रूस का 'सुखोई Su-57' लड़ाकू विमान ग्रेमलिन मिसाइल से होगा लैस, जानें इसकी खासियत
रूस का 'सुखोई Su-57' लड़ाकू विमान ग्रेमलिन मिसाइल से होगा लैस, जानें इसकी खासियत
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: अमेरिका के साथ बाल्टिक सागर में जारी तनाव के बीच रूस अपनी सामरिक क्षमता को तेजी से बढ़ा रहा है। नए-नए युद्धपोत और पनडुब्बियों के बाद रूसी हथियार निर्माता ग्रेमलिन नाम की एक हाइपरसोनिक मिसाइल को विकसित करने में जुटे हैं। यह मिसाइल रूस के सबसे एडवांस लड़ाकू विमान सुखोई एसयू-57 और स्ट्रैटजिक बॉम्बर टीयू- 22 से भी दागी जा सकेगी। यह मिसाइल इतनी घातक होगी कि दुश्मन का एयर डिफेंस सिस्टम भी इसे पकड़ नहीं पाएगा। रूसी वायुसेना में इस मिसाइल के शामिल हो जाने के बाद पूर्वी चीन सागर और बाल्टिक सागर में गश्त लगा रहे अमेरिकी युद्धपोतों के लिए खतरा और बढ़ जाएगा। हाल में ही अमेरिका के नए राष्ट्रपति बने जो बाइडन भी रूस को लेकर कड़े बयान दे चुके हैं। जिसके बाद इन दोनों महाशक्तिशाली देशों के बीच तनाव बढ़ना तय माना जा रहा है।
ग्रेमलिन को रूस के कुछ आधिकारिक दस्तावेजों में GZUR हाइपरसोनिक गाइडेड मिसाइल के नाम से भी उल्लेख किया गया है। यह मिसाइल Kh-47M2 ड्रैगर मिसाइल से साइज के मामले में काफी छोटी होगी। जिसके कारण इसे छोटे आकार के लड़ाकू विमानों से भी फायर किया जा सकता है। यह मिसाइल इतनी घातक होगी कि 1500 किलोमीटर की दूरी में स्थित कोई भी दुश्मन इसके वार से बच नहीं पाएगा। Kh-47M2 परमाणु हमला करने में सक्षम हवा से लॉन्च होने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है। 12250 से 14701 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से उड़ान भरने में सक्षम है। यह मिसाइल 2000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक मार करने में सक्षम है। माना जा रहा है कि रूस की ग्रेमलिन मिसाइल भी कुछ ऐसी ही क्षमताओं के साथ आएगी। हालांकि, साइज में छोटा होने के कारण एक लड़ाकू विमान ऐसी कई मिसाइलों से लैस होकर उड़ान भरने में सक्षम होगा।
ग्रेमलिन से लैस होंगे रूस के ये लड़ाकू विमान
रूस आने वाले समय में अपनी वायुसेना को और मजबूत बनाने के लिए इस मिसाइल को कई लड़ाकू विमानों पर तैनात करने की योजना पर काम कर रहा है। मुख्य रूप से रूस के जिन लड़ाकू विमानों पर ग्रेमलिन मिसाइल तैनात होगी उसमें मिग-31 इंटरसेप्टर, लॉन्ग रेंज सुपरसोनिक मिसाइल कैरियर टीयू-22, सुखोई एसयू-57, सुखोई एसयू-30एसएम और सुखोई एसयू-35 शामिल हैं। ये विमान एक से ज्यादा की संख्या में ग्रेमलिन मिसाइलों को लेकर उड़ान भरने में सक्षम होंगे। इसी साल 9 फरवरी को इस मिसाइल के उत्पादन को लेकर एक हाई लेवल बैठक की गई थी। जिसमें रूसी रक्षा विभाग के प्रमुख सर्गेई शोइगु भी शामिल थे। उन्होंने इस बैठक में कहा कि रूस आने वाले दिनों में गैर परमाणु क्षमता वाले हाइपरसोनिक मिसाइलों को बनाने पर ध्यान दे रहा है।
ग्रेमलिन या GZUR हाइपरसोनिक गाइडेड मिसाइल के 2023 तक रूसी वायुसेना में शामिल होने की उम्मीद है। रूसी मीडिया के अनुसार, इस मिसाइल को बनाने का काम 2018 में भविष्य की जरूरतों को देखते हुए शुरू किया गया था। इस मिसाइल के उत्पादन के लिए रूसी रक्षा मंत्रालय ने टेक्टिकल मिसाइल आर्मामेंट कॉर्पोरेशन के साथ करार किया है। इस मिसाइल के प्रपल्सन सिस्टम को लेकर काम अभी जारी है। जिसे तुरावेस्को मशीन-बिल्डिंग डिज़ाइन ब्यूरो सोयूज इसके इंजन को बना रहा है। इस मिसाइल में बिलकुल नए तरीके का हाइपरसोनिक इंजन का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसे प्रोडक्ट 70 का नाम दिया गया है।
