जंग छेड़ने के बाद रूस ने बमबारी कर और अन्य तरीकों से गेहूं यूक्रेन से बाहर नहीं निकलने दिया। उसने यूक्रेन का पांच लाख टन गेहूं (कीमत 778 करोड़ रुपये) लूट लिया और ट्रकों में लादकर अपने कब्जे वाले क्रीमिया भिजवा दिया। वह अब इसे अकाल से जूझ रहे अफ्रीकी देशों को बेच रहा है। अमेरिका ने मई मध्य में 14 देशों को युद्ध अपराध का लाभ उठाने के प्रति चेताया था, लेकिन इसका असर होने की उम्मीद कम ही है।
अमेरिका ने चेतावनी के साथ तीन रूसी मालवाहकोें के नाम जारी किए हैं, लेकिन उसका खुद मानना है, यूक्रेन पर हमला मामले में पहले ही खुद को शक्तिशाली पश्चिमी देशों और रूस के बीच फंसा महसूस कर रहे अफ्रीकी देश उचित प्रतिरोध नहीं कर पाएंगे। उनमें से कई तो रूस के हथियारों पर भी निर्भर हैं। अमेरिका की इस चेतावनी के बाद यूक्रेनी अधिकारियों ने रूस पर गेहूं चुराने के आरोप को दोहराना शुरू कर दिया है। शुक्रवार को ही अफ्रीकी यूनियन प्रमुख सेनेगल के मेकी साल ने मॉस्को में राष्ट्रपति पुतिन से मिलकर खाद और अनाज उपलब्ध कराने की मांग की थी।
अफ्रीका गेहूं के लिए यूक्रेन-रूस पर निर्भर
अफ्रीका की गेहूं की कुल जरूरत में से 40 फीसदी की आपूर्ति रूस और यूक्रेन ही करते हैं। इस साल गेहूं की कीमतों में 23 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है, पिछले साल सूखे के कारण अफ्रीका के 1.7 करोड़ लोगों के सामने भूख का संकट है।
रूस ने यूक्रेन में 43 धार्मिक इमारतें नष्ट कीं, कीव पर किए हवाई हमले
रूस द्वारा यूक्रेन की मदद करने वाले पश्चिमी देशों को चेतावनी देने के तुरंत बाद कीव पर हमले कर दिए। रूसी सेना ने कई दिनों बाद कीव पर मिसाइल हमले किए जिनमें रेलवे का बुनियादी ढांचा भी शामिल था। उधर, यूक्रेन के शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि रूसी सेना ने दोनेस्क क्षेत्र में अब तक 43 धार्मिक इमारतों को नष्ट कर दिया है। इनमें अधिकांश इमारतें मॉस्को के यूक्रेनी ऑर्थोडक्स (रूढ़िवादी) चर्च से संबंधित हैं।
'कीव इंडिपेंडेंट' अखबार ने दोनेस्क ओब्लास्ट सैन्य प्रशासन के प्रमुख पावलो किरिलेंको के हवाले से बताया कि स्वियातोहिर्स्क लावरा नामक धार्मिक इमारत का आल-होली स्केट (आश्रय स्थल) गोलाबारी में नष्ट हो गया। यह पहली धार्मिक इमारत नहीं जिसे रूसियों ने नष्ट किया। बल्कि यहीं तीन विरासत स्मारकों समेत स्थापत्य संग्रहालय, चर्च और दो आश्रमों समेत दो सेल भवन भी नष्ट कर दिए गए। इस गोलाबारी में चार मौतें हो गईं। रूस ने अब तक क्षेत्र की 43 धार्मिक इमारतें नष्ट की हैं। रविवार देर रात दोनेस्क में हाली डार्मिशन को भी अपनी चपेट में ले लिया।
विदेशों से कीव आए टैंक नष्ट
रूस ने यूक्रेन के लिए पश्चिमी सैन्य आपूर्ति पर निशाना साधते हुए कीव पर हवाई हमले किए। रूस का दावा है कि यहां विदेशों से दान किए गए टैंक थे जिन्हें नष्ट कर दिया गया है। यूक्रेन ने कहा, रूस ने कीव स्थित एक ट्रेन मरम्मत यार्ड पर भी बमबारी की। इन हमलों में पूर्वी शहर दुरुज्किवका में कुछ इमारतें नष्ट हुईं और एक शख्स की मौत हो गई। यहां चारों तरफ मलबा और कांच के टुकड़े देखे जा सकते हैं।
रूसी धमकी के बावजूद यूक्रेन को ब्रिटेन देगा मिसाइल प्रणाली
रूसी राष्ट्रपति की पश्चिमी देशों को दी गई धमकी के बावजूद ब्रिटेन ने कहा है कि वह यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइल प्रणाली भेजेगा। ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने पुतिन की चेतावनी को दरकिनार कर यूक्रेन को एम-270 लांचर देने का ऐलान किया है जो 80 किमी तक निशाना साध सकते हैं। ब्रिटिश रक्षामंत्री बेन वॉलेस ने जोर देकर कहा, इस लड़ाई में हम यूक्रेन के साथ पूरी तरह से हैं। रूस की बदलती रणनीति के बीच यूक्रेन को हमारा समर्थन होना ही चाहिए। ब्रिटेन सरकार ने कहा, वह यूक्रेन को जो मल्टी-लॉन्च रॉकेट प्रणाली दे रही है उससे रूसी हमले का विरोध करने की क्षमता बढ़ जाएगी।
यूक्रेन के साथ जंग में रूस के एक और जनरल की मौत
यूक्रेन के पूर्वी दोनबास इलाके में भीषण लड़ाई के दौरान रूस के एक और जनरल मेजर जनरल रोमन कुटुजोव की मौत हो गई। रूस के राजकीय मीडिया रोसिया1 के रिपोर्टर एलेक्जेंडर स्लादकोव ने भी इसकी पुष्टि की है। यूक्रेनी सेना का दावा यूद्ध के दौरान रूस के 12वें बड़े अधिकारी को मार गिराने का है। पश्चिमी खुफिया अधिकारी इनकी संख्या सात बताते हैं।
जनरल कुटुजोव स्वयंभू दोनेस्क पीपुल्स गणराज्य की ओर से हमले का नेतृत्व कर रहे थे। दोनेस्क की सेना ने दोनबास में यूक्रेन के एक सैन्य ठिकाने पर हमला किया। सोशल मीडिया पर आई खबरों के मुताबिक, रूसी सेना के पास कर्नल रैंक के अधिकारियों की कमी के कारण जनरल रैंक के कुटुजोव को सेना का नेतृत्व करना पड़ रहा था। रूस ने इस पर टिप्पणी से इनकार कर दिया।
यूक्रेनी सेना ने जनरल कुटुजोव के मारे जाने की पष्टि की, लेकिन ज्यादा जानकारी नहीं दी। सोशल मीडिया के मुताबिक, कुटुजोव गत सप्ताहांत मारे गए लेफ्टिनेंट जनरल रोमन बेर्डनिकोव के बाद इस युद्ध में जान गंवाने वाले रूसी सेना के दूसरे सर्वोच्च अधिकारी हैं। रूसी सेना को आगे बढ़ाने के लिए उसके सर्वोच्च अधिकारी अग्रिम मोर्चों पर जा रहे हैं। मॉस्को अब तक तीन वरिष्ठ जनरलों की मौत की पुष्टि कर चुका है।