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युद्ध के बाद कमजोर हो जाएगा रूस, रूस पर गहराने लगा आर्थिक मंदी का डर

Subhi
21 March 2022 1:29 AM GMT
युद्ध के बाद कमजोर हो जाएगा रूस, रूस पर गहराने लगा आर्थिक मंदी का डर
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रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है. दोनों देशों के बीच 25 दिनों से जारी जंग का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी दिखने लगा है. इस बीच एक युद्ध विश्लेषक ने दावा किया है

रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है. दोनों देशों के बीच 25 दिनों से जारी जंग का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी दिखने लगा है. इस बीच एक युद्ध विश्लेषक ने दावा किया है कि यूक्रेन से युद्ध के बाद रूस बेहद कमजोर हो जाएगा, जिसके चलते व्लादिमीर पुतिन को मजबूर होकर चीन के सामने हाथ फैलाने पड़ सकते हैं.

अमेरिकी विदेश नीति और चीन से जुड़े राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों के विशेषज्ञ हैरी काजियानिस ने कहा कि रूस को अपनी संपत्ति बीजिंग को बेचने के लिए मजबूर किया जाएगा क्योंकि यह पश्चिम द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों से अपंग जैसा हो गया है. 'द मिरर' की रिपोर्ट के मुताबिक एक्सप्रेस के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद चीन ने वर्चस्व कायम करने के लिए पूरी मेहनत की. अब आने वाले वर्षों में जब रूस की सोवियत संघ जैसी स्थिति होगी तो चीन फिर उसी ब्लूप्रिंट का पालन कर सकता है.

रूस में आर्थिक मंदी डर

रूस में आर्थिक मंदी की चिंताएं बढ़ने लगी हैं क्योंकि यूक्रेन से युद्ध शुरू होने के बाद से रूबल अपने मूल्य से एक चौथाई से अधिक नीचे गिर गया है. इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रूबल 120 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया. अमेरिकी थिंकटैंक सेंटर फॉर नेशनल इंटरेस्ट के विश्लेषक काजियानिस ने यह भी दावा किया कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस में पैर जमाने की तलाश में हैं. वह क्रेमलिन की उन्नत सैन्य तकनीक तक पहुंच हासिल करने का फायदा उठा सकते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने इसे लेकर चीनी नेता को चेतावनी भी दी थी. जो बिडेन ने चीन से कहा था कि अगर वो रूस को आर्थिक या सैन्य सहायता देता है, तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे.

रूस वास्तव में बुरी स्थिति में

काजियानिस ने कहा कि अगर पुतिन ने आज अपने सभी सैनिकों को यूक्रेन से वापस भी बुला लिया तो रूस पर लगे प्रतिबंध नहीं हटने वाले हैं. ऐसी स्थिति में रूस को चीन का उपनिवेश बनना होगा. यही एकमात्र तरीका है जिससे रूस को जीवित रहने के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता मिलेगी. उन्होंने कहा कि यह भी निश्चित नहीं है कि चीन, रूस की मदद करे. यह रूस के लिए वास्तव में एक बुरी स्थिति है.

चीन अब माहशक्ति है

उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि रूस में चीन अधिक से अधिक पैर जमाने की कोशिश करेगा. वे रूसी सेना की सभी तकनीकों के अपनाना चाहते और अपनी सेना से जोड़ना चाहते हैं. यही उन्होंने तब किया था जब सोवियत संघ का पतन हुआ. यही कारण है कि चीन अब महाशक्ति है. उन्होंने (चीन) सोवियत संघ से जितना बचा था उतना खरीदा और अब अमेरिका और उसके सहयोगियों को एक चीनी सेना का सामना करना पड़ रहा है जिसने सभी बेहतरीन सोवियत उपकरण ले लिए हैं और इन्हें उन्नत किया है.


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