Russia-Ukraine War: युद्ध में बर्बाद हुआ ‘पुतिन’ का रूस, 87% सैनिक खोए, पढ़ें हैरान करने वाली खबर
वॉशिंगटन: रूस और यूक्रेन के बीच बीते 21 महीनों से जंग जारी है। इस बीच अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने अपने आकलन में कहा है कि युद्ध में रूस अपने करीब 87 फीसदी उन सैनिकों को खो चुका है, जो उसके लिए जमीनी जंग में उतरे थे। इसके अलावा रूस के दो तिहाई टैंक भी बर्बाद हो चुके हैं। हालांकि व्लादिमीर पुतिन फिलहाल पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। फरवरी में जंग को शुरू हुए दो साल पूरे हो जाएंगे और उनका कहना है कि इस जंग से हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। हालांकि अमेरिकी जानकारों का यह भी मानना है कि इस जंग में यूक्रेन को कोई बढ़त नहीं मिलने वाली है।
दरअसल यूक्रेन युद्ध में अमेरिका ने बड़े पैमाने पर फंडिंग की है और हथियारों से भी यूक्रेन को मदद की है। मंगलवार को ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की वॉशिंगटन पहुंचे थे और उन्होंने इस दौरान कई सांसदों से भी मुलाकात की थी। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात में उन्होंने कहा था कि यूक्रेन को और आर्थिक एवं सैन्य मदद की जरूरत है। रूस से मुकाबले के लिए यह जरूरी है। अमेरिकी एक्सपर्ट्स का कहना है कि रूस पिछले 15 सालों से अपनी सेना के आधुनिकीकरण की कोशिश कर रहा था। इस जंग से उसे झटका लगा है।
अमेरिकी अनुमान के मुताबिक यूक्रेन में रूस के 3 लाख 60 हजार सैनिक घुसे थे। इनमें से 3 लाख 15 हजार सैनिकों की अब तक मौत हो चुकी है। इसके अलावा 3500 में से 2200 टैंक भी उसके बर्बाद हो चुके हैं। यही नहीं रूसी सेना के वाहनों को भी नुकसान पहुंचा है। अनुमान में कहा गया है कि रूस अपने एक चौथाई से ज्यादा हथियारों को खो चुका है। हालांकि अब तक इसे लेकर रूस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। पिछले दिनों यह भी खबर थी कि व्लादिमीर पुतिन ने नए हथियार हासिल करने के लिए ही उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से मुलाकात की थी।
इसके अलावा अमेरिका का आरोप है कि चीन, ईरान जैसे देशों से भी रूस ने हथियार हासिल किए हैं। गौरतलब है कि यूक्रेन के मसले पर फिलहाल अमेरिका में भी बहस तेज है। ऐसे रिपब्लिकन्स भी बड़ी संख्या में हैं, जिनका कहना है कि यूक्रेन युद्ध के लिए अब और फंडिंग न की जाए। बाइडेन प्रशासन भी कह चुका है कि जल्दी ही हम यूक्रेन को फंडिंग देना बंद कर सकते हैं। एक अमेरिकी सांसद सेन जेडी वैन्स का कहना है कि रूस को 1991 में तय सीमा के उस पार धकेल पाना यूक्रेन के लिए संभव नहीं होगा।