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रूस के तालिबान के साथ कुछ सालों से संबंध हैं। उसका मानना है कि तालिबान भले ही सत्ता पर पूरी पकड़ न रखे, लेकिन वह अफगानिस्तान में एक ताकत है।
रूस के तालिबान के साथ कुछ सालों से संबंध हैं। उसका मानना है कि तालिबान भले ही सत्ता पर पूरी पकड़ न रखे, लेकिन वह अफगानिस्तान में एक ताकत है। हालांकि रूस अब भी उसे आधिकारिक तौर पर आतंकी संगठन ही मानता है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस सप्ताह मॉस्को में कहा था कि तालिबान ने संकेत दिया है कि वह सरकार में अन्य सियासी दलों को शामिल करने का इच्छुक है।
रूसी विदेश मंत्री ने कहा था कि तालिबान अपनी सरकार में अन्य दलों को शामिल करेगा
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस जोर देकर कहा कि रूस को अफगानिस्तान के नए शासकों के तौर पर तालिबान को मान्यता देने की कोई जल्दी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान ने लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति देने के संकेत भी दिए हैं।
इस आधार पर माना जा रहा है कि रूस लंबे समय से तालिबान के साथ अपने संबंधों के कारण उसकी जीत के लिए तैयार था। हालांकि रूस ने तालिबान को 2003 में आतंकी संगठनों की सूची में शामिल किया था। लेकिन अब रूस ने कहा है कि अफगानिस्तान में स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के तहत तालिबान से उनकी बातचीत जरूरी है। रूसी राजदूत ने काबुल फतह के बाद तालिबान नेताओं से वार्ता की और इस कदम को 'रचनात्मक' बताया।
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