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रूस राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का बड़ा बयान बोले- यूक्रेन में 3,000 से अधिक भारतीय छात्रों को बनाया गया बंधक

Subhi
4 March 2022 12:59 AM GMT
रूस राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का बड़ा बयान बोले- यूक्रेन में 3,000 से अधिक भारतीय छात्रों को बनाया गया बंधक
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यूक्रेन और रूस के बीच जंग जारी है। जारी जंग के बीच यूक्रेन में कई भारतीय फंसे हैं, जिन्हें वापस अपने वतन लाने के लिए देश की मोदी सरकार ने ऑपरेशन गंगा अभियान चला रखा है।

यूक्रेन और रूस के बीच जंग जारी है। जारी जंग के बीच यूक्रेन में कई भारतीय फंसे हैं, जिन्हें वापस अपने वतन लाने के लिए देश की मोदी सरकार ने ऑपरेशन गंगा अभियान चला रखा है। इसी बीच, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का बड़ा बयान सामने आया है। पुतिन ने दावा करते हुए कहा कि यूक्रेन में 3,000 से अधिक भारतीय छात्रों को बंधक बनाया गया था।

इतना ही नहीं, पुतिन ने आगे कहा कि चीनी छात्रों को भी बंधक बनाकर रखा जा रहा है। पुतिन ने कहा, "यूक्रेन विदेशियों को निकालने में देरी करने की कोशिश कर रहा है, जिससे उन्हें खतरा है।" इंडिया टुडे के मुताबिक पुतिन ने यह बात सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक के बाद कही है।

पुतिन ने दावा किया कि उनकी सेना ने सुरक्षित गलियारों की पेशकश की है ताकि नागरिक युद्ध से बचकर भाग सकें, उन्होंने लोगों की दुर्दशा के लिए यूक्रेन को जिम्मेदार ठहराया।

वहीं, भारत सरकार द्वारा तत्काल यूक्रेन के शहर खारकीव को छोड़ने का परामर्श जारी किए जाने के एक दिन बाद भी वहां फंसे तमाम छात्र युद्ध ग्रस्त पूर्वी यूक्रेन से सुरक्षित क्षेत्र में जाने का प्रयास कर रहे हैं।

खारकीव में युद्ध तेज होने के बाद भारत ने बुधवार को अपने लोगों से कहा था कि वे तत्काल शहर से बाहर निकल जाएं, अगर उन्हें पैदल यात्रा करनी पड़े तब भी। वहीं रूस ने संघर्ष वाले क्षेत्र से भारतीयों को बाहर निकलने के संबंध में 'मानवीय कॉरिडोर' बनाने का वादा किया है।

हालांकि, छात्रों का दावा है कि उन्हें अभी भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। खारकीव में मौजूद एक भारतीय मेडिकल छात्रा फिरदौस तरन्नुम ने कहा, ''सिर्फ इसलिए क्योंकि रात गुजर गई है और हम बच गए हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि संघर्ष समाप्त हो गया है। हम अभी भी सुरक्षित क्षेत्र में नहीं हैं। हमने चलना शुरू किया, लेकिन रेलवे स्टेशनों पर लोगों की बाढ़ आयी हुई है और अभी भी हम ट्रेन पर सवार नहीं हो पाये हैं।''

मेडिकल के पहले वर्ष के छात्र रेहम खान ने कहा, ''हम खारकीव के पास पिसोचिन में एक सुरक्षित स्थान पर हैं। हमारे पास कंबल नहीं हैं और खाना भी लगभग समाप्त हो गया है। सरकार का परामर्श जारी होने के साथ ही हमने तत्काल चलना शुरू कर दिया। मैं आशा करता हूं कि वे हमारे लिए तत्काल बसों का इंतजाम करेंगे ताकि हम यहां से बाहर निकल सकें।''


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