विश्व

युद्ध में रूसी महीला ने यूक्रेन के ओर से लड़ी जंग, पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई

Subhi
18 Sep 2022 2:17 AM GMT
युद्ध में रूसी महीला ने यूक्रेन के ओर से लड़ी जंग, पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई
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रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध किस मोड़ पर समाप्त होगा ये किसी को नहीं पता है। लेकिन इस बीच एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। युद्ध में एक रूसी महीला ने यूक्रेन का साथ देते हुए अपने ही देश के खिलाफ जंग लड़ी। रूसी महिला ने सिर्फ जंग ही नहीं लड़ी बल्की लड़ते-लड़ते अपने प्राणों की भी आहुती दे दी।

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध किस मोड़ पर समाप्त होगा ये किसी को नहीं पता है। लेकिन इस बीच एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। युद्ध में एक रूसी महीला ने यूक्रेन का साथ देते हुए अपने ही देश के खिलाफ जंग लड़ी। रूसी महिला ने सिर्फ जंग ही नहीं लड़ी बल्की लड़ते-लड़ते अपने प्राणों की भी आहुती दे दी।

युद्ध में यूक्रेम का साथ देने वाली रूसी महिला का नाम ओल्गा सिमोनोवा था और वो 34 साल की थीं। सिमोनोवा के अंतिम संस्कार के दौरान उनके ताबूत को नीले और पीले रंग के यूक्रेनी झंडे में लपेटा गया था। साथ ही उन्हें सैन्य सम्मान देते हुए तीन तोपों की सलामी भी दी गई। बीते कुछ दिनों में रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जंग में सैन्य कार्रवाई को और तेज कर दिया है। दोनों देशों के बीच जंग फरवरी के महीनें में शुरू हुई थी। तब से सैन्य संघर्ष लगातार चला आ रहा है।

रूसी शहर चेल्याबिंस्क में जन्मी सिमोनोवा को खेलों में गहरी दिलचस्पी थी और उन्होंने पर्वतारोहण और कराटे दोनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। बीते दिनों समाचार एजेंसी के साथ बातचीत में उन्होंने बताया था कि रूस के लिए किसी कम्पटीशन में उतरना उनके लिए हमेशा गर्व की बात थी। लेकिन चेचन्या में रूस के युद्ध और यूक्रेन के पूर्वी डोनबास क्षेत्र और क्रीमिया में रूस के कार्यों के बारे में पढ़ने के बाद वह अपने देश के बारे में असहज महसूस करने लगी थीं।

युद्ध में रूस की नीतियों के बारे में जानकर सिमोनोवा का मन संशय से भर गया। जिसके बाद उन्होंने एक ऐसा फैसला किया, जिसने उनका पूरा जीवन बदलकर रख दिया। सिमोनोवा रूस छोड़कर यूक्रेन पहुंची, जहां उन्होंने डोनबास क्षेत्र में जारी संघर्ष को वालंटियर के तौर पर ज्वाइन किया। जिसके बाद वो पैरामेडिक में शामिल हुईं और अंततः उन्हें यूक्रेन की आर्मी में जगह मिल गई। सिमोनोवा ने बीते दिनों बताया था कि उन्होंने कभी भी अपने रूसी मूल को अपने सहयोगियों से नहीं छिपाया और युद्ध के मैदान में यूक्रेन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाकर उनका विश्वास हासिल किया। उन्हें साल 2017 में उन्हें यूक्रेन की नागरिकता मिली थी।


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