विश्व

दोनेस्क-खारकीव पर रूसी सेना ने दागीं लंबी दूरी की मिसाइलें, 12 मरे, रॉकेट सिस्टम और डिपो नष्ट

Renuka Sahu
8 July 2022 12:47 AM GMT
Russian army fired long-range missiles at Doneshk-Kharkiv, 12 killed, rocket systems and depots destroyed
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फाइल फोटो 

रूस-यूक्रेन युद्ध के 134वें दिन रूसी सेना ने खारकीव शहर पर लंबी दूरी की गोलाबारी तेज कर दी है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रूस-यूक्रेन युद्ध के 134वें दिन रूसी सेना ने खारकीव शहर पर लंबी दूरी की गोलाबारी तेज कर दी है। उधर यूक्रेन में विद्रोहियों के दावे वाले प्रांत दोनेस्क में पिछले 24 घंटे से जारी गोलाबारी के कारण 8 लोग मारे गए जबकि 25 अन्य घायल हो गए हैं। दूसरी तरफ, रूस समर्थक अलगाववादियों ने कहा कि यूक्रेनी सेना के हमले में उनके चार नागरिक भी मारे गए हैं। खारकीव में रूसी सेना बहुत तेजी से प्रहार कर रही है।

यहां से यूक्रेनी सैनिकों ने युद्ध के शुरुआती चरण में मॉस्को के बख्तरबंद बलों को पीछे धकेल दिया था। माना जा रहा है कि रूसी सैनिक आगामी सप्ताहों में दोनेस्क के क्रामातोर्स्क शहर पर कब्जा कर सकते हैं। पिछले कुछ दिनों में शहर से अधिकांश नागरिक बाहर आ गए हैं। उधर, रूसी रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि उसने दो अमेरिका निर्मित उन्नत रॉकेट सिस्टम और दोनेस्क में उनके गोला-बारूद का डिपो नष्ट कर दिया है। हालांकि यूक्रेन ने इससे इनकार किया है।
युद्ध के बाद महंगाई से 7.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आए
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने एक रिपोर्ट में कहा, यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद खाद्य पदार्थों और ऊर्जा की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण दुनिया में 7.1 करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए हैं। यूएनडीपी का अनुमान है कि युद्ध शुरू होने के बाद पहले तीन महीनों में 5.16 करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए और वे प्रति दिन 1.90 डॉलर या उससे भी कम पैसे में जीवन यापन कर रहे हैं। इसके साथ ही विश्व की कुल आबादी का करीब नौ फीसदी हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे हो गया। करीब दो करोड़ लोग रोजाना 3.20 डॉलर से कम पैसे में जीवन गुजार रहे हैं।
रूस पर लगे प्रतिबंधों का भी बुरा असर
पश्चिमी देशों द्वारा रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जाने से ईंधन और मुख्य खाद्य पदार्थों जैसे गेहूं, चीनी और खाना पकाने के काम आने वाले तेल की कीमतें बढ़ गईं हैं। यूक्रेनी बंदरगाहों के अवरुद्ध होने और कम आय वाले देशों को अनाज निर्यात नहीं कर पाने के कारण कीमतों में और वृद्धि हुई। यूएनडीपी प्रशासक अचिम स्टीनर ने कहा कि जीवन यापन के खर्च पर पड़ने वाला प्रभाव काफी गंभीर है और हाल के समय में ऐसी स्थिति नहीं देखी गई।
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