यह घातक मिसाइल साइज में इतनी कॉम्पेक्ट होगी कि इसे सुखोई एसयू-57 के इंटरनल बे में रखा जा सकेगा। विमान के अंदर मौजूद रहने के कारण मिसाइल का आईआर सिग्नेचर को पहचनना दुश्मन देशों के लिए नामुमकिन हो जाएगा। क्योंकि, एसयू-57 स्टील्थ तकनीकी से लैस है। ऐसे में उसके अंदर मौजूद कोई भी हथियार दुश्मन के रडार पर नहीं दिखेगी। सैन्य विशेषज्ञ दिमित्री कोर्नव के अनुसार, इसकी खासियत इसका छोटा आकार है, जिसे परंपरागत लड़ाकू विमानों और नॉन स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स पर भी आसानी से लगाया जा सकता है। हाइपरसोनिक स्पीड से चलने के कारण इसे मार गिराना किसी भी डिफेंस सिस्टम के लिए लगभग नामुमकिन होगा। जिसे एसयू-57 में लगाकर दुश्मनों के ठिकानों - मुख्यालय, राडार, जहाजों के खिलाफ उपयोग किया जा सकता है।
रूस का सुखोई Su-57 लड़ाकू विमान कई तरह के घातक हथियारों से लैस है। इसे कई तरह के हथियारों की पूरी श्रृंखला को लेकर उड़ने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें शॉर्ट रेंज की एयर टू एयर मिसाइलों से लेकर 150 किलोमीटर तक जमीन पर हमला करने वाली एयर टू ग्राउंड अटैक मिसाइले भी शामिल हैं। यह रूसी जेट विम्पेल आर -37 एम हाइपरसोनिक मिसाइल के अलावा परमाणु हमला करने में सक्षम Kh-47M2 Kinzhal मिसाइल से भी हमला करने में सक्षम है। इसमें लगा एईएसए रडार और अन्य प्रणालियां पायलट को जरूरी जानकारी और सहायता उपलब्ध कराती हैं। यह विमान F-35 की अपेक्षा ज्यादा स्टील्थ तकनीकी से लैस है। जिस कारण यह अपने लक्ष्य को चुपके से खोजकर उसकी ट्रैकिंग कर नष्ट कर सकता है। विमान में 101KS इन्फ्रारेड सर्च एंड सिस्टम भी लगा हुआ है, जो छिपे हुए दुश्मनों को भी खोजने और ट्रैक करने में सक्षम है। विमान की स्पीड और एरोडॉयनमिक इसे घातक शिकारी बनाता है।
रूस का Su-57 लड़ाकू विमान खर्च के मामले में भी लॉकहीड मॉर्टिन के F-35 से सस्ता है। इसकी डिजाइन और एवियोनिक्स भी ज्यादा एरोडॉयनामिक्स हैं। यह ऑफ्टरबर्नर का उपयोग किए बिना ही 2 मैक (लगभग 2500 किमी प्रति घंटे) की स्पीड पकड़ सकता है। यहां तक कि इसकी सबसोनिक रेंज 3500 किलोमीटर से भी अधिक है। द नेशनल इंटरेस्ट मैगजीन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रूस के पांचवी पीढ़ी के पहले स्टील्थ लड़ाकू विमान सुखोई Su-57 का मास प्रोडक्शन शुरू हो गया है। जल्द ही इसे रूसी एयरफोर्स में भी शामिल कर लिया जाएगा। कुछ साल बाद इसे अंतरराष्ट्रीय हथियारों के बाजार में भी उतारा जाएगा। मैगजीन ने आगे लिखा है कि जाहिर है कि यह खबर अमेरिका के लिए अच्छी नहीं है, क्योंकि इससे नाटो के कई सामरिक ठिकाने असुरक्षित हो जाएंगे।
टीयू-22एम3 को सोवियत संघ के जमाने के टीयू-22एम से विकसित किया गया है। जो सुपरसोनिक स्पीड से 5100 किलोमीटर की दूरी तक हमला करने में सक्षम है। परमाणु हमला करने में सक्षम इस घातक बमवर्षक विमान की अधिकतम रफ्तार 2300 किलोमीटर प्रति घंटा है। 40 मीटर लंबा और 34 मीटर चौड़ा यह बॉम्बर टर्बोजेट इंजन की मदद से उड़ान भरता है। हाल में ही टीयू-22एम3 के दो प्रोटोटॉइप को बनाया गया है, जिसका अभी फ्लाइट ट्रायल किया जा रहा है। अमेरिका को भी इस घातक बॉम्बर से डर लगता है। क्योंकि, यह बॉम्बर रडार की पकड़ से बचने के लिए काफी नीचे उड़ान भरने में सक्षम है। अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य संगठ नाटो ने इसे बैकफायर-सी (Backfire-C) का नाम दिया है। इसमें हवा में ईंधन भरने के लिए एरियल रिफ्यूलिंग नोज को भी लगाया गया है। जो इसकी रेंज को और अधिक बढ़ा देता है। रूस ने अपने इस जहाज को सीरिया के जंग के मैदान में टेस्ट भी किया है। जहां इसने अपनी भीषण बमबारी से कई आतंकी ठिकानों को बर्बाद कर दिया था।