाथी के शरीर को संरक्षित किया जाए और इसे राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया जाए. बौद्ध अंतिम संस्कार के बाद राजा के अवशेषों को भरने के लिए विशेषज्ञों को सौंप दिया जाएगा.

विशेष थे शारीरिक लक्षण

स्थानीय परंपरा के अनुसार, केवल विशिष्ट शारीरिक लक्षणों वाले हाथियों को ही इस भूमिका के लिए चुना जा सकता है. इन हाथियों को एक सपाट पीठ और विशेष रूप से घुमावदार दांतों की आवश्यकता होती है और जब वे खड़े होते हैं, तो हाथी के सभी सात बिंदु उनके 4 पैर, सूंड, लिंग और पूंछ को जमीन को छूना चाहिए.


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