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सीरिया में रूसी एयर डिफेंस ने फिर किया हमला, इजरायल की 22 मिसाइलों को मार गिराया

Deepa Sahu
21 Aug 2021 3:52 PM GMT
सीरिया में रूसी एयर डिफेंस ने फिर किया हमला, इजरायल की 22 मिसाइलों को मार गिराया
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दुनिया के बीच जंग का मैदान बने सीरिया में रूसी एयर डिफेंस सिस्टम ने इजरायल की 22 मिसाइलों को मार गिराया है।

दमिश्क: दुनिया के बीच जंग का मैदान बने सीरिया में रूसी एयर डिफेंस सिस्टम ने इजरायल की 22 मिसाइलों को मार गिराया है। सीरियाई एयर डिफेंस फोर्स ने दावा किया है कि इजरायल ने यह हमला राजधानी दमिश्क और होम्स प्रांत के आबादी वाले इलाकों में किया था। सीरियाई सेना का कहना है कि इन मिसाइलों को मार गिराने में रूस में बने Buk-M2E और पैंटसर-एस सिस्टम (Pantsir-S system) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, इजरायल ने अभी तक इस घटना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

रूसी केंद्र के एडमिरल ने की पुष्टि
सीरिया में जंग लड़ रहे संगठनों के बीच सुलह के लिए स्थापित रूसी केंद्र के उप प्रमुख रियर एडमिरल वादिम कुलित ने कहा कि रूसी एयर डिफेंस सिस्टम्स ने किसी भी मिसाइल को लक्ष्य पर गिरने नहीं दिया। कुलित ने कहा कि ड्यूटी पर तैनात सीरियाई वायु रक्षा ने रूसी निर्मित बुक-एम2ई और पैंटिर-एस सिस्टम से 22 मिसाइलों को नष्ट कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि इजरायली मिसाइलों के हमले में कोई भी सीरियाई सैनिक हताहत नहीं हुआ और न ही किसी सैन्य ढांचे को नुकसान पहुंचा।
दमिश्क और होम्स में इजरायल ने किए हमले
सीरियाई सेना ने पुष्टि की कि गुरुवार देर रात लेबनानी हवाई क्षेत्र से दमिश्क और होम्स के इलाके में इजरायली वायु सेना के विमानों ने मिसाइल हमले किए। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ये लड़ाकू विमान काफी कम ऊंचाई पर उड़ रहे थे और वापस लेबनान की तरफ लौट गए। अभी तक इस ऑपरेशन में शामिल इजरायली लड़ाकू विमानों की संख्या और उनके द्वारा इस्तेमाल की गई मिसाइलों के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है।
मंगलवार को भी इजरायल ने की थी एयरस्ट्राइक
मंगलवार को भी इजरायली वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने सीरियाई प्रांत कुनीत्रा में एक सैन्य अड्डे पर मिसाइलों से हमला किया था। इन विमानों ने सीरिया के पूर्वी हिस्से में स्थित सीरियाई सेना की 90वीं ब्रिगेड के मुख्यालय पर भी हमला किया था। इन हमलों के खिलाफ सीरिया कई बार संयुक्त राष्ट्र में भी इजरायल के ऊपर हमले कर चुका है। सीरिया ने अपनी संप्रभुता के उल्लंघन को समाप्त करने के लिए इजरायल पर दबाव बनाने की मांग भी की है।
कितना ताकतवर है Buk-M2E मिसाइल सिस्टम
Buk-M2E मिसाइल सिस्टम सोवियत संघ के जमाने का हथियार है। इसकी पहली यूनिट 1980 में कमीशन की गई थी। Buk-M2E सेल्फ प्रोपेल्ड, मीडियम रेंज की जमीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है। इस सिस्टम को क्रूज मिसाइल, स्मॉर्ट बम, लड़ाकू विमान और ड्रोन के खिलाफ कार्रवाई के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी रेंज 140 किलोमीटर के आसपास बताई जाती है।
इजरायल के हेरोप सुसाइड ड्रोन, रॉबेल व्हील बैटलफील्ड रोबोट और ऑटोमेटिक बॉर्डर कंट्रोल मशीनगन ने इजरायल की सुरक्षा को कई गुना बढ़ाया है। यही कारण है कि स्थापना के बाद से अरब देशों के कई हमले झेल चुके इजरायल पर अब कोई भी देश आक्रमण करने की सोचता भी नहीं है। वर्तमान समय में पूरी दुनिया में हथियारों को उन्नत और ऑटोमेटिक बनाने को लेकर तरह तरह की तकनीकों का विकास किया जा रहा है। हर देश चाहता है कि युद्ध के दौरान उसकी सेना के जवान कम से कम घायल हों या मारे जाएं। यही कारण है कि रोबोटिक हथियार और ड्रोन्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच पिछले साल हुए युद्ध में भी ड्रोन का बड़े पैमाने पर उपयोग देखा गया था। जिसके बाद से पूरी दुनिया में ड्रोन टेक्नोलॉजी को लेकर एक विशेष तेजी देखी गई
इजरायल ने गाजा सीमा पर कई टॉवरों पर ऑटोमेटिक रोबोट स्नाइपर गन को तैनात किया है। .5 कैलिबर की ये मशीनगन अपने रेंज में आने वाले दुश्मन को पलक झपकते खत्म कर सकती है। यह मशीनगन सैमसन रिमोट कंट्रोल वेपन सिस्टम पर आधारित है। जिसमें लगे सेंसर ऑटोमेटिक अपने लक्ष्य को ढूंढ सकता है। दूर सुरक्षित दूरी पर बैठा ऑपरेटर इस मशीन के जरिए सीमा पर घुसपैठियों को दिन या रात दोनों समय आसानी से शूट कर सकता है। इन्हें वर्तमान में अलार्म सेंसर वाले स्टील के दरवाजों वाले केबिन में सेट किया जा रहा है।
सुसाइड ड्रोन्स गाइडेड मिसाइल और ड्रोन टेक्नोलॉजी से मिलकर बने होते हैं। ये ड्रोन दुश्मन के क्षेत्र में अंदर तक घुसपैठ करने की क्षमता भी रखते हैं। साइज में छोटे और वजन में हल्के होने के कारण अधिकतर रडार इनका सिग्नेचर पकड़ नहीं पाते हैं। इन ड्रोन्स के अंदर बड़ी मात्रा में विस्फोटक भरा होता है। अगर इन्हें लक्ष्य नहीं मिला तो ये वापस बेस पर लौट आते हैं, लेकिन अगर इन्हें हमला करना होता है तो खुद को लक्ष्य से लड़ाकर उसे बर्बाद कर देते हैं। ऐसे हमले में ये ड्रोन पूरी तरह बर्बाद हो जाते हैं। इजरायल के हेरोप ड्रोन का इस्तेमाल भारतीय सेना भी करती है।
इजरायली Harop Kamikaze Drones को कई नाम से जाना जाता है। इसे हीरो-120 या किलर ड्रोन भी कहा जाता है। इसे इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्री के एमबीटी डिविजन ने विकसित किया है। इस ड्रोन का उपयोग अजरबैजान की सेना 2016 की झड़प के दौरान भी कर चुकी है। इस ड्रोन में अलग से कोई मिसाइल नहीं होती है, बल्कि यह ड्रोन खुद में एक मिसाइल है। इसमे लगा हुआ एंटी-रडार होमिंग सिस्टम दुश्मन के रडार को भी जाम कर सकता है। जिससे अगर कोई इस मार नहीं गिराता या अगर इसे अपना लक्ष्य नहीं मिलता है तो यह वापस अपने बेस पर आ जाएगा। लेकिन, अगर इसे अपना लक्ष्य दिख गया तो यह ड्रोन उससे टकराकर खुद को उड़ा लेगा।

