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यूक्रेन में फंस गई है रूस की सेना, उम्मीद अनुरूप सफलता नहीं मिली

Subhi
22 March 2022 1:22 AM GMT
यूक्रेन में फंस गई है रूस की सेना, उम्मीद अनुरूप सफलता नहीं मिली
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पश्चिमी देशों के जासूस लगातार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) पर नजर रखे हुए हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति में उनके लिए यह पता लगाना बेहद कठिन हो गया है

पश्चिमी देशों के जासूस लगातार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) पर नजर रखे हुए हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति में उनके लिए यह पता लगाना बेहद कठिन हो गया है कि आखिर पुतिन के दिमाग में चल क्या रहा है. यूक्रेन (Ukraine) में रूसी सैनिकों (Russian Troops) को उम्मीद अनुरूप सफलता नहीं मिलने के बाद यह बेहद जरूरी हो गया है कि पुतिन की अगली चाल का पता लगाया जाए. इसलिए रूसी राष्ट्रपति के दिमाग में उतरने को लेकर इन जासूसों की बेताबी और बढ़ गई है.

अलग-थलग पड़ गए हैं पुतिन

जाससू (Spy) यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि रूस दबाव में कैसी प्रतिक्रिया देगा. दरअसल, यूक्रेन संकट को और भी खतरनाक होने से बचाने के लिए व्लादिमीर पुतिन की मनोदशा को समझना बेहद जरूरी है. ऐसी अटकलें भी लगाई जाती रही हैं कि पुतिन बीमार हैं. हालांकि कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि वास्तव में वो अलग-थलग पड़ गए हैं और किसी वैकल्पिक विचार की तलाश में हैं. हाल ही में जब वो फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मिले, तो दोनों बड़े आकार वाली मेज के दो किनारों पर थे. युद्ध के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के साथ बैठक में भी पुतिन की स्थिति ऐसी ही थी. यानी दूसरे नेताओं से उनकी दूरी बढ़ती जा रही है.

एक खुफिया अधिकारी की मानें तो व्लादिमीर पुतिन की शुरुआती सैन्य योजना रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी के किसी अधिकारी ने तैयार की थी. इस योजना को इतना गोपनीय रखा गया कि सैन्य कमांडरों को भी इसकी भनक नहीं लगी. सैनिकों यह बताए बिना सीमा पर भेज दिया गया कि वे करने क्या जा रहे हैं. वैसे, पश्चिमी देशों के जासूस यूक्रेन युद्ध से जुड़ी योजनाओं के बारे में रूसी नेतृत्व अच्छे से समझते हैं, लेकिन अब हालात काफी बदल गए हैं. उन्हें यह पता लगाना है कि व्लादिमीर पुतिन आगे क्या करने वाले हैं और यह कोई आसान काम नहीं है.

इसलिए मुश्किल है जानकारी जुटाना

अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के लिए रूस का काम संभालने वाले जॉन सिफर ने बीबीसी को बताया कि क्रेमलिन की अगली चाल समझना इसलिए मुश्किल है क्योंकि पुतिन रूस के लिए निर्णय लेने वाले इकलौते शख्स हैं. इसी तरह , ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी एमआई6 के पूर्व प्रमुख सर जॉन सॉवर्स का मानना है कि रूस जैसे बेहद बंद सिस्टम में उनके नेता के दिमाग में क्या चल रहा है, उसके बारे में बेहतर जानकारी जुटाना बहुत कठिन है.

पिछली घटनाओं से हैं नाराज

खुफिया अधिकारियों का कहना है कि व्लादिमीर पुतिन अपने प्रोपेगैंडा के चलते अलग-थलग पड़े हैं. उनके पास बहुत ही कम बाहरी सूचना पहुंचती हैं, क्योंकि खुद को बेहद कम लोगों तक सीमित रखा है. पुतिन के बारे में यह भी माना जाता है कि वो पिछली घटनाओं को लेकर नाराज हैं और यूक्रेन मुद्दे ने उन्हें अपनी भड़ास निकालने का मौका दिया है. पुतिन को करीब से जानने वाले बताते हैं कि वो 90 के दशक में रूस के कथित अपमान का बदला लेने की इच्छा रखने के साथ इस बात में यकीन करते हैं कि पश्चिमी देश, रूस को कमजोर करने और उन्हें सत्ता से हटाने को लेकर दृढ़ हैं. व्लादिमीर पुतिन से मिलने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि लीबिया के पूर्व शासक कर्नल गद्दाफी के 2011 में सत्ता से हटाए जाने के बाद उनके मारे जाने का वीडियो उन्होंने बार-बार देखा था.

अधिकारी नहीं दे रहे पूरी जानकारी

कुछ एक्सपर्ट्स यह भी मानते हैं कि पुतिन मानसिक रूप से बीमार नहीं हैं. वो जल्दबाजी में हैं और आगे उनके और अलग-थलग पड़ने की संभावना है. उन्हें लगता है कि पुतिन के पास शायद अभी भी विश्वसनीय सूचना नहीं पहुंच रही है. यूक्रेन पर हमले को लेकर उनकी खुफिया सेवा उन्हें ठीक जानकारी नहीं दे रही हो. ऐसा इसलिए कि अधिकारी शायद पुतिन को वैसी सूचना नहीं देना चाहते, जिसे वो सुनना नहीं चाहते. एक अधिकारी ने हाल ही में बताया था कि व्लादिमीर पुतिन को अभी भी इस बात की जानकारी नहीं है कि उनके सैनिकों के लिए हालात कितने बुरे हो गए हैं.


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