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रूस ने किया 'आसियान' का समर्थन, कहा- मौजूदा स्थिति से निपटने का एक मात्र रास्ता...

Gulabi
6 July 2021 1:07 PM GMT
रूस ने किया आसियान का समर्थन, कहा- मौजूदा स्थिति से निपटने का एक मात्र रास्ता...
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बताया कि उन्होंने म्यांमार के सैन्य शासन को भी कुछ इसी तरह का संदेश पहुंचाया है

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद से देश में फैली अशांति को समाप्त करने के लिए रूस ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के राजनयिक प्रयासों का पुरजोर समर्थन किया है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने म्यांमार के सैन्य शासन को भी कुछ इसी तरह का संदेश पहुंचाया है।

जकार्ता की यात्रा के दौरान लावरोव ने कहा कि, दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) द्वारा तैयार पांच सूत्र सहमति के आधार होने चाहिए, जिसके द्वारा मौजूदा स्थिति से निपटा जा सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि, म्यांमार के राजनेता और सैन्य नेता दोनों हमारे संपर्क में हैं, हम आसियान की स्थिति को बढ़ावा देते हैं। जिसे हमारे विचार से इस संकट के हल करने और स्थिति को फिर से सामान्य करने के लिए एक आधार के रूप में माना जाना चाहिए। वहीं, इंडोनेशिया के विदेश मंत्री रेटनो मारसुडी ने बताया कि लावरोव जकार्ता की यात्रा के दौरान अपने आसियान समकक्षों के साथ वर्चुअल बातचीत करेंगे।
गौरतलब है कि, बीती एक फरवरी को सेना द्वारा आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार को सत्ता से बेदखल करने के बाद से म्यांमार संकट में है। कई क्षेत्रों में सेना और नवगठित मिलिशिया के बीच लड़ाई ने हज़ारों लोगों को विस्थापित होने पर मजबूर किया है। जून्टा नेता मिन आंग ह्लाइंग की अप्रैल में होने वाली आसियान शांति योजना के लिए सहमत होने के बावजूद, सेना ने इसका पालन करने का कोई इरादा नहीं दिखाया है। साथ ही लोकतंत्र को बहाल करने के लिए अपनी पूरी तरह से अलग योजना को दोहराया है।
आसियान निरंतर प्रयासरत है कि, सभी पक्षों के बीच बातचीत हो, साथ ही एक विशेष दूत की नियुक्ति की जाए, ताकी मानवीय पहुंच बढ़े और हिंसा को समाप्त किया जा सके है। लेकिन इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर सहित ब्लॉक के सबसे मुखर सदस्य सेना की कार्रवाई की कमी से निराश हैं। जिसके चलते सभी ने म्यांमार में हिंसा के बारे में चिंता व्यक्त की है। रूस, म्यांमार की सेना का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। ये उन कुछ देशों में से है, जिन्होंने जुंटा को मान्यता दी है और अपने शीर्ष अधिकारियों को देश के जनरलों से मिलने के लिए भेजा था।
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