इजरायली Harop ड्रोन एक बार में 6 घंटे की उड़ान भर सकता है। इसे बेस स्टेशन से 1000 किलोमीटर की दूरी तक ऑपरेट किया जा सकता है। इसका समुद्र या जमीन पर टोही गतिविधियों या दुश्मन के खिलाफ मिसाइल के रूप में उपयोग किया जा सकता है। यह ड्रोन पहले से तय प्रोग्रामिंग के हिसाब से खुद उड़ान भर सकता है या फिर ऑपरेटर भी इसके निर्धारिक रास्ते को बदल सकता है। इसमें मौजूद इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर के जरिए बेस पर मौजूद ऑपरेटर अपने निशाने को चुन सकता है।
कई देशों के बीच जंग का मैदान बना सीरिया
आईएसआईएस के हाथों तबाह हो चुका सीरिया अब दुनियाभर के शक्तिशाली देशों के बीच जंग का मैदान बनता जा रहा है। वहां रूस और अमेरिका के बीत पहले से ही तनातनी जारी है। जिसमें रूस सीरियाई सरकार का समर्थन कर रही है, वहीं अमेरिका उनका विरोध। अमेरिका ने सीरिया के अल्पसंख्यक गुट कुर्दों के सैन्य दस्तों को समर्थन दिया हुआ है। वहीं, इजरायल भी सीरिया में ईरानी मिलिशिया की मौजूदगी को खत्म करने के लिए लगातार हमले कर रहा है। तुर्की भी सीरिया में भाड़े के सैनिकों के दम पर अपने हितों को सााधने में जुटा है।


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