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एक बार समर्थन मिलने के बाद मॉस्को अपने कदम पीछे खींच लेगा।
मॉस्को : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक की सोशल मीडिया पोस्ट ने संभावित रूप से रूस की हिटलिस्ट में शामिल अगले देश का खुलासा किया है। इसमें कजाकिस्तान के लिए खतरा बताया गया था, हालांकि यह पोस्ट अब डिलीट हो चुकी है। इस साल फरवरी में पुतिन के यूक्रेन पर हमला करने के बाद से इस बात की आशंका लगाई जा रही है कि पुतिन की टारगेट लिस्ट और लंबी हो सकती है। यूक्रेन में पुतिन की सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा है जिस वजह से फिलहाल वह कोई नया हमला करने के बारे में विचार नहीं करेंगे। लेकिन हाल ही में रूस के पूर्व राष्ट्रपति और रूसी सुरक्षा परिषद के वर्तमान उप प्रमुख दिमित्री मेदवेदेव की एक हालिया पोस्ट ने विशेषज्ञों की चिंता को बढ़ा दिया है।
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डेलीस्टार की खबर के अनुसार यह पोस्ट 2 अगस्त को शेयर की गई थी जिसमें घोषणा की गई कि आज का उत्तर कजाकिस्तान 'ऐतिहासिक रूप से' रूस का हिस्सा था। इसे तुरंत डिलीट कर दिया गया और इसकी पोस्टिंग के लिए हैकिंग को जिम्मेदार ठहराया गया। जेम्सटाउन फाउंडेशन रिसर्च ग्रुप के लिए लिखने वाले यूरेशिया विशेषज्ञ पॉल ग्लोब का दावा है कि अधिकांश रूसी टिप्पणीकारों का मानना है कि यह पोस्ट वास्तव में क्रेमलिन में बैठे कई लोगों के इरादों को दर्शाती है।
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कजाकिस्तान से नाराज है रूस
उन्होंने लिखा, 'लिहाजा, कई क्रेमलिन विश्लेषक यह सुझाव दे रहे हैं कि कजाकिस्तान रूसी राष्ट्रपति का अगला टारगेट बन सकता है।' ग्लोब ने कहा कि इस साल जनवरी में रूस की ओर से देश में विद्रोह को दबाने में मदद करने के बाद क्रेमलिन कजाकिस्तान के नेतृत्व की ओर से 'अकृतज्ञता' के लिए 'नाराज' है। मॉस्को गुस्से में है और नूर-सुल्तान (कजाकिस्तान की राजधानी) चिंतित है।
क्यों हमला कर सकते हैं पुतिन?
ग्लोब ने रूस के कजाकिस्तान की ओर बढ़ने के लिए तीन संभावित कारकों को जिम्मेदार ठहराया। पहला- कजाकिस्तान भी पश्चिमी प्रभाव के मामले में यूक्रेन की ही दिशा में आगे बढ़ रहा है, दूसरा- रूस को मध्य एशिया में अपना प्रभाव खोने का डर सता रहा है और तीसरा- कजाकिस्तान 'रूस में उत्तर की ओर इस्लामिक विस्तार' के लिए एक पुल बन गया है।
क्यों हमला नहीं करेंगे पुतिन?
हालांकि उन्होंने पुतिन के हमला न करने के भी तीन कारण बताए। पहला- पुतिन की सेनाएं यूक्रेन में लंबे समय से फंसी हुई हैं और अभी कुछ और दिनों तक वहां रह सकती हैं। दूसरा- कजाकिस्तान में जातीय रूसियों की संख्या तेजी से घट रही है। यह 1989 में आबादी का 38 फीसदी से गिरकर आज 18 फीसदी बची है। तीसरा- मॉस्को का धमकाने और कार्रवाई करने का पुराना इतिहास है। वह कजाकिस्तान के नेताओं को रूस का समर्थन करने के लिए यह कर सकता है। एक बार समर्थन मिलने के बाद मॉस्को अपने कदम पीछे खींच लेगा।
Neha Dani
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