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इसीलिए इस युद्ध के बड़ी लड़ाई में बदलने का खतरा भी बढ़ गया है.
रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 7 महीने से चल रही जंग अब भी जारी है. यूक्रेन की खुफिया एजेंसियों ने 2 दिन पहले रूस और क्रीमिया (Crimea) को जोड़ने वाले समुद्री पुल पर अटैक किया था. उसके बाद से रूस बौखलाया हुआ है और उसने यूक्रेन (Ukraine) पर जबरदस्त बमबारी शुरू कर दी है. उसने यूक्रेन की राजधानी कीव को निशाना बनाकर सोमवार को कई मिसाइलें दागीं, जिसमें कई लोग मारे गए.
रूस ने यूक्रेन पर कर दी मिसाइलों की बारिश
8 अक्टूबर यानी शनिवार को रूस को क्रीमिया (Crimea) से जोड़ने वाले कर्च ब्रिज पर एक हमला हुआ और इस पुल का एक हिस्सा बर्बाद हो गया. रशिया (Russia) ने इस हमले के पीछे यूक्रेन को जिम्मेदार ठहराया और जवाब में कीव समेत यूक्रेन के कई शहरों पर ताबड़तोड़ मिसाइलें बरसानीं शुरू कर दीं. रशिया के इस पलटवार में कीव का ये ब्रिज भी तबाह हो गया. रशिया ने सोमवार सुबह यूक्रेन के कई शहरों में मिसाइल हमले किए. युद्ध शुरू होने के बाद से ऐसा पहली बार है, जब कीव पर लंबी दूरी वाली क्रूज़ मिसाइलों से हमले किए गए.
सिर्फ़ कीव ही नहीं जैपोराज़्ज़िया, माइकोलेव, खारकीव, पोलतावा, ज़ाइतोमिर, खेमेलनितस्की, टर्नोपिल, लवीव और निप्रो जैसे शहरों पर भी कई मिसाइलें गिरीं. यूक्रेन (Ukraine) की तरफ से दावा किया गया कि रशिया की तरफ से एक के बाद एक करीब 85 मिसाइले दाग़ी गईं. जिन्होंने यूक्रेन के पावर स्टेशन, सड़कें, दफ़्तर और पार्क जैसे रिहायशी इलाकों को भी निशाना बनाया.
हमले में कई इमारतें हो गईं बर्बाद
एक मिसाइल ने कीव के बीचो बीच मौजूद एक पार्क को निशाना बनाया. हमले के बाद वहां गहरा गढ्डा हो गया और वहां से लपटें उठती नज़र आईं. इसी तरह जैपोरेज़िया में भी रशिया ने ताबड़तोड़ मिसाइलें दाग़ीं और इस हमले में वहां कई इमारतें पूरी तरह बर्बाद हो गईं. रशिया के इस पलटवार में कई आम लोगों के मारे जाने की खबरें भी सामने आई हैं. जिसके बाद यूक्रेन (Ukraine) के राष्टपति ज़ेलेंस्की ने सभी लोगों से अलर्ट रहने और बंकरों में शरण लेने की सलाह दी है. शायद जंग शुरू होने के बाद से ही ऐसा पहली बार है, जब रशिया ने कीव पर इस स्तर पर हमले किए हैं. अब ये जानना भी जरूरी है कि आखिर हालात यहां तक कैसे पहुंचे
जिस कीव में ज़िन्दगी पटरी पर लौटती दिख रही थी, वही कीव एक बार फिर सुलग रहा है. यूक्रेन की राजधानी कीव पर रशिया (Russia) ने एक के बाद एक कई मिसाइल हमले किए. सुबह सुबह हुए इन हमलों से पूरा शहर दहल उठा. सिर्फ कीव ही नहीं रशियन मिसाइलों ने जैपोरीजिया, नीप्रो, लवीव, खारकीव समेत कई और शहरों को भी निशाना बनाया.
