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रूस यूक्रेन युद्ध, पुतिन के लिए आई अच्छी खबर

jantaserishta.com
18 May 2022 9:38 AM GMT
रूस यूक्रेन युद्ध, पुतिन के लिए आई अच्छी खबर
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Russia-Ukraine War: रूस के साथ जंग में यूक्रेन ने दक्षिण का एक किला गंवा दिया है. 82 दिनों से रूसी सेना के हमलों को झेल रहा मारियुपोल अब यूक्रेन के हाथ से निकल गया है. दावा किया जा रहा है कि मारियुपोल के अजोवस्तल स्टील प्लांट में यूक्रेनी सेना की आखिरी टुकड़ी ने रूसी सेना के सामने सरेंडर कर दिया है. स्टील प्लांट में महीनों से 260 से ज्यादा यूक्रेनी सैनिक बंद थे और यहीं से रूसी सेना पर जवाबी हमले कर रहे थे.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने 24 फरवरी को जब यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान किया, तो पहले ही दिन मारियुपोल पर रूसी सेना के ताबड़तोड़ हमले जारी थे. रूसी सेना के हमलों में मारियुपोल पूरी तरह खंडहर में बदल गया है. इतने दिनों की भीषण जंग के बाद मारियुपोल पर रूसी सेना का कब्जा पुतिन के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है. मारियुपोल पर कब्जे के बाद अब रूसी सेना के पास अजोव सागर से लेकर खारकीव तक एक बड़ा इलाका कब्जे में है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, अजोवस्तल स्टील प्लांट में 260 से ज्यादा यूक्रेनी सैनिक मौजूद थे. इनमें से ज्यादातर बुरी तरह घायल थे. रूसी सेना के सामने सरेंडर करने के बाद कई यूक्रेनी सैनिकों को स्ट्रेचर पर ले जाया गया. इसके अलावा सात बसों के जरिए यूक्रेनी सैनिकों को मारियुपोल के स्टील प्लांट से 88 किलोमीटर दूर ओलेनिव्का शहर की एक कॉलोनी में ले जाया गया.
रूस ने इसे सरेंडर कहा है तो वहां यूक्रेन का कहना है कि उसने अपने सैनिकों की जान बचाने के लिए ऐसा किया. यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेजनीकोव ने कहा कि उनकी जान बचाने के लिए ये किया गया. यूक्रेन को उनकी जरूरत है.
मारियुपोल पर भले ही रूस अपना कब्जा करने का दावा कर रहा है, लेकिन ये जगह अब पूरी तरह खंडहर में बदल गई है. जंग के पहले ही दिन से मारियुपोल पर रूसी सेना के ताबड़तोड़ हमले जारी थे. यूक्रेन के बाकी शहरों की तुलना में यहां सबसे ज्यादा तबाही मची है.
शुरुआत से ही रूसी सेना ने मारियुपोल को घेर लिया था. यूक्रेन का दावा है कि रूसी सेना की बमबारी में 20 हजार से ज्यादा आम लोग मारे जा चुके हैं और कई लोग महीनों तक बिना खाने, पानी और दवा जैसी बुनियादी जरूरतों के जीने को मजबूर हुए.
यूक्रेन ने ये भी दावा किया है कि रूसी सेना ने उस मटैरनिटी अस्पताल और थियेटर पर भी एयरस्ट्राइक की, जहां आम लोग शरण लिए हुए थे. थियेटर पर रूसी सेना के हमले में 600 लोगों के मारे जाने का दावा यूक्रेन ने किया है.
फ्रांस के वाइस एडमिरनल (रिटायर्ड) मिशेल ओल्हागरे ने न्यूज एजेंसी को बताया कि ये जीत पुतिन के लिए सिर्फ एक प्रतीकात्मक है, क्योंकि मारियुपोल पहले ही यूक्रेन के हाथ से जा चुका था. उनका कहना है कि अब पुतिन डोनबास पर अपनी जीत का दावा कर सकते हैं. हालांकि, यूक्रेन के सैनिकों ने जिस तरह से रूसी सेना का सामना किया, ये यूक्रेन के लिए भी बड़ी जीत है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, यूक्रेन के जिन सैनिकों ने स्टील प्लांट को छोड़ दिया था, उन्हें रूसी सैनिकों ने ढूंढा और फिर बस में बैठाकर रूस समर्थित अलगाववादियों के नियंत्रण वाले शहरों में ले जाया गया. दावा है कि 50 से ज्यादा सैनिक बुरी तरह घायल हुए हैं.
बताया जा रहा है कि यूक्रेनी सैनिकों को बसों के जरिए ओलेनिव्का शहर की एक कॉलोनी में ले जाया गया है. ओलेनिव्का और मारियुपोल दोनों ही यूक्रेन के पूर्वी डोनेत्स्क के क्षेत्र हैं. ओलेनिव्का पर 2014 से रूस समर्थित अलगाववादियों का नियंत्रण है.
न्यूज एजेंसी ने बताया कि यूक्रेनी सैनिकों को ओलेनिव्का की पेनल कॉलोनी नंबर 120 में रखा गया है. ये वो जगह है जहां रूस गंभीर अपराध करने वाले कैदियों को रखता था.
यूक्रेन के मानवाधिकार कार्यकर्ता ल्यूडमिला डेनिसोवा का दावा है कि रूस ने कई नागरिकों को महीनों तक ओलेनिव्का की पेनल कॉलोनी में रखा था. यहां पर पूर्व सैनिकों और पुलिसकर्मियों को दो महीने से ज्यादा समय से बंद हैं. हिरासत में रखे गए बंदियों में 30 से ज्यादा ऐसे लोग हैं जो मारियुपोल में लोगों की मदद कर रहे थे.
मारियुपोल यूक्रेन के सबसे दक्षिण में स्थित और ये अजोव सागर से जुड़ा हुआ है और यहां बंदरगाह है. रूसी सेना के लिए मारियुपोल इसलिए अहम है, क्योंकि यहां उसका कब्जा होने से उसे क्रीमिया से पूर्वी यूक्रेन तक के लिए जमीनी रास्ता मिल गया है.
पूर्वी यूक्रेन यानी डोनबास. ये वो इलाका है जिसे रूस यूक्रेन से अलग करना चाहता है. जंग के दौरान रूस ने कहा भी था कि उसका मकसद डोनबास को यूक्रेन से अलग करना है.
डोनबास में डोनेत्स्क और लुहांस्क स्थित है. जंग शुरू होने से दो दिन पहले ही पुतिन ने डोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दी थी. डोनेत्स्क और लुहांस्क में 2014 से ही रूस समर्थित अलगाववादियों का नियंत्रण है और यहां उनकी अपनी सरकार है. वहीं, डोनबास में भी 2014 से ही रूस समर्थित अलगाववादियों और यूक्रेनी सैनिकों के बीच संघर्ष जारी है.
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