दावा किया गया कि रशिया की तरफ से एक दो नहीं लगभग 85 मिसाइलें दाग़ी गईं. ज्यादातर मिसाइलों ने किसी मिलिटरी टारगेट को नहीं बल्कि रिहायशी इमारतों, सड़कों और पार्कों को हिट किया. ये वो वक़्त था, जब लोग अपने काम के लिए निकल रहे थे.बच्चे स्कूल जाने की तैयारी कर रहे थे और लोग पार्कों में टहल रहे थे. लेकिन अचानक हुए इस हमले ने लोगों को संभलने का मौका भी नहीं दिया.
क्राइमिया ब्रिज पर अटैक से गुस्से में रूस
रशिया (Russia) की इस मिसाइल स्ट्राइक को दो दिन पहले क्राइमिया (Crimea) ब्रिज में हुए हमले के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. शनिवार को क्राइमिया को रशिया से जोड़ने वाले ब्रिज पर हमला हुआ था. इस हमले में तीन लोगों की मौत हुई थी, जबकि पुल का एक बड़ा हिस्सा भी तबाह हो गया था. हालांकि पहले इसे एक हादसे का रूप देने की कोशिश की गई. लेकिन जल्दी ही साफ़ हो गया कि ये पुल हादसे का नहीं हमले का शिकार हुआ था. सामने आई तस्वीरों में भी यही नजर आया.
रशिया ने इस हमले के लिए यूक्रेन (Ukraine) को जिम्मेदार ठहराया था. तभी से ये तय था कि अब पुतिन भी कुछ बड़ा जरूर करेंगे. कर्च ब्रिज पर हमले के 48 घंटों के भीतर ही रशिया ने यूक्रेन के अलग अलग शहरों पर मिसाइलों की बौछार कर दी. पुल पर हमले के जवाब में रशिया ने भी कीव के एक ब्रिज को उड़ा दिया गया. इस हमले की सीसीटीवी तस्वीरें भी सामने आईं. रशिया ने जैपोरीज़िया में भी 24 घंटे के अंदर दो मिसाइल हमले किए हैं. इन हमलों में कई लोगों के मारे जाने की भी ख़बर है. जबकि बड़ी संख्या में लोगों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित जगहों के लिए जाना पड़ा है.
आखिर किस दिशा में बढ़ रहा ये युद्ध
पिछले 48 घंटों में रूस-यूक्रेन में जो कुछ भी हुआ है वो सामान्य नहीं है. आने वाले वक्त में इसके क्या नतीजे होंगे, इसका भी सिर्फ अनुमान लगाया जा सकता है. आप ये तो समझ ही गए होंगे कि रशिया के पूरी ताकत झोंकने के बाद भी यूक्रेन पीछे हटने को तैयार नहीं है और अगर कर्च ब्रिज पर हमला यूक्रेन की तरफ़ से किया गया है तो ये वाकई रशिया के लिए बहुत बड़ा झटका है. पिछले सात महीनों से जारी युद्ध में ये शायद पहली बार है, जब रशिया को इस तरह के नुकसान का सामना करना पड़ा है.
हम आपको इस ब्रिज की अहमियत के बारे में भी बताते हैं कि वह पुल रूस (Russia) के लिए आखिर इतना महत्वपूर्ण क्यों है. दरअसल क्राइमिया (Crimea) रशिया के लिए बाकी यूक्रेन से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है. क्राइमिया पर ऐतिहासिक रूप से रशिया का कब्जा रहा है. 18वीं और 19वीं सदी में रशिया के जार शासक वहां रशियन मूल के लोगों को बसाते रहे. ये नीति 20वीं सदी में भी जारी रही. लेकिन वर्ष 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद क्राइमिया आधिकारिक रूप से यूक्रेन का इलाक़ा बन गया. हालांकि रूसी मूल के लोगों की अधिकता होने की वजह से यहां कभी भी यूक्रेन का पूरी तरह नियंत्रण नहीं रहा.
वर्ष 2010 में यूक्रेन (Ukraine) के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच ने नैटो में शामिल होने से इनकार कर दिया. इसके बाद वर्ष 2013 में उन्होने यूरोपियन यूनियन में शामिल होने के फैसले को भी उलट दिया. उनके इस फैसले के बाद राजधानी कीव में हिंसा भड़क उठी. इन प्रदर्शनों के बाद रूस के समर्थन वाले विक्टर यानुकोविच को सत्ता छोड़नी पड़ी.
रूस के लिए बेहद अहम है क्राइमिया
इसी दौरान वर्ष 2014 में रशिया (Russia) ने अपनी सेना भेजकर क्राइमिया को अपने नियंत्रण में ले लिया. इसके बाद रशिया ने वहां एक जनमत संग्रह करवाया. इस जनमत संग्रह में यहां के लोगों ने रूस के साथ जाने का निर्णय लिया. लेकिन यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने उस जनमत संग्रह को अवैध बताते हुए उसे खारिज कर दिया और रशिया पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगा दिए गए.
रशिया किसी भी कीमत पर क्राइमिया (Crimea) को नहीं छोड़ना चाहता था. उसकी वजह है क्राइमिया की लोकेशन और उसका बंदरगाह सेवास्तापोल पोर्ट. रशिया के लिहाज से ये इकलौता ऐसा पोर्ट है, जहां पूरे साल बर्फ़ नहीं जमती यानी यहां साल भर जहाज चलाए जा सकते हैं. इस पोर्ट को छोड़कर रशिया के बाकी सभी पोर्ट सर्दियों में बर्फ से जम जाते हैं और वहां जहाज़ नहीं चलाए जा सकते.
यानी अगर रशिया (Russia) को साल भर समन्दर के रास्ते व्यापार करना हो तो उसके पास सेवास्तापोल के सिवा कोई और विकल्प नहीं है. इसी रास्ते से ही रशिया ब्लैक सी और एजियन सी के रास्ते भूमध्य सागर और फिर स्वेज नहर के रास्ते यूरोप और एशिया तक अपना सामान पहुंचा सकता है या मंगवा सकता है. रशिया क्राइमिया पर अपना क़ब्ज़ा बरकरार रख सके, इसके लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश के बाद वर्ष 2016 में इस पुल को बनाने का काम शुरू हुआ था.
30 हजार करोड़ में तैयार हुआ था पुल
करीब 17 किलोमीटर लंबा ये पुल वर्ष 2018 में बन कर तैयार हो गया था. इसे बनाने में करीब 30 हजार करोड़ रुपये की लागत आई थी. ये पुल एक तरह से रशिया और क्राइमिया के बीच सप्लाई लाइन का काम करता है और इसके जरिए ही रशिया क्राइमिया (Crimea) तक अपना फौजी साजो सामान और दूसरी चीजें पहुंचाता है.
ये ब्रिज एक तरह से क्राइमिया पर रशिया के कब्जे का सिम्बल है. वर्ष 2018 में इस पुल के उद्धाटन के मौक़े पर पुतिन ने खुद एक ट्रक चलाकर इस पुल को पार किया था और रशिया से क्राइमिया पहुंचे थे. इसीलिए इस ब्रिज पर हुए हमले को रशिया के लिए बड़े झटके के रूप में देखा गया.
इससे पहले रशिया ने क्राइमिया की ही तरह यूक्रेन (Ukraine) के डोनबास, जैपोरेज़िया और खेरसॉन समेत चार दूसरे इलाक़ों को भी अपने देश में मिलाने का ऐलान किया था. राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि अगर इन हिस्सों पर हमला होता है तो वो इसे रशिया पर हमला मानेंगे और पूरी ताकत से पलटवार करेंगे. कीव पर मिसाइलों की बौछार कर उन्होने ये स्पष्ट भी कर दिया है.
दोनों देशों में से कोई भी झुकने को तैयार नहीं
हालांकि यूक्रेन भी झुकने को या पीछे हटने को तैयार नहीं है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलिदीमीर जेलेंस्की पहले ही कह चुके हैं कि ये लड़ाई क्राइमिया (Crimea) से शुरू हुई थी और क्राइमिया जीतने के बाद ही ख़त्म होगी.
यानी एक तरफ़ पुतिन साफ कर चुके हैं कि अगर यूक्रेन ने क्राइमिया की तरफ़ आंख भी उठाई तो वो बड़े हमले से भी पीछे नहीं हटेंगे. जबकि जेलेंस्की भी अपनी जिद पर कायम हैं और इसीलिए इस युद्ध के बड़ी लड़ाई में बदलने का खतरा भी बढ़ गया है.
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